-मयूर विहार में दालचंद कश्यप की टिक्की के दीवाने सात समुंदर पार भी

-सिंगापुर, फिलीपींस समेत थाईलैंड में भी जलवा बिखेर चुके हैं दालचंद

कोई आलू टिक्की की तारीफ करते नहीं थकता तो किसी को पापड़ी गोलगप्पे पसंद आते हैं। मूंग की दाल का चिला तो कमोबेश सबका फेवरिट है। उपर से देशी घी में बनी टिक्की.उफ स्वाद के शौकीनों के मुंह पर तो मानों ताला लग जाता है। एक बारगी खाने का सिलसिला शुरू होता है तो प्लेट खाली होने तक बातचीत, अजी बिल्कुल नहीं। जी हां मयूर विहार स्थित सोहनलाल दालचंद कश्यप मंगला चाट वाले की दुकान स्वाद के शौकीनों की ठौर है। दिल्ली समेत फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड में फूड फेस्टिवल में सम्मानित दालचंद की प्रसिद्धी सात समुंदर पार पहुंच चुकी है।

पुरानी दिल्ली से शुरू हुआ सफर

दालचंद कश्यप कहते हैं कि पहले हमारा परिवार पुरानी दिल्ली में रहता था। दादा पूरनचंद जगत सिनेमा के पास टिक्की की दुकान चलाते थे। इसके पास पिता रामचरन डिलाइट सिनेमा के पास दुकान लगाने लगे। पुरानी दिल्ली का होने के कारण लोगों को चटपटे स्वाद से रूबरू कराने का शौक बचपन में ही था। किन्हीं कारणों से परिवार को पुरानी दिल्ली छोड़ मयूर विहार की तरफ रुख करना पड़ा। फिर क्या था पुरानी दिल्ली से स्वाद का जो पिटारा लिया था वह मयूर विहार में खोला।

देशी घी में लिपटा स्वाद

दालचंद कश्यप कहते हैं कि टिक्की, पापड़ी गोलगप्पा, आलू टिक्की, आलू चाट, मूंग की दाल का चिला, पाव भाजी बनाते हैं। ये सभी देशी घी में बनाई जाती है। सफाई का पूरा ध्यान रखा जाता है। यहां की चटनी का भी कोई तोड़ नहीं हैं। खट्टी मिट्ठी धनिया की चटनी लोग बार बार लेकर खाते हैं। बकौल दालचंद हमारी टिक्की कुरकुरी होती है जो खाने में अच्छी लगती है। कहते हैं, समय समय पर हम दिल्ली समेत देश के अन्य हिस्सों में आयोजित होने वाले फूड फेस्टिवल में शरीक होते हैं। ललित होटल, लीला होटल में भी इनकी चाट स्वाद के झंडे गाड़ चुकी है। कहते हैं एक बार फूड फेस्टिवल में प्रसिद्ध सेफ संजीव कपूर ने उनकी टिक्की चखी थी। वो इतने प्रभावित हुए कि दोबारा लेकर खाए और स्वाद की जमकर तारीफ की। जेपी नड्डा भी टिक्की का स्वाद चख चुके हैं। उन्होंने साफ-सफाई से बनाने एवं देशी घी में बनी टिक्की के लाजवाब स्वाद के लिए तारीफ भी की थी। प्लेट में उपर से प्याज, पत्ता गोभी, गाजर के साथ सर्व किया जाता है।

विदेशों में भी पसंद करने वाले

दालचंद कहते हैं कि सिंगापुर, फिलीपींस और थाईलैंड में आयोजित फूड फेस्टिवल में भी वो शरीक हुए थे। फिलीपींस में कई देशों के बीच जबरदस्त मुकाबला हुआ था जहां उन्हें नंबर 1 घोषित किया गया। बकौल दालचंद विदेश में टिक्की खूब पसंद की गई। लोगों ने जमकर खाया और नंबर 1 के खिताब से नवाजा। लोग यह पूछने भी आ रहे थे कि आखिर मैं टिक्की कैसे बनाता हूं। कई तो कागज-पेन लेकर आ गए थे। कहते हैं, 1947 से पहले की यह दुकान लोगों के बीच नए कलेवर में मौजूद हैं और लोग पसंद कर रहे है।

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