हाइलाइट्स
- 2002 में आठ किलोमीटर लंबे ट्रैक से शुरू हुआ था मेट्रो का सफर
- लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में भी दर्ज है नाम
- -सात मंजिला मकान की ऊंचाई तक पहुंची मेट्रो
दिल्ली मेट्रो (Delhi Metro) जिस रूट से गुजरी वहां की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक विरासत को अपने अंदर समाहित कर खालिस लोकल हो गई। तभी तो हेरिटेज लाइन के स्टेशन मुगलों की शानो शौकत बयां करते हैं तो नई दिल्ली (new delhi) से गुजरती मेट्रो, लुटियंस की दिल्ली की कहानी सुनाती है। भला कौन युवा आकांक्षाओं संग सफर पर निकली विश्वविद्यालय (delhi university) रुट की मेट्रो का सफर भूल पाता होगा। सन 2002 में आठ किलोमीटर की लंबाई से सफर शुरू करने वाली मेट्रो अब दिल्ली के हर कोने को एक दूसरे से जोड़ने में लगी है। इस कड़ी में दिल्ली मेट्रो एक के बाद एक नित नये रिकार्ड (Delhi metro world records) बना रही है।
–लिम्का बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज नाम
दिल्ली मेट्रो का नाम लिम्का बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड में भी दर्ज है। मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने नोएडा-ग्रेटर नोएडा कॉरिडोर पर सिर्फ एक महीने के भीतर 200 गार्डर खड़े करके लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड बनाया। इस कॉरिडोर की लंबाई 30 किमी है और इस रूट पर 21 स्टेशन बनाए गए हैं। इन गार्डर की लंबाई 27 मीटर और चौड़ाई 5 मीटर चौड़ाई है। भारत में किसी भी मेट्रो लाइन पर एक महीने में बनाए गए गार्डर की यह सबसे अधिक संख्या है। मेट्रो अधिकारी कहते हैं कि 350 से 400 टन वजन वाले इन गार्डर की ढुलाई के लिए विशेष ट्रेलर लगाए गए थे। यह पूरी तरह एलिवेटिड कॉरिडोर है, यह कॉरिडोर स्टैंडर्ड गेज पर है और यह डेडिकेटिजड रेल फ्रंट कॉरिडोर के नीचे से गुजरता है। नोएडा-ग्रेटर नोएडा कॉरिडोर को भविष्य में बनने वाले नोएडा सिटी सेंटर से सेक्टर 62 तक जोड़ा जाएगा।
-सात मंजिला मकान की ऊंचाई तक पहुंची मेट्रो
दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन ने इंजीनियरिंग का बेहतरीन नमूना पेश करते हुए नए आयाम छुआ है। मेट्रो ने अब तक के सबसे ऊंचे ट्रैक पर ट्रायल भी सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। तीसरे चरण के तहत 59 किलोमीटर लंबाई वाला मजलिस पार्क-शिव विहार कॉरीडोर बन रहा है। इसके साउथ कैंपस और दिल्ली कैंट मेट्रो स्टेशन के बीच का ट्रैक सबसे ऊंचा है, जो कि धौलाकुंआ के पास एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन के ऊपर से गुजर रहा है, ट्रैक की ऊंचाई 23.6 मीटर है। यह सात मंजिला इमारत के बराबर है। इससे पहले कड़कड़डूमा के पास 19 मीटर ऊंचाई तक का ट्रैक बन चुका है। इसे बनाने में न ही एयरपोर्ट लाइन मेट्रो को रोका गया और न ही रिंग रोड-सरदार पटेल के बीच यातायात बाधित हुआ। ट्रैक में तीन स्तरीय यातायात व्यवस्था दिखाई देगी। सबसे नीचे सड़क, उसके ऊपर एक्सप्रेस लाइन और उसके ऊपर तीसरे चरण की नई मेट्रो लाइन। इसमें छह सिविल इंजीनियर, दो सेफ्टी एक्सपर्ट और अन्य डिपार्टमेंट के भी इंजीनियरों को लगाया गया।
