बचपन के शौक को बनाया बिजनेस, मिली सफलता

दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।

पश्चिम बंगाल के कोलाघाट के 33 वर्षीय अरूप कुमार घोष एक प्रेरणादायक उदाहरण हैं कि कैसे कठिनाइयों और संघर्षों को पार करके कोई भी अपना सपना सच कर सकता है। अरूप, जो कभी महज 3500 रुपये प्रति महीने की नौकरी किया करते थे, आज गेंदा के फूलों का कारोबार कर रहे हैं और उनकी सालाना कमाई ₹5 करोड़ से ज्यादा है। उनका यह सफर बिल्कुल अद्वितीय और संघर्षों से भरा हुआ है।

बचपन से थी रुचि, और फिर शुरू हुआ कारोबार

अरूप की बचपन से ही फूलों में गहरी रुचि थी। कोलाघाट, जो भारत के प्रमुख फूलों के आपूर्ति केंद्रों में से एक है, से वह प्रेरित हुए और उन्होंने सोचा कि क्यों न फूलों के कारोबार में ही कदम रखा जाए। हालांकि, उनका परिवार धान की खेती करता था, जिससे आमदनी सीमित थी, फिर भी अरूप ने देखा कि फूलों के कारोबार में काफी संभावनाएं हैं।

3500 रुपये की नौकरी से शुरुआत

अरूप ने अपनी रुचि को अपने करियर में बदलने का निर्णय लिया। 17 साल की उम्र में उन्होंने फूल विक्रेताओं के साथ काम करना शुरू किया और फिर हैदराबाद के गुडीमलकापुर फूल बाजार पहुंचे। यहां उन्होंने एक दुकान पर 3500 रुपये प्रति महीने की नौकरी की, जहां उन्होंने फूलों के व्यापार की बारीकियां सीखी। यही समय था जब उनका सपना और भी मजबूत हुआ।

जमीन पट्टे पर लेकर शुरू की गेंदे की खेती

नौकरी के बाद अरूप वापस कोलाघाट लौटे और उन्होंने गेंदा के फूलों की लड़ियां बेचने की शुरुआत की। पहले 100 लड़ियों पर उन्हें 2000 से 3000 रुपये का मुनाफा हुआ, जिससे उनका उत्साह बढ़ा। 2011 में उन्होंने एक बीघा जमीन पट्टे पर लेकर गेंदा की खेती शुरू की। हालांकि, शुरुआत में उन्हें नुकसान उठाना पड़ा, क्योंकि कोलकाता किस्म के फूल छोटे हो गए और बिक्री मुश्किल हुई।

नुकसान से सीखा, सफलता की नई राह

अरूप ने हार नहीं मानी। नुकसान के बाद उन्होंने थाईलैंड जाने का निर्णय लिया, जहां उन्होंने टेनिस बॉल गेंदा फूलों की उगाई और उनके बीज तैयार करने की तकनीक सीखी। वहां से वे कोलाघाट लौटे और उच्च गुणवत्ता वाले गेंदा फूल उगाने के लिए नई जमीन पर खेती शुरू की।

नई तकनीक से कारोबार में तेजी से वृद्धि

थाईलैंड से लौटने के बाद, उन्होंने टेनिस बॉल गेंदा की किस्म को कोलाघाट बाजार में 100 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचना शुरू किया। फूलों की बढ़ती मांग ने उन्हें और जमीन पर खेती करने के लिए प्रेरित किया। इसके साथ ही, उन्होंने गेंदा के बीजों को भी बेचना शुरू कर दिया। आज उनका व्यवसाय हर साल 5 करोड़ रुपये से ज्यादा का टर्नओवर जनरेट करता है।

 कड़ी मेहनत और आत्मविश्वास

अरूप कुमार घोष की कहानी एक प्रेरणा है कि कैसे आत्मविश्वास, मेहनत और लगातार प्रयासों से कोई भी व्यक्ति अपनी मंजिल तक पहुंच सकता है। उन्होंने फूलों के कारोबार को न केवल सीखा, बल्कि उसे नए तरीके से आगे बढ़ाया, जिससे वह आज एक सफल व्यवसायी बन गए हैं।

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