-पब्लिक में गोल्फ क्लब, भूतों का बसेरा नाम से प्रसिद्ध

जितनी मुंह,उतनी बातें। जी हां डॉ जाकिर हुसैन मार्ग पर स्थित दिल्ली गोल्फ क्लब के बारे में कई कहानियां प्रचलित है। कोई इसे भूतों का बसेरा कहता है तो किसी को यहां रात में रानी लाल कंवर की आत्मा दिखाई देती है। इतिहासकार आरवी स्मिथ कहते हैं कि जिस जगह दिल्ली गोल्फ क्लब को लाल बंगला भी कहते हैं। कारण, यहां मुइजुद्दीन जहंदरशाह की बेगम लाल कंवर की कब्र है। हालांकि कई लोग लाल बंगला में शाह आलम की बेटी बेगम जान की कब्र कहते हैं। लाल कंवर नृत्य में पारंगत थी। कहते हैं एक बार जहंदरशाह उन्हें लेकर लाहौर गए और दिवाली पर पूरे शहर का सरसो का तेल खरीद लिया। वैसी दिवाली लाहौर में कभी फिर नहीं मनाई गई। बाद में जहंदरशाह को उनके भतीजे ने आगरा के युद्ध में परास्त किया। जब जहंदरशाह दिल्ली आ रहे थे तो रास्ते में बदमाशों ने घेर लिया। यहां सम्राट की हत्या कर दी गई। बाद में रानी की मौत के बाद उन्हें लाल बंगला में ही दफन किया गया। लोग आज भी बिल्डिंग से अजीबो गरीब आवाजें आने की बात कहते हैं। हालांकि गोल्फ क्लब इसे सिरे से नकार देता है। पदाधिकारी कहते हैं कि 1928 में नई दिल्ली आधिकारिक रूप से अस्तित्व में आया। उन दिनों दिल्ली में दो गोल्फ कोर्स थे। जिस जगह वर्तमान में डीयू नार्थ कैंपस हैं वहां और दूसरा इंडिया गेट, सेंट्रल बिस्टा और प्रिंसेस पार्क के स्थान पर। सर एडविन ने नई दिल्ली स्थित गोल्फ क्लब को शिफ्ट करने की योजना के तहत बागवानी विभाग के प्रमुख की देखरेख में कमेटी गठित की। कहते हैं कि प्रमुख अपने दोस्त के हाथी पर बैठकर उस समय जगह ढूंढने निकले थे। बाद में उन्हें यह जगह काफी पसंद आयी। सन 1951 में वर्तमान गोल्फ क्लब अपने अस्तित्व में आया। यहां से कई अर्जुन अवार्डी गोल्फर निकले हैं, जिनमें पीजी सेठी, एएस मलिक, आरके पीतांबर, अंजलि एन देसाई, विक्रमजीत सिंह, अली शेर, शिव कपूर, अर्जुन अटवाल इत्यादि शामिल है।

अमेरिकी फिल्म फेस्टिवल में छाया भलस्वा गोल्फ कोर्स

भलस्वा गोल्फ कोर्स की स्थापना वर्ष 2003 में दिल्ली विकास प्राधारिकरण ने की थी। डीडीए ने इस कोर्स की स्थापना इस उद्देश्य से की थी कि इस खेल को भी बढ़ावा मिले और दूसरे चर्चित खेलों की तरह गोल्फ को भी ज्यादा से ज्यादा लोग पसंद करें। भलस्वा गोल्फ कोर्स के कोच राजेश कुमार के अनुसार वर्ष 1990 से पहले ये खेल अमीरों का खेल ही माना जाता था, क्योंकि इस खेल के उपकरण काफी महंगे होते हैं। हालांकि समय के साथ उत्पाद सस्ते हुए। 90 के दशक के बाद कई देशों में खेल प्रसिद्ध हो गया। दरअसल, इस खेल का सबसे अहम पहलू यही कड़ी है, जब आर्थिक रूप से गोल्फ के उपकरण सस्ते हुए तो अपने आप ही इस खेल के प्रति लोगों का रूझान हुआ। पूरे विश्र्व में वही दौर था, जब से इस खेल के प्रति सभी का रूझान बढ़ा।

पांच वर्षों में खेलने वालों का बढ़ा रुझान

भलस्वा गोल्फ कोर्स के सेक्त्रेटरी करनल ए के नाग कहते हैं कि हाल के पांच वर्षो में यहां खेल प्रेमियों की तादात बढ़ी है। पहले यहां पर हर रोज के हिसाब से 8-10 गोल्फ खेलने वाले ही आया करते थे, लेकिन अब यहां पर शनिवार और रविवार को 40 से 50 लोग खेलने आते हैं और बाकी 5 दिनों में 15 से 20 लोग यहां पर हर रोज आते हैं। यहां गोल्फ क्लब हाउस का भी निर्माण किया गया है। जिसके बाद से यहां पर बड़ी संख्या में लोगों का खेलना शुरु हुआ। राजेश कुमार बड़े फक्र के साथ कहते हैं कि 100 लोगों को उन्होंने गोल्फ सिखाया जिसमें से 30 राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी निकले। उनमें से ज्यादातर चर्चित हस्तियों में शामिल हैं और उन्हीं हस्तीयों में से ऐसे 10 हैं जो हर रोज इस गोल्फ कोर्स में आकर सिखतें हैं। इनमें कोरपोरेट जगत से, डॉक्टर, उद्योगपत्ति, वकील, जज आदि आते हैं। कर्नल रनवीर सिंह दलाल, चांद तुलस्यांग, समीर कूपर, योगेश गुप्ता, डॉ राजीव गोयल, डॉ बी बनटा, डॉ अतुल वसीन, जज संजीव अग्रवाल, वकील प्रदीप राणा, वकील सौरभ कालियां, रीशी सचदेवा, वीवेक अग्रवाल, राजन सूत, डॉ राजेंद्र यादव, डॉ सुरेश काली, ए.क निगम आदि हस्तियां यहां यह खेल खेलने आते हैं।

