green hydrogen upsc in hindi: भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता और जलवायु क्रांति का संकल्प

दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।

green hydrogen upsc in hindi: भारत का ग्रीन हाइड्रोजन मिशन देश को एक स्थायी और आत्मनिर्भर ऊर्जा स्रोत की दिशा में ले जाने का प्रयास है। यह मिशन न केवल भारत को ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाएगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण, औद्योगिक विकास और वैश्विक जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने में भी मदद करेगा। इस लेख में, हम इस मिशन के विभिन्न पहलुओं को विस्तार से समझेंगे।

1. ग्रीन हाइड्रोजन क्या है?

हाइड्रोजन और इसके प्रकार

हाइड्रोजन एक स्वच्छ ऊर्जा स्रोत है जिसे विभिन्न प्रक्रियाओं के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है। हाइड्रोजन को उसके उत्पादन के तरीके के आधार पर तीन श्रेणियों में विभाजित किया जाता है:

  1. ग्रीन हाइड्रोजन: नवीकरणीय ऊर्जा (जैसे सौर या पवन ऊर्जा) का उपयोग करके पानी के इलेक्ट्रोलिसिस से प्राप्त हाइड्रोजन। यह पूरी तरह से पर्यावरण के लिए सुरक्षित है।

  2. ब्लू हाइड्रोजन: प्राकृतिक गैस से उत्पादित हाइड्रोजन जिसमें कार्बन उत्सर्जन को कैप्चर और संग्रहित किया जाता है।

  3. ग्रे हाइड्रोजन: यह पारंपरिक विधियों से प्राप्त होता है, लेकिन इसमें कार्बन उत्सर्जन की रोकथाम नहीं होती।

ग्रीन हाइड्रोजन, इन तीनों में सबसे अधिक पर्यावरण अनुकूल और टिकाऊ है।

2. भारत सरकार का ग्रीन हाइड्रोजन मिशन


मिशन की शुरुआत

भारत सरकार ने 2023 में “राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन” की शुरुआत की। इस मिशन का उद्देश्य भारत को ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन में एक वैश्विक हब बनाना है। यह पहल भारत के प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत और 2070 तक नेट-ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य का हिस्सा है।


प्रमुख लक्ष्य

  1. ऊर्जा आयात पर निर्भरता कम करना: भारत वर्तमान में अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए तेल और गैस आयात पर निर्भर है। ग्रीन हाइड्रोजन इस निर्भरता को कम करेगा।

  2. नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग: देश की प्रचुर सौर और पवन ऊर्जा क्षमता का उपयोग करना।

  3. रोज़गार सृजन: ग्रीन हाइड्रोजन उद्योग में लाखों रोजगार के अवसर उत्पन्न करना।

  4. वैश्विक नेतृत्व: भारत को हाइड्रोजन निर्यातक देश के रूप में स्थापित करना।

3. ग्रीन हाइड्रोजन के लाभ


पर्यावरणीय लाभ

  1. कार्बन उत्सर्जन में कमी: ग्रीन हाइड्रोजन के उपयोग से पारंपरिक ईंधनों की तुलना में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन लगभग शून्य हो जाता है।

  2. वायु गुणवत्ता सुधार: स्वच्छ ईंधन के कारण प्रदूषण में कमी।


आर्थिक लाभ

  1. नवीन प्रौद्योगिकी विकास: ग्रीन हाइड्रोजन के लिए नई तकनीकों का विकास होगा।

  2. निर्यात के अवसर: ग्रीन हाइड्रोजन और इससे जुड़े उत्पादों के निर्यात से विदेशी मुद्रा आय में वृद्धि।


औद्योगिक लाभ

  1. उद्योगों का डीकार्बोनाइजेशन: इस्पात, रसायन और उर्वरक जैसे उद्योगों में ग्रीन हाइड्रोजन का उपयोग।

  2. इलेक्ट्रिक वाहनों में उपयोग: ग्रीन हाइड्रोजन आधारित फ्यूल सेल वाहनों का विकास।

