दिल्ली में हिमाचल और बीकानेर रियासतों के प्रतीक भवनों की कुर्की पर विवाद

दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।

दिल्ली में स्थित ऐतिहासिक हिमाचल भवन और बीकानेर हाउस पर कोर्ट के कुर्की आदेश ने देशभर में चर्चा छेड़ दी है। ये भवन न केवल राज्यों की सांस्कृतिक पहचान हैं, बल्कि ऐतिहासिक धरोहरों का प्रतीक भी हैं। सवाल उठ रहे हैं कि क्या ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व वाले भवनों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त नीतियां हैं। 

हिमाचल भवन का इतिहास और महत्व

1974 में सिकंदरा रोड पर बना हिमाचल भवन, हिमाचल प्रदेश की राजधानी में उपस्थिति का पहला प्रतीक था। यह पंजाब सरकार की जमीन पर विकसित हुआ। इसके पास मंडी हाउस स्थित है, जिसे 1930 के दशक में मंडी रियासत के राजा जोगिंदर सिंह ने बनवाया। हिमाचल भवन और मंडी हाउस का स्थान ऐतिहासिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। 

बीकानेर हाउस की ऐतिहासिकता 

इंडिया गेट के पास स्थित बीकानेर हाउस, 1930 के दशक में बीकानेर रियासत के महाराजा गंगा सिंह ने बनवाया। इसका डिजाइन लुटियंस की टीम के आर्किटेक्ट चार्ल्स जी. ब्लूमफील्ड ने तैयार किया। यह भवन अपनी वास्तुकला और सांस्कृतिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यह रियासत के प्रशासनिक केंद्र के रूप में कार्य करता था। 

नई दिल्ली में रियासतों के हाउस

1911 में दिल्ली को नई राजधानी बनाए जाने के बाद, 29 रियासतों को जमीन आवंटित की गई। इनमें जोधपुर, ग्वालियर, मंडी, बीकानेर और त्रावणकोर जैसी रियासतें शामिल थीं। इन भवनों ने रियासतों की सांस्कृतिक पहचान को दिल्ली में स्थान दिया। 

कुर्की के आदेश और विवाद 

बीते सप्ताह हिमाचल भवन और बीकानेर हाउस पर कोर्ट द्वारा कुर्की के आदेश जारी किए गए। यह फैसला ऐतिहासिक धरोहरों की सुरक्षा को लेकर नई बहस शुरू कर चुका है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार के आदेश, सांस्कृतिक और प्रशासनिक भवनों के महत्व को कमजोर कर सकते हैं। 

भविष्य की चुनौतियां  ऐतिहासिक धरोहरों की सुरक्षा के लिए समुचित नीतियों की कमी पर सवाल उठने लगे हैं। यह जरूरी है कि इन भवनों को संरक्षित करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर ठोस प्रयास करें।

Spread the love

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here