संसद में उठा साइबर अपराध का मसला

दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।

Cyber Crime: संसद में बुधवार को गृह मंत्री अमित शाह से साइबर अपराधों के बढ़ते मामलों पर सवाल पूछा गया, जिसमें विशेष रूप से 2018-2022 के बीच हुए साइबर अपराधों की संख्या, सरकार द्वारा उठाए गए कदम, और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किए गए प्रयासों की जानकारी मांगी गई। इस सवाल का उद्देश्य यह जानना था कि सरकार साइबर अपराधों की पहचान और निवारण के लिए कौन से कदम उठा रही है, और साइबर अपराधों पर काबू पाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग कितना प्रभावी रहा है। इस लेख में हम इन सवालों के जवाब और साइबर अपराधों की बढ़ती समस्या पर चर्चा करेंगे।

साइबर अपराधों का बढ़ता खतरा: आंकड़ों की सच्चाई

संसद में प्रस्तुत किए गए आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2018 से 2022 तक साइबर अपराधों में भारी वृद्धि देखी गई है। भारत के विभिन्न राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों में साइबर अपराधों के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। अगर हम इन आंकड़ों पर गौर करें, तो यह साफ दिखता है कि साइबर अपराधों का दायरा बढ़ रहा है। इन आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि साइबर अपराधों को नियंत्रित करना एक जटिल कार्य बनता जा रहा है।

वर्ष 2018 से 2022 के दौरान राज्यवार साइबर अपराधों का आंकड़ा:

  • कर्नाटक में 2018 में 5839 मामले दर्ज हुए थे, जो 2022 में बढ़कर 12,556 तक पहुंच गए।
  • महाराष्ट्र में 3511 से बढ़कर 2022 में 8249 तक मामले सामने आए।
  • उत्तर प्रदेश में 6280 से बढ़कर 2022 में 10,117 मामले रिपोर्ट किए गए।

इसके अलावा, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु, और गुजरात जैसे राज्यों में भी साइबर अपराधों की संख्या में इजाफा देखा गया। इस आंकड़े से यह स्पष्ट है कि साइबर अपराधों के मामले सभी राज्यों में बढ़े हैं, जिससे यह सवाल उठता है कि इन अपराधों को नियंत्रित करने के लिए सरकार की ओर से क्या प्रयास किए जा रहे हैं।

सरकार द्वारा उठाए गए कदम: साइबर सुरक्षा नीति और जागरूकता कार्यक्रम

साइबर अपराधों के बढ़ते मामलों के बीच सरकार ने कई महत्वपूर्ण नीतिगत पहलें की हैं। इन पहलों का उद्देश्य न केवल साइबर अपराधों की पहचान करना, बल्कि उनका निवारण भी करना है।

1. राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति

भारत सरकार ने राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति को लागू किया है, जिसका मुख्य उद्देश्य साइबर सुरक्षा के लिए एक मजबूत ढांचा तैयार करना है। इस नीति का उद्देश्य साइबर अपराधों से सुरक्षा के उपायों को मजबूत करना, साइबर जागरूकता फैलाना और साइबर अपराधों को रोकने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर निगरानी बढ़ाना है।

2. साइबर सुरक्षा अभियान

सरकार ने साइबर जागरूकता अभियान चलाया है, जिसके तहत नागरिकों को साइबर अपराधों से बचने के उपायों के बारे में जानकारी दी जाती है। यह अभियान विशेष रूप से सोशल मीडिया, ई-मेल और ऑनलाइन भुगतान से जुड़े धोखाधड़ी के मामलों को लेकर जागरूकता फैलाता है।

3. राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल

साइबर अपराधों की रिपोर्टिंग के लिए एक राष्ट्रीय पोर्टल की शुरुआत की गई है, जहां नागरिक साइबर अपराधों की शिकायत कर सकते हैं। इससे अपराधों की त्वरित रिपोर्टिंग और उनका समाधान संभव हो पा रहा है।

