अधिकारियों और कर्मचारियों की सैलरी में 700 गुना अंतर
प्राइवेट अफसरों और कर्मचारियों के वेतन में बढ़ी असमानता, जानिए क्या हैं वजह
दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।
देश की आईटी इंडस्ट्री में प्राइवेट अफसरों और कर्मचारियों के बीच वेतन का अंतर बढ़ता जा रहा है, खासकर सीईओ और औसत कर्मचारी के वेतन में। पिछले पांच वर्षों के डेटा के अनुसार, केवल आईबीएम ही एक ऐसी कंपनी है, जहां सीईओ और औसत कर्मचारी के वेतन के बीच अंतर कम है, जबकि एक्सेंचर, इंफोसिस, विप्रो और एचसीएल जैसी कंपनियों में यह अंतर बहुत ज्यादा देखने को मिला है। खासकर, सीईओ को मिलने वाली सैलरी, मुआवजे और स्टॉक ग्रांट की वैल्यू काफी ज्यादा है।
इस असमानता पर पहले भी चर्चा होती रही है, और हाल ही में इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति ने यह संकेत दिया था कि कंपनी के सीईओ का पारिश्रमिक उसके सबसे निचले स्तर के कर्मचारी से 25 से 40 गुना अधिक होगा। लेकिन हैरानी की बात यह है कि उनकी अपनी कंपनी में, इंफोसिस के सीईओ सलिल पारेख का वेतन लगभग 700 गुना अधिक है, जो कि सबसे निचले स्तर के कर्मचारी की तुलना में बहुत ज्यादा है।
विप्रो में भी कर्मचारियों की तुलना में सीईओ की सैलरी में भारी अंतर देखा गया है। विप्रो के पूर्व सीईओ थियरी डेलापोर्टे का मुआवजा 20 मिलियन डॉलर था, जिसका मतलब है कि उनका वेतन 2023-24 वित्तीय वर्ष में 9.8 लाख रुपये के औसत कर्मचारी वेतन से 1,702 गुना अधिक था। इसी तरह, एचसीएल के सीईओ सी विजयकुमार का मुआवजा और औसत कर्मचारी के वेतन के बीच का अनुपात 2023-24 में 253:1 से बढ़कर 707:1 हो गया।
2023 वित्तीय वर्ष में एक्सेंचर की मुख्य कार्यकारी अधिकारी जूली स्वीट का मुआवजा 31.5 मिलियन डॉलर था, जो कि एक्सेंचर के औसत कर्मचारी वेतन का 633 गुना था। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 2023 में स्टॉक रिवॉर्ड से सीईओ की ज्यादा कमाई हुई, जो उनके कुल मुआवजे का एक बड़ा हिस्सा था।
आईटी रिसर्च और एडवाइजरी फर्म एचएफएस रिसर्च के सीईओ फिल फ़र्शट का कहना है कि आईटी सेवा कंपनियों में नेतृत्व के स्तर पर एक बड़ा गैप बनता जा रहा है, खासकर सीईओ के स्तर पर। यह असमानता कंपनी की नीति और कर्मचारियों के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए एक बड़ा सवाल खड़ा करती है, और इससे कंपनियों में सामाजिक और आर्थिक असंतोष पैदा हो सकता है।