1943 ई. में लार्ड वेवल वाइसराय बनकर आया, जो 1947 तक रहा। यह हिंदुस्तान का पहला फौजी वाइसराय था। इसकी यादगार में दिल्ली के बड़े स्टेशन के सामने फौजियों के लिए वेवल केंटीन खोली गई थी, जिसमें 1947 के सांप्रदायिक दंगों में शरणार्थी रहे और अब वहां सार्वजनिक पुस्तकालय है।
लार्ड वेवल का काल भी ऐतिहासिक घटनाओं से पूर्ण है। इसके जमाने में महायुद्ध ने भयंकर रूप धारण कर लिया। गांधीजी ने आगा खां महल में 21 दिन का उपवास रखा। माता कस्तूरबा की 22 फरवरी 1943 के दिन आगा खां महल में ही मृत्यु हो गई। वहां महादेव भाई और माता कस्तूरबा की समाधियां बनी हुई हैं। मई 1945 में गांधीजी को रिहा किया गया। महायुद्ध भी समाप्त हो गया और इंग्लैंड में लेबर पार्टी की हुकूमत आ गई, जिसने भारत को आजादी देना मंजूर किया और उसी की तैयारियां होने लगीं। लार्ड वेवल के जमाने की सबसे बड़ी घटना बंगाल का अकाल था, जिसमें तीस लाख लोग भूख से मर गए। इसी के समय में भारत की इंटेरिम हुकूमत बनी। श्री जवाहरलाल नेहरू इसके पहले प्रधानमंत्री बनाए गए।