भारत की चुनाव प्रक्रिया में मतगणना और परिणाम की घोषणा का महत्व

दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।

Indian Election Process: भारत में चुनाव प्रक्रिया एक जटिल और विस्तृत प्रणाली है, जो चुनाव आयोग (Election Commission of India – ECI) द्वारा नियंत्रित की जाती है। मतगणना के समय से लेकर चुनाव परिणाम की घोषणा तक, हर चरण की सावधानीपूर्वक योजना और प्रबंधन किया जाता है ताकि चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी हों।

चुनाव प्रक्रिया के दौरान ECI के कदम

चुनाव आयोग यह सुनिश्चित करता है कि मतगणना की प्रक्रिया सुचारू रूप से हो और किसी प्रकार की गड़बड़ी न हो। भारत में लोकसभा (Lok Sabha) और राज्य विधानसभा (State Legislative Assemblies) के चुनावों की मतगणना और परिणामों की घोषणा के लिए निम्नलिखित महत्वपूर्ण कदम उठाए जाते हैं:

 1. मतगणना की तैयारी (Preparation for Counting)

– मतदान समाप्त होने के बाद, EVMs (Electronic Voting Machines) को तुरंत सील कर दिया जाता है और उम्मीदवारों के एजेंटों की उपस्थिति में मजबूत सुरक्षा के तहत सुरक्षित कमरों में रखा जाता है।

– इन कमरों की सुरक्षा के लिए पुलिस और अर्धसैनिक बल तैनात रहते हैं, और CCTV कैमरों से पूरे परिसर की निगरानी होती है।

 2. मतगणना केंद्रों पर वोटों की गिनती (Counting at Voting Centres)

– मतगणना पूर्व निर्धारित केंद्रों पर होती है, जो आमतौर पर जिला मुख्यालय या किसी केंद्रीय स्थान पर स्थित होते हैं। बड़ी विधानसभा क्षेत्रों में कई मतगणना हॉल हो सकते हैं।

– मतगणना प्रक्रिया में केवल अधिकृत व्यक्ति जैसे कि EC के अधिकारी, गिनती पर्यवेक्षक, और उम्मीदवारों या उनके प्रतिनिधियों को ही प्रवेश की अनुमति होती है।

3. EVMs का खुलना और VVPAT का मिलान (Opening of EVMs and VVPAT Matching)

– मतगणना के दिन, EVMs को पर्यवेक्षकों और उम्मीदवारों के सामने खोला जाता है। EVMs में तीन प्रमुख भाग होते हैं: बैलेटिंग यूनिट (BU), कंट्रोल यूनिट (CU), और वोटर-वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT)।

– 2019 के बाद से, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, पांच बेतरतीब रूप से चुने गए पोलिंग स्टेशनों की VVPAT पर्चियों का मिलान EVM में दर्ज मतों से किया जाता है, जिससे चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता सुनिश्चित होती है।

 4. परिणामों की घोषणा (Declaration of Results)

– जब सभी राउंड की गिनती पूरी हो जाती है, तब रिटर्निंग ऑफिसर पूरे क्षेत्र के परिणाम संकलित करता है और सबसे अधिक वोट प्राप्त करने वाले उम्मीदवार को विजेता घोषित करता है। इसके बाद विजयी उम्मीदवार को “चुनाव प्रमाण पत्र” प्रदान किया जाता है।

 5. मतों की पुनर्गणना की मांग (Recount Requests)

– यदि कोई उम्मीदवार पुनर्गणना की मांग करता है, तो रिटर्निंग ऑफिसर उसे स्वीकार कर सकता है, खासकर जब अंतर कम हो। यदि विवादित परिणाम सामने आते हैं, तो उम्मीदवार उच्च न्यायालय में चुनाव याचिका दर्ज कर सकता है।

Exit Polls और Opinion Polls का चुनाव प्रक्रिया में महत्व

Exit Polls मतदान के दिन मतदाताओं से पूछे गए प्रश्नों के आधार पर चुनाव परिणामों का पूर्वानुमान करने का प्रयास होते हैं, जबकि Opinion Polls आमतौर पर चुनाव से पहले लोगों की राय जानने के लिए किए जाते हैं। चुनाव आयोग इन सर्वेक्षणों पर कड़ी निगरानी रखता है और सुनिश्चित करता है कि ये चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित न करें।

NOTA का महत्व (None of the Above – NOTA)

चुनावों में मतदाताओं को यह विकल्प मिलता है कि अगर वे किसी भी उम्मीदवार को वोट नहीं देना चाहते, तो वे NOTA बटन दबा सकते हैं। NOTA का मतलब है कि मतदाता किसी भी उम्मीदवार को चुनने के बजाय अपने असंतोष को दर्ज करवा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, यह विकल्प राजनीतिक दलों को योग्य उम्मीदवार खड़ा करने के लिए मजबूर करता है।

चुनाव आयोग द्वारा मतदाता जागरूकता और पारदर्शिता (Voter Awareness and Transparency Initiatives)

चुनाव आयोग तकनीक के माध्यम से मतदाताओं को सटीक और समयबद्ध जानकारी प्रदान करता है। इसके लिए ECI वेबसाइट पर लाइव अपडेट्स और मोबाइल ऐप्स के माध्यम से जनता को लगातार जानकारी मिलती रहती है। CCTV कैमरे और नियमित प्रेस ब्रीफिंग्स के जरिए पारदर्शिता सुनिश्चित की जाती है। भारत में चुनाव प्रक्रिया का हर कदम चुनाव आयोग की सख्त निगरानी में होता है। NOTA, Exit Polls, और Opinion Polls जैसे पहलुओं ने चुनावों में पारदर्शिता और जवाबदेही को और मजबूत किया है। यह सुनिश्चित करता है कि हर मतदाता की राय को उचित महत्व दिया जाए और चुनाव स्वतंत्र एवं निष्पक्ष तरीके से संपन्न हों।

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