दीन दयाल उपाध्याय कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय) जोकि दिल्ली सरकार द्वारा 100% वित्त पोषित हैं, के सभी शिक्षक कर्मचारी और युवा विद्यार्थी 2 दिन से धरने पर बैठने के लिए मजबूर हैं क्योंकि पिछले 4 सालों से उनका वेतन, मेडिकल बिल, बकाया व अन्य भत्ते अनियमित रूप से दिए जा रहे हैं| इस गंभीर समस्या के समाधान के लिए हम लोगों ने कई बार सरकार और दिल्ली विश्वविद्यालय से गुहार लगाई है, परंतु इस विकट स्थिति का कोई समाधान नहीं निकला है| पिछले साल, कुछ ऐसा प्रतीत हो रहा था कि शायद इस गंभीर समस्या का कोई समाधान हो जाए परंतु अभी तक ऐसा कुछ नहीं हुआ है| महीनों से वेतन ना मिलते हुए भी विद्यार्थियों के हित को ध्यान में रखते हुए सभी शिक्षक व कर्मचारी अपनी शैक्षणिक और अन्य प्रशासनिक कार्य निरंतर करते आए हैं|
कोरोना जैसी महामारी की विकट परिस्थिति में भी सभी शिक्षक व कर्मचारियों को वेतन मिलने में 6 महीने का विलंब आया, प्रशंसनीय है कि ऐसे समय में भी सभी साथियों ने पूर्ण निष्ठा से अपनी ऑनलाइन क्लासेस, एग्जाम की ड्यूटी और अन्य सभी काम नियम पूर्वक संपूर्ण किए| वेतन ना मिलने के कारण कोई भी कर्मचारी अपने किसी भी काम से पीछे नहीं हटा है| ऐसी अच्छे तरीके से अपनी ड्यूटी निभाने पर भी हमें हमारा अधिकार जो कि एक नियमित रूप से वेतन मिलने का है, वह नहीं दिया गया है| बहुत से साथी तो ऐसे हैं जिनकी घर की ईएमआई की पेमेंट नहीं हो पा रही है कुछ साथी समय पर अपने घर का किराया देने में असमर्थ हैं| परेशानी इस हद तक बढ़ गई है कि अब बैंक भी पर्सनल लोन देने से मना कर रहे हैं, लोग अपने वर्षों की जमा पूंजी से पैसा निकाल कर घर का खर्च चला रहे हैं| कुछ साथियों को अपना घर बदलना भी पड़ा है क्योंकि वह इतना ज्यादा किराया देने में असमर्थ थे| कुछ कर्मचारियों व कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्त साथियों को अपने बच्चों का स्कूल बदलना पड़ा क्योंकि वे वहां की फीस देने में असमर्थ थे।
परिस्थिति इस हद तक खराब हो गई है कि कॉलेज के दो सीनियर प्रोफेसर जो दिसंबर वह जनवरी के महीने में रिटायर हुए हैं उनके सभी रिटायरमेंट बेनिफिट देने में भी असमर्थ है, ऐसे में एक रिटायर्ड प्रोफेसर तो गंभीर पार्किंसन की बीमारी से पीड़ित है। पूर्ण निष्ठा से अपने सभी कर्तव्यों का निर्वहन करने पर भी जब शिक्षकों व कर्मचारियों को उनका वेतन जो उनका अधिकार है, यदि समय पर ना दिया जाए तो यह न केवल शिक्षकों व कर्मचारियों पर अत्याचार है, अपितु युवा विद्यार्थियों के अधिकारों का भी हनन है क्योंकि अब वह भी अपने शिक्षकों का साथ देने के लिए सड़क पर उतर आए हैं। हम दिल्ली सरकार से अपने कार्य शैली पर मंथन करने का सुझाव देते हैं व इस समस्या का जल्द से जल्द समाधान करने के लिए अनुरोध करते हैं|