भलस्वा गोल्फ कोर्स में साल में 3 तरह की प्रतियोगिताएं होती हैं। जिनमें पहला वाईस चेयरमेन कप होता हैं, इस बार यहां पर चौथा वीसी कप खेला गया। यह प्रतियोगिता में सिर्फ दिल्ली के 200 खिलाड़ी ही हिस्सा लेते हैं। दूसरा 4 महीने में एक बार खेली जाती हैं जिसे स्वतंत्रा दिवस के दिन, गणतंत्र दिवस के दिन और गांधी जी के जन्मदिवस के दिन खेला जाता हैं। तीसरी प्रतियोगिता जिसका नाम फस्ट ओपन अमेचर टूरनामेंट है। इस प्रतियोगिता में पूरे देश से चुने 90 प्रतियाशी भाग लेते हैं। इस जगह पर 2 बार ही शूटिंग कि गई है। पहली बार 2015 में एक विज्ञापन के लिए यहां पर शूटिंग कि गई थी। उसके बाद यहां पर वर्ष 2016 में शूटिंग की गई थी। वो भी विज्ञापन के तौर पर शूटिंग की गई थी। जिसे अमेरिका के फिल्म फेस्टीवल में दर्शाया भी गया था।

उपराज्यपाल भी कुतुब रोड गोल्फ खेलते हैं गोल्फ

ओलंपिक में गोल्फ को शामिल किए जाने के बाद इस खेल को लेकर बच्चों व युवाओं में भी क्रेज बढ़ा है। अब तो कई स्कूल के पाठ्यक्रम में भी गोल्फ को शामिल किया है। दक्षिणी दिल्ली स्थित कुतुब गोल्फ क्लब में जहां बच्चों के लिए अलग से कोचिंग की व्यवस्था की गई है। वहीं, पे एंड प्ले योजना के तहत उन लोगों को भी गोल्फ खेलने की व्यवस्था की गई है, जो वीक एंड में गोल्फ खेलेन की इच्छा रखते हैं। कुतुब गोल्फ क्लब के सचिव पूर्व एयर कमांडर एनपीएस डालमी ने बताया कि इस क्लब की शुरूआत वर्ष 2000 में हुई थी। यहां पर उपराज्यपाल टूर्नामेंट और कैग टूर्नामेंट के अलावा कई निजी कंपनियों के टूर्नामेंट आयोजित किए जाते हैं। वर्ष 2016 से भूत पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में टूर्नामेंट आयोजित की जा रही है। वहीं, क्लब के मैनेजर सुरेश चंद्र लोहिया ने बताया कि यह गोल्फ क्लब करीब 110 एकड़ में फैला हुआ है। यहां पर देश के कई जाने माने हस्ती आते हैं। दिल्ली के वर्तमान उपराज्यपाल अनिल बैजल, पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग, दिल्ली के पूर्व आयुक्त बीएस बस्सी, क्रिकेटर मुरली कार्तिक, अजय जडेजा के साथ-साथ चीन, बेल्जियम, दक्षिण अफ्रीका, वियतनाम के अलावा कई अन्य देश के राजदूत समय-समय पर गोल्फ ोलने के लिए आते हैं। सरकारी अधिकारियों के लिए दो ला ा 32 हजार रुपये और अन्य लोगों के लिए आठ ला ा 26 हजार रुपये लाइफ टाइम की फीस है। वहीं, पे एंड प्ले योजना के तहत गोल्फ खेलने के इच्छुक लोग सोमवार से शुक्रवार तक 300 रुपये और शनिवार व रविवार को 600 रुपये का भुगतान कर इस क्लब में खेल सकते हैं। हालांकि, गर्मी के अलावा सर्दी के मौसम में गोल्फ खेलने वालों की संख्या अधिक होती है।

सिरीफोर्ट में महिलाओं व बच्चों के लिए खास

सिरी फोर्ट खेल परिसर स्थित सिरी फोर्ट गोल्फ क्लब की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां पर बच्चों व महिलाओं के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं। यहां पर कई नौकरशाह खेलने के लिए आते हैं। इस क्लब में बच्चों और महिलाओं के लिए समय-समय पर टूर्नामेंट आयोजित किए जाते रहते हैं।

सिरी फोर्ट के मैनेजर योगेंद्र सिंह ने बताया कि यहां पर गोल्फ के राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी शिव कुमार, डीडीए के पूर्व उपाध्यक्ष यूपी सिंह, पूर्व सीबीआइ निदेशक रंजित सिन्हा, आइपीएस संजय भाटिया, मधुर वर्मा, क्रिकेटर मुरली कार्तिक, मदनलाल, अमन दीप जोहिल समेत कई अन्य नौकरशाह व देश के राजदूत आते हैं। योगेंद्र का कहना है कि इस खेल को करीब 10 साल पहले उच्च आय वर्ग के लोगों का खेल माना जाता था, लेकिन स्कूली बच्चों के बीच भी लोकप्रिय बनाता जा रहा है।

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