भागलपुर में पहली मुलाकात — एक सादगी भरी छवि ने जीता दिल
दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।
बॉलीवुड के महान अभिनेता अशोक कुमार (Ashok Kumar) की प्रेम कहानी फिल्मों जैसी नहीं, लेकिन उससे कहीं ज्यादा सच्ची और दिल को छू लेने वाली है। उनकी पत्नी शोभा (Shobha) से पहली मुलाकात 1938 में भागलपुर (Bhagalpur) में हुई थी — जब उन्होंने एक साधारण सी लड़की को रोटियां बेलते देखा था। यही दृश्य उनके दिल में ऐसा बसा कि आगे चलकर वह लड़की उनकी जीवन संगिनी बनी।
अशोक कुमार (Ashok Kumar) ने एक इंटरव्यू में बताया था कि वह अपने मामा के घर गए थे, जहां उन्होंने पहली बार शोभा (Shobha) को देखा। वह उस समय फॉक पहने हुए थीं और सामने लगभग 40–50 रोटियां बेल रही थीं।
जब उन्होंने मामा से पूछा, तो जवाब मिला—”आज मेहमान आने वाले हैं, बड़ी कामकाजी लड़की है।”
इस घटना को वह भूल गए थे, लेकिन जब शादी की बात आई तो माँ ने पहले ही शोभा (Shobha) को पसंद कर लिया था। जब अशोक कुमार (Ashok Kumar) ने उन्हें देखा, तो मामा ने बताया कि यही वही लड़की है जिसे उन्होंने रोटियां बेलते देखा था।

शोभा (Shobha) के पिता मिस्टर बनर्जी (Mr. Banerjee) सेना में कैप्टन थे, लेकिन एक शराब के नशे में हुए विवाद के बाद उन्होंने नौकरी गंवा दी थी। बाद में उनका परिवार धनबाद (Dhanbad) से भागलपुर (Bhagalpur) आ गया। शोभा (Shobha) पढ़-लिख नहीं पाईं, लेकिन अशोक कुमार (Ashok Kumar) उन्हें मुंबई (Mumbai) ले आए और खुद उन्हें टीचर लगवाकर पढ़ाया।
शोभा (Shobha) एक आदर्श गृहिणी थीं। अशोक कुमार (Ashok Kumar) के अनुसार, उनके लिए पति ही सब कुछ थे। माता-पिता, रिश्तेदार, कोई मायने नहीं रखता था। उनका समर्पण और सादगी ही उनकी सबसे बड़ी पहचान थी।

यह कहानी आज के दौर में भी इस बात की मिसाल है कि सच्चा प्यार दिखावे में नहीं, बल्कि दिल से होता है।
अशोक कुमार स्पेशल
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