आइए आपको बताते हैं सिगरेट से ग्लोबल ब्रांड बनने तक का सफर
दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।
Success Story: क्या आपने दिल्ली के आईटीसी मौर्या होटल का नाम सुना है? यही होटल, आईटीसी के विशाल और विविध व्यापार साम्राज्य का हिस्सा है, जो आज सिर्फ होटल इंडस्ट्री में ही नहीं, बल्कि खाद्य उत्पादों, स्टेशनरी, पैकेजिंग और कई अन्य क्षेत्रों में भी एक प्रतिष्ठित नाम बन चुका है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसका शुरुआती बिजनेस सिगरेट और तंबाकू से जुड़ा था?
आइए, जानते हैं कैसे एक तंबाकू कंपनी ने अपनी पहचान बदलकर दुनिया भर में सफलता की ऊंचाई हासिल की।
सिगरेट से ग्लोबल ब्रांड बनने तक का सफर
आईटीसी लिमिटेड की स्थापना 1910 में “इंपीरियल टोबाको कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड” के नाम से हुई थी। तब इस कंपनी का प्रमुख व्यवसाय तंबाकू था, और इसका नाम “इंपीरियल” इसकी ब्रिटिश जड़ों का प्रतीक था। लेकिन समय के साथ, स्वामित्व बदलने और भारतीय बाजार में इसके प्रभाव के बढ़ने से कंपनी का नाम और दिशा भी बदली।
आईटीसी का मुख्यालय
आईटीसी ने अपनी शुरुआत कोलकाता में की थी। 1926 में कंपनी ने कोलकाता के प्रतिष्ठित 37 चौरंगी लेन पर भूमि खरीदी और 1928 में ‘वर्जीनिया हाउस’ के रूप में अपना शानदार मुख्यालय स्थापित किया। आज यह स्थान कोलकाता के सबसे महत्वपूर्ण लैंडमार्क्स में से एक बन चुका है।
सिगरेट से पैकेजिंग और प्रिंटिंग तक
आईटीसी ने शुरुआत में केवल सिगरेट और तंबाकू के कारोबार पर ध्यान केंद्रित किया, लेकिन 1925 में पैकेजिंग और प्रिंटिंग के क्षेत्र में भी कदम रखा। यह आज भारत का सबसे उन्नत पैकेजिंग हाउस बन चुका है, और इसने व्यवसाय के नए आयामों को जोड़ा।
पर्यटन और रोजगार का नया दौर
1975 में आईटीसी ने होटल व्यवसाय में कदम रखा। कंपनी ने चेन्नई में एक होटल खरीदा और उसे “आईटीसी वेलकमग्रुप होटल चोला” के नाम से लॉन्च किया। यह निर्णय आईटीसी के लिए फायदेमंद साबित हुआ और इसने पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ-साथ रोजगार सृजन का भी कार्य किया। आज आईटीसी के 115 से ज्यादा होटल्स हैं, जिनमें प्रमुख ब्रांड जैसे “आईटीसी होटल्स”, “व्हाइटफील्ड” और “शेरटन” शामिल हैं। हाल ही में आईटीसी ने श्रीलंका में अपना पहला अंतरराष्ट्रीय लग्जरी होटल “आईटीसी रत्नद्वीप” भी लॉन्च किया।
ग्रामीण विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम
आईटीसी ने 1979 में आंध्र प्रदेश के भद्राचलम में पेपरबोर्ड कारोबार शुरू किया और जल्द ही ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण और सामुदायिक विकास में भी योगदान देना शुरू किया। इसके अलावा, 1990 में कंपनी ने ‘ई-चौपाल’ जैसी पहल शुरू की, जिससे किसानों के साथ उसके संबंध और मजबूत हुए।
किचन से लेकर बाजार तक
2001 में आईटीसी ने “किचन्स ऑफ इंडिया” ब्रांड के तहत खाद्य पदार्थों के व्यवसाय में कदम रखा। इसके बाद, आटा, बिस्किट, स्नैक्स और चॉकलेट जैसे प्रोडक्ट्स लॉन्च किए। ‘आशीर्वाद’, ‘सनफीस्ट’ और ‘फैबेल’ जैसे ब्रांड्स ने आईटीसी को फूड सेक्टर का एक प्रमुख खिलाड़ी बना दिया।
आईटीसी का आज का साम्राज्य एक ग्लोबल ब्रांड
आज आईटीसी न केवल तंबाकू, होटल, पैकेजिंग, कृषि और कागज क्षेत्र में, बल्कि खाद्य उत्पादों, व्यक्तिगत देखभाल और सूचना प्रौद्योगिकी में भी सक्रिय रूप से काम कर रही है। इसका कारोबार 90 से अधिक देशों में फैल चुका है और यह भारतीय अर्थव्यवस्था और समाज के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
आईटीसी का अनोखा सफर आईटीसी की कहानी केवल व्यापारिक सफलता की नहीं, बल्कि एक सिगरेट कंपनी से वैश्विक ब्रांड बनने की यात्रा की है। इसने समय-समय पर अपने कारोबार को नए क्षेत्रों में विस्तारित किया, जिससे न केवल कंपनी को बढ़ावा मिला, बल्कि भारतीय समाज और अर्थव्यवस्था को भी मजबूत किया। आज आईटीसी न केवल एक व्यावसायिक संस्था है, बल्कि यह भारतीय उद्योग का एक प्रमुख स्तंभ बन चुका है।