बाहुबलियों के लिए बदनाम रहा है पूर्वांचल
आजादी के बाद से ही पूर्वांचल के विकास की हुई उपेक्षा
संजीव कुमार मिश्र
पूर्वांचल की माटी चित्तू पांडेय, मंगल पांडेय, अशफाक उल्ला खां, स्वामी सहजानंद सरस्वती, राम प्रसाद बिस्मिल, महामना मदन मोहन मालवीय सरीखे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और समाज सुधारकों की जननी रही है। इस धरा ने संस्कृत और हिंदी के प्रकांड विद्वान दिए हैं। भारतीय संस्कृति की दुनियाभर में आज जो चर्चा होती है, उसकी विकास भूमि पूर्वांचल ही है। जिसका जीता जागता स्वरूप काशी से लेकर गोरखपुर तक दिखाई देता है। पूर्वांचल की मिट्टी संत कबीर, रैदास, तुलसीदास, देवकीनंदन खत्री, भारतेंदु हरिश्चंद्र आदि ख्यातिलब्ध साहित्यकारों की सृजनधर्मिता की गवाह रही है। आजादी के आंदोलनों में यहां के युवाओं के बढ़ चढ़कर भाग लेने की कहानियां भी कम नहीं हैं।
पूर्वांचल के विभिन्न जिलों की औद्यौगिक विशेषताएं भी इन्हें बाकि जिलों से अलग करती हैं। कालीन उद्योग में भदोही और मिर्जापुर का कोई सानी नहीं है तो धर्म और आध्यात्म की डोर से श्रद्धालु वाराणसी और कुशीनगर खींचे चले आते हैं। सोनभद्र में देश की एकमात्र चूने पत्थर की खदान है। गीता प्रेस और गोरखनाथ मंदिर की वजह से गोरखपुर का महात्मय है। बावजूद इसके ये जिले विकास के पैमाने पर पिछडते चले गए। पूर्वांचल का संगठित अपराध और माफियाराज यहां के सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक विकास पर भारी पड़ गया। सरकारें बदलती रहीं लेकिन पूर्वांचल विकास के पैमाने पर पीछे होते चला गया। एक-एककर उद्योग धंधे उजड़ते चले गए। पूर्वांचल की चर्चा विकास के लिए ना होकर माफिया और बाहुबलियों के लिए होने लगी। राष्ट्रीय अखबारों, न्यूजचैनलों में मुख्तार अंसानी, बृजेश सिंह, विजय मिश्रा, विनीत सिंह सरीखे हिस्ट्रीशीटर पर खूब खबरें दिखाई जातीं। इधर, विकास ना होने के चलते बीमारियों ने गोरखपुर को जकड़ लिया। इंसेफलाइटिस की वजह से हर साल कई नौनिहालों की असमय मौत होती रही। हुनरमंदों को पूर्वांचल में काम मिलना भारी पड़ने लगा। युवा बेहतर भविष्य की आस में दिल्ली, मुंबई आदि शहरों की तरफ रूख किए। पूर्वांचल पर इसका नकारात्मक असर दिखा। आज यूपी के कुल निर्यात में पूर्वांचल की भागीदारी केवल 12 प्रतिशत है। यूपी से होने वाले कुल निर्यात में पश्चिमी यूपी की हिस्सेदारी 78 प्रतिशत, मध्य यूपी की 10 प्रतिशत, पूर्वांचल की 12 प्रतिशत और बुंदेलखंड की 0.20 प्रतिशत है। यूपी का 50 प्रतिशत निर्यात केवल दो जिलों गौतमबुद्ध नगर और नोएडा से होता है। पूर्वांचल की हिस्सेदारी केवल 12 प्रतिशत है जबकि यहां यूपी की 45 प्रतिशत आबादी रहती है।
2017 में प्रदेश में बीजेपी सरकार गठित होने के बाद से ही योगी सरकार ने पूर्वांचल के बदमाशों पर नकेल कसनी शुरू कर दी थी। अपराधियों का पूरा ब्यौरा एकत्र कर पुलिसिया कार्रवाई की गई। हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की गई कि गोरखपुर रेंज के चार जिलों में 10 साल के भीतर 7067 बदमाशों ने लूट, चोरी, डकैती की वारदातों को अंजाम दिया। इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि पुलिस किस कदर बदमाशों के पीछे पड़ी हुई है। कानून व्यवस्था की स्थिति सुधरी तो प्राकृतिक संसाधनों का धनी उत्तर प्रदेश निवेशकों को पसंद आने लगा। शायद यही वजह है कि जीआईएस ने अब तक ना केवल निवेश के परंपरागत ट्रेंड को तोड़ा बल्कि सेक्टर व क्षेत्र को लेकर ‘पूर्वाग्रह’ के खांचे को भी ध्वस्त कर दिया। कुल निवेश प्रस्तावों व समझौतों का 42 प्रतिशत बुंदेलखंड व पूर्वांचल के उन जिलों में आया, जो अभी तक औद्योगिक विकास की दौड़ में कहीं खड़े नहीं दिखाई देते थे। जीआईएस में पूर्वांचल की अनदेखी ना हो। विकास की दौड़ में यह ना पिछड़े। इसके लिए निवेश बहुत जरूरी है। मुख्यमंत्री ने इस संकट को भांप लिया था, इसलिए सेक्टोरियल पॉलिसी तय करते समय भी इन क्षेत्रों की विशेष चिंता की गई थी। रिन्युएबल एनर्जी, फूड प्रॉसेसिंग, ग्रीन एनर्जी, ईवी के साथ ही पर्यटन जैसे क्षेत्रों की ब्रैंडिंग के फोकस ने भी नए क्षेत्रों व नए सेक्टरों के लिए संभावना मजबूत की। यही वजह है कि पश्चिमांचल को जहां 14.81 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव मिले तो पूर्वांचल को 9.54 लाख करोड़, मध्यांचल को 4.27 और बुंदेलखंड को 4.27 लाख करोड़ के प्रस्ताव मिले। पूर्वांचल को कुल निवेश प्रस्ताव का 29 प्रतिशत और बुंदेलखंड को 13 प्रतिशत मिले।
जानकारों की मानें तो पूर्वांचल में निवेश बढ़ने का एक बड़ा कारण लखनऊ-गाजीपुर पूर्वांचल एक्सप्रेस के त्वरित गति से पूरा होना है। इसके अलावा हवाई सेवाओं में वृद्धि हो रही है। बिजली, पानी की व्यवस्था में सुधार हुआ है। कानून व्यवस्था की स्थिति पूर्व से काफी बेहतर हो चुकी है। गोरखपुर में खाद का कारखाना शुरू करना सकारात्मक संकेत दे गया। निवेशकों को भरोसा हुआ कि योगी-मोदी की जोडी निवेशकों को सुरक्षा देने में सक्षम है। इन सब वजहों से पूर्वांचल अब निवेशकों को आकर्षित कर रहा है। यूपी में निवेशकों को आकर्षित करने के मामले में टॉप 5 शहरों में पूर्वांचल का गोरखपुर और बनारस शामिल है। कभी जिस गाजीपुर की पहचान माफिया की वजहों से थी, वहां भी भारी भरकम निवेश प्रस्ताव आए हैं।