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कैसे सिस्टीन चैपल की चिमनी से निकलने वाला धुआँ दुनिया को बताता है – हमें नया पोप मिल गया है!

दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।

New Pope: रॉबर्ट प्रीवोस्ट के रूप में विश्वक को नया पोप मिल गया है। रोमन कैथोलिक के इतिहास में यह पहली है जब किसी अमेरिकी कार्डिनल को पोप चुना गया है। रॉबर्ट प्रीवोस्ट को अब पोप लियो XIV के नाम से जाना जाएगा। पोप चुने जाने के बाद पोप लियो XIV ने पहली प्रतिक्रिया देते हुए शांति की अपील की। उन्होंने कहा कि ‘शांति आपके साथ हो’। 

गोपनीय प्रक्रिया

कैथोलिक चर्च के सर्वोच्च धर्मगुरु “पोप” का चुनाव एक बेहद गोपनीय, आध्यात्मिक और ऐतिहासिक प्रक्रिया है, जिसे कोन्क्लेव (Conclave) कहा जाता है।

लेकिन आम जनता के लिए इस चुनाव की एकमात्र झलक वेटिकन सिटी की सिस्टीन चैपल की चिमनी से उठता धुआँ होता है—कभी काला और कभी सफेद।

यह धुआं पूरी दुनिया को बताता है कि नया पोप चुना गया है या नहीं। आइए जानें इस धुएँ के पीछे की परंपरा और इसकी प्रक्रिया।

कोन्क्लेव: पोप चुनने की प्रक्रिया

पोप का निधन होता है या वे इस्तीफा देते हैं (जैसे पोप बेनेडिक्ट XVI ने 2013 में दिया), तब वेटिकन में एक विशेष सभा बुलाई जाती है, जिसे कोन्क्लेव कहा जाता है। इसमें दुनिया भर के कार्डिनल (Catholic Church के वरिष्ठ धर्माधिकारी) भाग लेते हैं। कोन्क्लेव का मतलब होता है “बंद कमरा”, यानी यह प्रक्रिया सिस्टीन चैपल में अत्यंत गोपनीयता के साथ होती है।

मतदान प्रक्रिया:

  • कार्डिनल प्रतिदिन दो बार वोटिंग करते हैं (सुबह और शाम)।
  • प्रत्येक कार्डिनल एक कागज़ पर अपने पसंद के व्यक्ति का नाम लिखता है।
  • नए पोप के चुने जाने के लिए 2/3 बहुमत आवश्यक होता है।

धुएँ के रंग का रहस्य

हर वोटिंग के बाद, सभी मतपत्रों को जलाया जाता है और उससे निकलने वाले धुएँ से जनता को चुनाव की स्थिति बताई जाती है।

  1. काला धुआं (Fumus niger):
    यदि पोप नहीं चुना गया है, तो मतपत्रों के साथ नमी और रसायन मिलाए जाते हैं जिससे काला धुआँ निकलता है। इसका मतलब होता है – अभी इंतजार करें, नया पोप नहीं चुना गया है।

  2. सफेद धुआं (Fumus albus):
    जब कोई कार्डिनल आवश्यक बहुमत से चुन लिया जाता है और वह पद स्वीकार कर लेता है, तब मतपत्रों को विशेष रसायनों के साथ जलाया जाता है जिससे सफेद धुआँ निकलता है। यह संकेत देता है – “Habemus Papam” (हमें नया पोप मिल गया है)।

सफेद धुएं के बाद क्या होता है?

सफेद धुआँ निकलते ही घंटियाँ बजाई जाती हैं और सेंट पीटर्स बैसिलिका की बालकनी पर आकर वेटिकन का वरिष्ठ कार्डिनल घोषणा करता है—”Habemus Papam”— और फिर नए पोप का नाम बताया जाता है।

इसके बाद नए पोप जनता को आशीर्वाद देते हैं।

धुएँ का रासायनिक रहस्य

आधुनिक युग में इस धुएँ को विशेष रसायनों से नियंत्रित किया जाता है। हालांकि इसमें कितनी सच्चाई है यह आजतक किसी को नहीं पता।

  • काला धुआँ के लिए: पोटैशियम नाइट्रेट, एंथ्रासीन और कालिख (soot)
  • सफेद धुआँ के लिए: पाइन रेज़िन, पोटैशियम क्लोरेट और दूधीय पदार्थ

वेटिकन यह नहीं बताता कि वे कौन-से रसायन उपयोग करते हैं, लेकिन यह सुनिश्चित किया जाता है कि रंग स्पष्ट हो और पूरी दुनिया को तुरंत संदेश मिल सके।

चिमनी से उठता यह धुआँ सिर्फ आग और रसायनों का परिणाम नहीं है, बल्कि यह पूरी दुनिया के करोड़ों कैथोलिकों के लिए एक उम्मीद और आस्था का प्रतीक होता है।

यह एक प्राचीन परंपरा है जो आज भी आधुनिक युग में गूढ़ता और धार्मिक भावनाओं के साथ जीवित है। एक साधारण चिमनी से निकलता धुआँ जब सफेद होता है, तो पूरी दुनिया एक नए अध्याय की शुरुआत को महसूस करती है।

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