इन पहलों से प्राप्त परिणाम भी सकारात्मक रहे हैं। उदाहरण के लिए, नागरिकों में साइबर सुरक्षा को लेकर जागरूकता बढ़ी है, और साइबर अपराधों की रिपोर्टिंग में भी इजाफा हुआ है। इसके साथ ही, सरकार ने डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर साइबर सुरक्षा के उपायों को बढ़ाया है, जिससे ऑनलाइन अपराधों पर काबू पाया जा रहा है।

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर साइबर अपराधों से निपटने के उपाय

साइबर अपराध सिर्फ राष्ट्रीय समस्या नहीं है, बल्कि यह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी एक बड़ी चुनौती बन चुकी है। इन अपराधों का दायरा राष्ट्रीय सीमाओं से परे है, और इन्हें नियंत्रित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बेहद जरूरी है।

1. अंतर्राष्ट्रीय सहयोग

भारत ने कई देशों के साथ साइबर सुरक्षा समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके अंतर्गत साइबर अपराधों की रोकथाम के लिए जानकारी का आदान-प्रदान, तकनीकी सहयोग, और जांच-पड़ताल की प्रक्रियाओं को साझा किया जाता है। इसके परिणामस्वरूप, भारत ने कई साइबर अपराधियों को अन्य देशों से वापस लाने में सफलता हासिल की है।

2. साइबर अपराधों के खिलाफ वैश्विक नीति निर्माण

भारत ने साइबर अपराधों के खिलाफ वैश्विक नीति निर्माण में भी अपनी भूमिका निभाई है। भारत के प्रयासों से संयुक्त राष्ट्र ने साइबर सुरक्षा को वैश्विक स्तर पर एक गंभीर मुद्दा माना है, और कई देशों के साथ मिलकर नीति बनाने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं।

3. कानूनी और तकनीकी पहल

भारत सरकार ने कानूनी और तकनीकी पहलें भी की हैं, जिनके माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय साइबर अपराधों की पहचान और निवारण में मदद मिल रही है। इसमें संयुक्त रूप से साइबर पुलिस नेटवर्क की स्थापना और डिजिटल फोरेंसिक्स के उपाय शामिल हैं।

साइबर अपराधों की निगरानी के लिए पद्धतियां

साइबर अपराधों की निगरानी के लिए सरकार ने कई तकनीकी पद्धतियों को लागू किया है। इनमें साइबर सुरक्षा के लिए निगरानी सॉफ़्टवेयर, डेटा एनालिटिक्स टूल्स, और ऑनलाइन ट्रैकिंग सिस्टम शामिल हैं। इन तकनीकों की मदद से साइबर अपराधियों के नेटवर्क की पहचान करना और उन्हें पकड़ना संभव हो रहा है।

1. राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा कोर्डिनेशन सेंटर (NCSC)

NCSC साइबर सुरक्षा की निगरानी और अपराधों की पहचान करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह केंद्र साइबर अपराधों से संबंधित खतरों की निगरानी करता है और राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित साइबर हमलों से निपटने के लिए रणनीतियां बनाता है।

2. डेटा एनालिटिक्स

डेटा एनालिटिक्स का उपयोग करके साइबर अपराधों की पहचान की जा रही है। इस प्रक्रिया में साइबर हमलों और धोखाधड़ी के पैटर्न का विश्लेषण किया जाता है, ताकि समय रहते अपराधियों को पकड़ा जा सके।

3. साइबर प्रहरी

सरकार ने साइबर प्रहरी की तैनाती की है, जो विभिन्न डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर अपराधियों की गतिविधियों पर नजर रखते हैं और उन्हें नियंत्रित करने के लिए कार्रवाई करते हैं।

साइबर अपराधों का बढ़ता खतरा देश की सुरक्षा के लिए गंभीर चिंता का विषय बन चुका है। हालांकि सरकार ने कई पहलें की हैं, लेकिन साइबर अपराधों का समाधान एक निरंतर प्रक्रिया है। इसके लिए न केवल राष्ट्रीय स्तर पर, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय सहयोग भी जरूरी है। साइबर सुरक्षा को लेकर सरकारी प्रयासों की सफलता इसी बात पर निर्भर करेगी कि हम तकनीकी विकास और जागरूकता के साथ कितनी तेजी से साइबर अपराधों पर नियंत्रण पा सकते हैं।

Spread the love

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here