असाधारण उपलब्धियां

‘सबका प्रयास’ के ‘समग्र राष्ट्रीय’ दृष्टिकोण की बदौलत देश ने सदी की सबसे बड़ी महामारी की चुनौती का सामना किया। ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में बड़ा कदम बढ़ाया। ‘पांच प्रण’ के प्रति प्रतिबद्धता दिखाई और ‘अमृत काल’ की ठोस नींव रखी। इसी के परिणामस्वरूप हमारे युवा देश में उच्चाकांक्षाएं हैं, अपने वर्तमान पर गर्व है और उज्ज्वल भविष्य के लिए आशा एवं आत्मविश्वास है। हम आशा करते हैं कि असाधारण उपलब्धियों के लिए हमारी सरकार को फिर से भारी जनादेश के माध्यम से लोगों का आशीर्वाद मिलेगा।

मानवोचित समावेशी दृष्टिकोण

हमने सोच-विचार कर विकास के प्रति मानवोचित और समावेशी दृष्टिकोण अपनाया जो गांव स्तर तक प्रावधान करने के पूर्ववर्ती दृष्टिकोण से काफी अलग है। पिछले दस वर्षों में इन विकास कार्यक्रमों ने रिकार्ड समय में सभी के लिए आवास, ‘हर घर जल’, सभी के लिए बिजली, सभी के लिए रसोई गैस, सभी के लिए बैंक खाते और वित्तीय सेवाओं के माध्यम से प्रत्येक परिवार और व्यक्ति के लिए सेवाएं सुलभ कराई हैं।

खाद्यान्न की चिंता समाप्त

80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन उपलब्ध कराकर खाद्यान्न की चिंता समाप्त कर दी गई है। ‘अन्नदाता’ की उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को समय-समय पर उपयुक्त रूप से बढ़ाया जाता रहा है। इन प्रयासों से तथा मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए किए गए प्रावधानों से ग्रामीण क्षेत्रों में वास्तविक आय में वृद्धि हुई है। उनकी आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति होने से संवृद्धि को बल मिला है और रोजगार का सृजन हुआ है।

सर्वांगीण, सर्वस्पर्शी सर्वसमावेशी विकास

हमारी सरकार सर्वांगीण, सर्वस्पर्शी और सर्वसमावेशी विकास के दृष्टिकोण से कार्य कर रही है। इसमें सभी जातियों और सभी स्तरों के लोग शामिल हैं। हम 2047 तक भारत को ‘विकसित भारत’ बनाने के लिए कार्य कर रहे हैं। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमें लोगों की क्षमता में वृद्धि करनी होगी और उन्हें सशक्त बनाना होगा।

सामाजिक न्याय महज नारा था

पहले, सामाजिक न्याय मुख्यतया एक राजनैतिक नारा था। हमारी सरकार के लिए सामाजिक न्याय एक प्रभावी और आवश्यक शासन पद्धति है। सभी पात्र लोगों को लाभान्वित करने का सैचुरेशन दृष्टिकोण ही सच्चे और स्पष्ट अर्थों में सामाजिक न्याय की प्राप्ति है। कार्य रूप में यही धर्मनिरपेक्षता है जिससे भ्रष्टाचार कम होता है और भाई-भतीजावाद पर  लगाम लगती है। इसमें यह पारदर्शिता और आश्वासन है कि लाभ सभी पात्र लोगों तक पहुंच रहे हैं। संसाधनों का वितरण निष्पक्ष रूप से किया जा रहा है। किसी भी व्यक्ति की सामाजिक हैसियत कुछ भी हो, उसकी अवसरों तक पहुंच हो रही है। हम उन प्रणालीगत असमानताओं का निराकरण कर रहे हैं जिसने हमारे समाज को जकड़ रखा था। हम परिव्यय पर ध्यान केन्द्रित न करके परिणामों पर जोर देते हैं, ताकि सामाजिक और आर्थिक बदलाव हासिल किए जा सकें।

चार प्रमुख जातियां

जैसा कि हमारे प्रधानमंत्री का दृढ़ विश्वास है हमें चार प्रमुख जातियों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। ये जातियां हैं ‘गरीब’, ‘महिलाएं’, ‘युवा’ और ‘अन्नदाता’। उनकी आवश्यकताएं, उनकी आकांक्षाएं और उनका कल्याण हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। देश की प्रगति होती है जब वे प्रगति करते हैं। इन चारों जातियों को अपने जीवन को बेहतर बनाने के प्रयास में सरकारी सहायता की आवश्यकता है और उन्हें सरकारी सहायता मिल भी रही हैं। उनके सशक्तीकरण से और उनके कल्याण से देश आगे बढ़ेगा।

गरीब-कल्याण, देश का कल्याण

हम निर्धन लोगों के सशक्तीकरण में विश्वास रखते हैं। हकदारियां देकर गरीबी से निपटने के पहले के तरीके से मामूली नतीजे मिले थे। जब गरीब विकास प्रक्रिया में सशक्त भागीदार बन जाते हैं, तो उन्हें सहायता देने की सरकार की सामर्थ्य भी कई गुणा बढ़ जाती है। ‘सबका साथ’ मंत्र से, सरकार ने इन दस वर्षों में 25 करोड़ लोगों को बहुआयामी गरीबी से छुटकारा दिलाया है। इस तरीके से समर्थ बनाए गए लोगों की ऊर्जा और उत्साह की सहक्रियाशीलता से अब हमारी सरकार के प्रयासों को भी बल मिल रहा है। इससे वास्तव में वे गरीबी से ऊपर उठ रहे हैं।

नए संस्थानों की स्थापना

स्किल इंडिया मिशन के अंतर्गत 1.4 करोड़ युवाओं को प्रशिक्षित किया गया है, 54 लाख युवाओं का कौशल-उन्नयन किया गया है तथा उन्हें दूसरे हुनर में कुशल बनाया गया है और 3000 नई आईटीआई स्थापित की गई हैं। उच्चतर शिक्षा के लिए बड़ी संख्या में नए संस्थानों के अंतर्गत 7 आईआईटी, 16 आईआईआईटी, 7 आईआईएम, 15 एम्स और 390 विश्वविद्यालय स्थापित किए गए हैं।

मुश्किल समय में जी20 अध्यक्षता

भारत ने दुनिया के लिए अत्यन्त मुश्किल समय के दौरान जी-20 की अध्यक्षता ग्रहण की। वैश्विक अर्थव्यवस्था उच्च मुद्रास्फीति, उच्च ब्याज दरें, निम्न विकास, अत्यधिक लोक ऋण, निम्न व्यापारिक विकास, और जलवायु संबंधी चुनौतियों से जूझ रही थी। महामारी ने दुनिया के लिए खाने-पीने, उर्वरक, ईंधन और वित्तीय साधनों का संकट उत्पन्न कर दिया था, जबकि भारत अपनी राह बनाने में सफल रहा। देश ने आगे बढ़ने का रास्ता सुझाया और उन वैश्विक समस्याओं के समाधानों के लिए सहमति बनाई।

भारत-मध्यपूर्व यूरोप आर्थिक कॉरिडोर

हाल ही में घोषित भारत-मध्यपूर्व यूरोप आर्थिक कॉरिडोर भारत और अन्य देशों के लिए भी एक रणनीतिक और आर्थिक परिवर्तनकारी पहल है। माननीय प्रधानमंत्री के शब्दों में, “इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर आने वाले सैकड़ों वर्षों तक विश्व व्यापार का आधार बनने जा रहा है और इतिहास इस बात को हमेशा याद रखेगा कि इस कॉरिडोर का सूत्रपात भारत की धरती पर हुआ था।”

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