पांच सितारा होटलों में स्वाद के शौकीनों को लाजवाब जायका खिलाने वाले देवेंद्र सिंह (litti man) बिहार (bihar) की मिट्टी की खुशबू से दिल्ली को सुगंधित करना चाहते थे। लिहाजा, विशाल मेगा मार्ट की मोटी सैलरी वाली नौकरी छोड़ लिट्टी चोखे की दुकान खोली। चंद सालों में लिट्टी इस कदर फेमस हुई कि देवेंद्र मिस्टर लिट्टीवाले के नाम से ही जाने जाने लगे। लक्ष्मीनगर, मंडावली, निजामुद्दीन, आनंदविहार ही नहीं दिल्ली के में स्वाद के शौकीनों के बीच मिस्टर लिट्टीवाला कुछ इस तरह प्रसिद्ध है कि तीज त्योहार पर इनकी बनाई लिट्टी ना मिले तो अधूरापन लगता है। तभी तो क्या नेता, क्या अभिनेता सभी इनकी लिट्टी का स्वाद चखने आते हैं।


मेडिकल की तैयारी

देवेंद्र कुमार सिंह मूलरूप से बिहार के छपरा जिले के रहने वाले हैं। कहते हैं कि 1992 में 10वीं पास करने के बाद मेडिकल की तैयारी करने लगा। पांच साल तक तैयारी के बाद बीआईटी एग्रीकल्चर में सलेक्शन भी हो गया। कालेज भी बिहार में ही मोतिहारी में मिल रहा था। लेकिन मुझे जंचा नहीं। बाद में मैंने लक्ष्य बदला और होटल मैनेजमेंट करना चुना। उम्मीद थी इसमें जल्दी और अच्छा रोजगार मिलेगा। पैसा कमाकर परिवार की हर जरूरत पूरी करुंगा। रांची से होटल मैनेजमेंट किया और 1999 में दिल्ली आया। साल 1998 में अशोका होटल में ट्रेनिंग के लिए प्लेसमेंट हुआ, जो छह महीने के लिए था। ट्रेनिंग पूरी करने के बाद रांची वापस गया। पढ़ाई पूरी की एवं पास होते ही कॉन्ट्रेक्ट के आधार पर काम सीखने के लिए दिल्ली का अशोका होटल दोबारा ज्वाइन किया। एक साल वहां काम सीखा-यहां कॉमी का रोल मिला, जिसमें आटा गूंथने से लेकर सब्जियां काटना, रसोईघर की साफ-सफाई करना, कोयला जलाना, जैसे काम किए। ये बात 2002 की है। एक किचन हेल्पर की तरह काम करने के बाद ताज में नौकरी लगी। वहां एक साल काम किया। पैसा अच्छा मिला तो होटल ग्रैंड हयात ज्वाइन किया। ये साल 2003 की बात है। सीडीपी (टेबल पर ऑर्डर लगाने वाला व्यक्ति) की तरह काम किया। डेढ़ साल ऐसे ही बीत गया। लेकिन होटल बंद हो गया।

2003 में शादी के बाद विशाल मेगामार्ट में नौकरी मिली। यहां मैंने पूरे भारत में करीब 55 फूड कोर्ट खोले। मोटे तौर पर समझाऊं तो विशाल मेगामार्ट में फूड कोर्ट की चैन मैंने खोली। यहां सात साल, 2010 तक काम किया। इसमें बेकरी से लेकर छोले-भटूरे, साउथ इंडियन, नॉर्थ इंडियन, चाइनीज हर तरह के खाने की दुकान खोली। 1999 से 2010 तक 11 सालों में बड़े-बड़े होटलों में काम किया। खूब फूड कोर्ट खोले, ठेलों के चाट-पकौड़े भी खाए लेकिन कभी-भी किसी अच्छे बड़े साफ-सुथरे रेस्त्रां के मेन्यू में मैंने लिट्टी नहीं देखी थी। तभी जहन में बैठा लिया था देश की राजधानी दिल्ली में लिट्टी चोखा को ब्रांड बना मशहूर करुंगा। साल 2010 में नौकरी छोड़ी, तब 70 हजार तन्ख्वाह थी। पहला आउटलेट लक्ष्मी नगर(अब मंडावली में) में खोला। खुद के दम पर इस कपंनी को खड़ा किया। लोग हंसे, मजाक उड़ाया लेकिन मैंने किसी की नहीं सुनी। सालभर में काम जमने लगा था। सभी से सराहना मिली, परिवार ने खुली बांहों से स्वागत किया।


ऐसे बनाते हैं लिट्टी चोखा

देवेंद्र कहते हैं कि लिटटी बनाने के लिए विशुद्ध देशी तरीका अपनाते हैं। मसलन आटे में नमक और अजवाइन मिलाया जाता है।फिर उसे अच्छी तरह गूंथा जाता है। सत्तू, चने का बनता है। इसमें सरसों का तेल, नींबू, नमक, अदरक, लहसुन, हरी मिर्च मिलाते हैं। फिर तैयार किए गए सत्तू को आटे में भरकर गोल-गोल बनाते हैं। ग्राहकों की पसंद के अनुसार कोयले पर सेंककर या फिर देशी घी में डुबाकर लिट्टी परोसते हैं। यहां चोखा भी देशी तरीके से ही बनता है। आलू, बैंगन और टमाटर को कोयले में तेज आंच पर भूनने के बाद मैश कर इसमें अदरक, लहसुन, हरी मिर्च, सरसों का तेल, नमक, काली मिर्च पाउडर मिलाकर बनाई जाती है। यहां पीली सरसो की चटनी भी बहुत ही लाजवाब होती है।

देवेंद्र कहते हैं कि पीली सरसो को भिगोकर एक दिन नार्मल तापमान में रखते हैं। फिर इसमें मूंगफली मिलाते हैं। सरसों का तेल मिलाकर पीस लेते हैं। इस तरह चटनी तैयार हो जाती है। मूंगफली की वजह से इसका फ्लेवर बहुत ही अच्छा हेा जाता है। स्वाद बढ़ाने के लिए लाल मिर्च पाउडर, आमचूर, नमक भी मिलाते हैं। इससे इसमें खट्टास आ जाती है। इस चटनी को एक दिन के लिए फर्मेंटेशन के लिए रख दें। अगले दिन स्वादानुसार नमक मिलाकर लिट्टी, चोखा और कच्ची प्याज के साथ परोसते हैं। सांसद एवं अभिनेता मनोज तिवारी, पूर्व रेल राज्यमंत्री मनोज सिंहा, पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद नियमित रुप से लिट्टी खाते हैं।

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