–बिन चालक मेट्रो ने रफ्तार भर बनाया कीर्तिमान
अगामी पिंक लाइन (शिव विहार-मजलिस पार्क) पर बिना चालक वाली मेट्रो चलाने के साथ ही मेट्रो ने अपने खाते में एक नया कीर्तिमान रचा। पिंक लाइन पर दौड़ने वाली मेट्रो में कोई चालक नहीं रहेगा। पिंक लाइन मेट्रो की सबसे लंबी लाइन है और इसकी लंबाई 58 किलोमीटर है, इसपर कुल 38 स्टेशन हैं। शुरुआती परीक्षण शकूरपुर-मायापुरी सेक्शन के 6.5 किलोमीटर के शुरुआती हिस्से में किया गया। जिनमें से शकूरपुर, पंजाबी बाग (पश्चिम), ईएसआई अस्पताल, राजौरी गार्डन और मायापुरी लाइन पर यह परीक्षण किया गया। इस रिकार्ड के बनने पर हर दिल्लीवासी खुशी से फूला नहीं समा रहा। डीएमआरसी के प्रवक्ता की मानें तो इसमें सीबीटीसी टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया गया है जो सिग्नलिंग के मामले में विभिन्न दिशाओं से आने वाली ट्रेनों के बीच समन्वय में सुधार करेगी, जिससे ट्रेन की फ्रीक्वेंसी में बढ़ोत्तरी होगी।
–दुनिया की पहली ग्रीन मेट्रो का तगमा
दिल्ली मेट्रो ने सिंगापुर समेत अन्य विकसित देशों को पछाड़ ग्रीन मेट्रो का तगमा हासिल किया है। यह दुनिया की पहली ऐसी मेट्रो है जिसकी सारी इमारतें इको फ्रेंडली है। बकौल अधिकारी भारत में 300 से अधिक मेट्रो स्टेशन ग्रीन बिल्डिंग के मानकों को पूरा करते हैं। इसमें भी डीएमआरसी दुनिया की पहली ग्रीन मेट्रो है जिसके न केवल स्टेशन बल्कि आवासीय पपरिसर भी ग्रीन सिस्टम पर खरे उतरते हैं। फेज-3 में शुरू हुए 19 मेट्रो स्टेशनों के साथ ही डिपो, सब-स्टेशन और मेट्रो की दस आवासीय कॉलोनियों को भी इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल की तरफ से सर्वोच्च रेटिंग ‘प्लेटिनम दी गई। दिल्ली मेट्रो ने कॉर्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन को सालाना 5.72 लाख टन कम किया है – द्वारका सेक्टर 21 मेट्रो स्टेशन 500 किलोवाट सौर ऊर्जा का उत्पादन करता है। इसका प्रयोग डीएमआरसी अपनी विभिन्न जरूरतों के लिए करता है
-स्मार्ट टोकन देनी वाली दुनिया की पहली मेट्रो
दिल्ली मेट्रो ने समय के साथ दिल्लीवासियों के सहयोग ने नित नये प्रयोग भी किए जो सफल हुए। इन्हीं में से एक प्रयोग था पेपर टिकट बंद करना। मेट्रो ने पेपर टिकट बंद कर कांटेक्ट लेस स्मार्ट टोकन और कांटेक्ट लेस स्मार्ट कार्ड इश्यू किया। हेरीटेज लाइन के लाल किला मेट्रो स्टेशन इसका प्रयोग स्थल बना। इसे धीरे-धीरे सभी स्टेशनों पर बढ़ाया जाएगा। आईटीओ से कश्मीरी गेट तक के स्टेशनों पर 36 मशीनें लगायी जा रही हैं. इस साल के आखिर तक पूरे मेट्रो नेटवर्क में 400 स्टेशनों पर इसतरह की कैशलेस मशीनें लगाने की योजना है। अधिकारी कहते हैं कि मेट्रो विश्व की पहली मेट्रो रेल थी जिसने ये कदम उठाया।
–दक्षिण एशिया का मार्डन म्यूजियम पटेल चौक
