तिमाही नतीजों से घबराहट के चलते बाजार सशंकित
दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।
भारतीय शेयर बाजार में लगातार गिरावट जारी है और इसका असर सेंसेक्स और निफ्टी पर स्पष्ट रूप से देखा जा रहा है। 9 जनवरी को, सेंसेक्स 528 अंक गिरकर 77,619.80 पर पहुंच गया, जबकि निफ्टी 160 अंक टूटकर 23,528 के स्तर पर आ गया। बाजार में गिरावट के प्रमुख कारणों में तिमाही नतीजों का असर, रुपये में गिरावट, अमेरिकी ट्रेड पॉलिसी की अनिश्चितता, अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों में बदलाव की उम्मीदें और विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) द्वारा लगातार बिकवाली शामिल हैं।
1. तिमाही नतीजों से घबराहट
टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) के नतीजों के साथ ही तीसरी तिमाही के नतीजों का सीजन शुरू हो गया है। पिछली तिमाही में कंपनियों के कमजोर प्रदर्शन ने निवेशकों को निराश किया था। खासकर आईटी सेक्टर के लिए हालात मुश्किल हो सकते हैं क्योंकि डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये में गिरावट और अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मजबूती आई है। इस घबराहट ने बाजार पर दबाव डाला है, खासकर जब कंपनियों के नतीजे पिछली तिमाही से अच्छे होने के कोई संकेत नहीं हैं।
2. रुपये में रिकॉर्ड गिरावट
भारतीय रुपये में लगातार गिरावट जारी है। गुरुवार को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 85.92 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया। यह गिरावट तीसरे दिन जारी रही और इसके अलावा क्रूड ऑयल के दामों में उछाल ने भी बाजार पर अतिरिक्त दबाव डाला। विदेशी फंड की निकासी और अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में उछाल ने डॉलर की मजबूती को बढ़ाया है।
3. अमेरिकी ट्रेड पॉलिसी को लेकर चिंता
अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पदभार संभालने के बाद उनकी व्यापार और टैरिफ नीतियों को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। इस वजह से दुनियाभर के निवेशक सतर्क हो गए हैं। ट्रंप की व्यापार नीतियों के बारे में असमंजस और आगामी बजट के चलते निवेशक थोड़ी सावधानी बरत रहे हैं। इसके चलते बाजार में अस्थिरता का खतरा बढ़ गया है।
4. अमेरिकी फेड रेट कट की उम्मीदें हो रही खत्म
अमेरिका में व्यापार और इमिग्रेशन नीतियों को लेकर चिंताओं ने भी बाजार की बेचैनी को बढ़ा दिया है। ट्रंप द्वारा वैश्विक आयात पर 10 प्रतिशत और चीनी वस्तुओं पर 60 प्रतिशत ड्यूटी लगाने की संभावना ने बाजार में डर का माहौल पैदा किया है। इसके साथ ही, अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ओर से ब्याज दरों में आक्रामक कटौती की उम्मीदें अब खत्म हो रही हैं। अब बाजार केवल एक बार 0.25 फीसदी की कटौती की उम्मीद कर रहा है, दूसरी कटौती की संभावना कम हो गई है।
5. निवेशकों (FII) की ओर से लगातार बिकवाली
विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने भारतीय बाजार से लगातार पैसे निकालने का सिलसिला जारी रखा है। FII ने बुधवार को 3,362.18 करोड़ रुपये के शेयर बेचे, और जनवरी के पहले नौ दिनों में ही उन्होंने 10,419 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं। इस बिकवाली के कारण भारतीय शेयर बाजार पर दबाव बना हुआ है।
भारतीय शेयर बाजार में गिरावट के इन कारणों से निवेशकों के बीच घबराहट और अनिश्चितता बढ़ गई है। आगामी तिमाही नतीजों, रुपये की गिरावट और विदेशी निवेशकों की बिकवाली के चलते बाजार में और दबाव देखने को मिल सकता है।