दिल्ली में मेट्रो निर्माण की नींव कैसे पड़ी? वह कहां से शुरू हुई? किन तकनीकी का इस्तेमाल हुआ? दिल्ली जैसी घनी आबादी वाले शहर में निर्माण के दौरान क्या मुश्किलें आई? विरासत में शामिल इमारतों के पास से मेट्रो कैसे गुजरी? मेट्रो के इतिहास से जुड़े इन सवालों के जवाब और कुछ अनसुनी कहानियां अब आने वाली नई पीढ़ी भी देख, सुन और समझ सके इसके लिए पटेल चौक मेट्रो स्टेशन पर संग्रहालय बनाया गया। मेट्रो का यह संग्रहालय दक्षिण एशिया के आधुनिक संग्रहालयों में गिना जाता है। यही नहीं अब मेट्रो लंदन और शंघाई के तर्ज पर म्यूजियम बनाने की योजना बना रहा है। लंदन में दुनिया का पहला मेट्रो म्यूजियम बना था, क्योंकि मेट्रो की शुरुआत भी लंदन से 1863 में भाप इंजन के साथ हुई थी।
–यात्रियों के भरोसे ने बनाया अनोखा रिकार्ड
दिल्लीवालों का मेट्रो पर जबरदस्त भरोसा है, शायद यही कारण है कि मेट्रो के खाते में ग्रीन मेट्रो के साथ ही एक अनोखा रिकार्ड भी जुड़ा है। यह रिकार्ड है यात्रियों के सफर का। गत वर्ष 17 अगस्त को दिल्ली मेट्रो में रिकॉर्ड 33.61 लाख यात्रियों ने सफर किया, जो एक रिकार्ड था। इस दिन दिलशाद गार्डन से रिठाला- 4.56 लाख, समयपुर बादली से हुडा सिटी 11.68, द्वारका से नोएडा/वैशाली 12.03 लाख, इद्रलोक, कीर्ति नगर से मुंडका 1.49, आइटीओ से एस्कॉर्ट्स मुजेस्सर 3.35, एयरपोर्ट मेट्रो लाइन 48 हजार से ज्यादा यात्रियों ने सफर किया। इन सबकी उम्मीदों पर खरा उतरते हुए मेट्रो ने लोगों को गंतव्य तक पहुंचाया।
–मेट्रो का सबसे गहरा सुरंग
मेट्रो ने दिल्ली में अपने सफर के दौरान कई सुरंग बनाई। अब तक मेट्रो 35 से ज्यादा सुरंगे बना चुकी है। सबसे गहरी सुरंग हौजखास मेट्रो स्टेशन पर बनी है। हौज खास में मजेंटा लाइन के लिए नई सुरंग का निर्माण कराना चुनौती भरा काम था। क्योंकि पीली लाइन (समयपुर बादली-गुरुग्राम) पर स्थित वर्तमान हौज खास मेट्रो स्टेशन जमीन से 17 मीटर की गहराई पर बना हुआ है। इस वर्तमान स्टेशन की नींव 32 मीटर तक गहरी है। यहां ¨रग रोड पर फ्लाईओवर भी है। इसलिए वर्तमान स्टेशन के नीचे 42 मीटर की गहराई पर नया स्टेशन बनाना पड़ता, जो बहुत मुश्किल काम था। इसलिए डीएमआरसी ने वर्तमान स्टेशन के नजदीक पांच स्तरीय नए भूमिगत स्टेशन का निर्माण कराया है। वहां सुरंग 29 मीटर गहरी है। नवनिर्मित स्टेशन के आगे यह सुरंग तीन मीटर तक पीली लाइन की वर्तमान सुरंग के नीचे से गुजर रही है। हौज खास में जहां सुरंग के नीचे से नई सुरंग का निर्माण कराया है। वहीं पिंक लाइन (मजलिस पार्क-शिव विहार) पर नए आइएनए मेट्रो स्टेशन के पास वर्तमान सुरंग के ऊपर से सुरंग का निर्माण कराया है।
-दुनिया की सर्वाधिक गति से बढ़ती लंबाई
साल 2002 में आठ किलोमीटर की लंबाई से अपनी यात्रा शुरू करने वाली दिल्ली मेट्रो अब 218 किमी की दूरी रोज तय करती है। शुरुआती 30 हजार यात्रियों की संख्या अब 30 लाख हो चुकी है, पर मांग है कि कम ही नहीं होती। यात्री सुविधाओं व संतुष्टि के मामले में यह विश्व की तीसरे नंबर की मेट्रो है।