4. चुनौतियां और समाधान


प्रमुख चुनौतियां

  1. उच्च उत्पादन लागत: वर्तमान में ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन की लागत अधिक है।

  2. इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी: बड़े पैमाने पर उत्पादन और भंडारण के लिए आवश्यक सुविधाओं का अभाव।

  3. तकनीकी समस्याएं: हाइड्रोजन को सुरक्षित रूप से परिवहन और संग्रहित करना कठिन है।

संभावित समाधान

  1. सरकारी प्रोत्साहन: उत्पादन लागत को कम करने के लिए सब्सिडी और वित्तीय सहायता।

  2. अनुसंधान और विकास: नई और सस्ती तकनीकों का विकास।

  3. निजी क्षेत्र की भागीदारी: निजी क्षेत्र को इस मिशन में शामिल करना।

5. भारत का विजन और अंतरराष्ट्रीय संदर्भ

भारत का विजन

भारत सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक 5 मिलियन टन ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन किया जाए। इसके लिए 8 लाख करोड़ रुपये के निवेश की योजना है।

अंतरराष्ट्रीय प्रयास

  • यूरोपीय संघ: 2030 तक ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन में 40 GW क्षमता विकसित करने का लक्ष्य।

  • जर्मनी: हाइड्रोजन उत्पादन और उपयोग में अग्रणी।

  • सऊदी अरब: दुनिया के सबसे बड़े ग्रीन हाइड्रोजन प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है।

6. ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन की प्रक्रिया

मुख्य प्रक्रियाएं

  1. इलेक्ट्रोलिसिस: नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग करके पानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विभाजित करना।

  2. सोलर-टू-हाइड्रोजन तकनीक: सीधे सौर ऊर्जा का उपयोग कर हाइड्रोजन का उत्पादन।

  3. बायोमास आधारित तकनीक: जैविक कचरे से हाइड्रोजन उत्पादन।

7. यूपीएससी के छात्रों के लिए प्रासंगिक बिंदु

  1. सतत विकास लक्ष्य (SDGs): ग्रीन हाइड्रोजन का योगदान।
  2. राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय नीति: भारत और अन्य देशों की ग्रीन हाइड्रोजन नीतियां।
  3. विज्ञान और प्रौद्योगिकी: हाइड्रोजन उत्पादन की नवीनतम तकनीक।
  4. आर्थिक विकास: रोजगार सृजन और निर्यात में ग्रीन हाइड्रोजन का महत्व।
  5. पर्यावरणीय अध्ययन: कार्बन उत्सर्जन में कमी और ग्रीन हाइड्रोजन का पर्यावरणीय महत्व।

ग्रीन हाइड्रोजन मिशन भारत के लिए एक क्रांतिकारी कदम है जो ऊर्जा आत्मनिर्भरता, औद्योगिक विकास और पर्यावरण संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है। यह मिशन न केवल भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करेगा, बल्कि उसे वैश्विक ऊर्जा नेतृत्व की ओर भी अग्रसर करेगा।

7- ग्रीन हाइड्रोजन को लेकर संयुक्त राष्ट्र की नीति

संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ग्रीन हाइड्रोजन के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय रूप से कार्य कर रहा है। विशेष रूप से, संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन (UNIDO) ने 2021 में “Global Programme for Hydrogen in Industry” की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य विकासशील देशों में हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था के विकास में सहायता प्रदान करना है।

इस कार्यक्रम के तहत, UNIDO निम्नलिखित प्रमुख क्षेत्रों में सहायता प्रदान करता है:

नीतिगत समर्थन: हाइड्रोजन रणनीतियों और नीतियों के विकास में सहायता, जिससे हाइड्रोजन उद्योग के समग्र विकास को बढ़ावा मिलता है।


मानक और गुणवत्ता अवसंरचना: विश्वसनीय मानकों और गुणवत्ता अवसंरचना के विकास में सहायता, जो प्रौद्योगिकियों और अनुप्रयोगों के रोल-आउट के लिए आवश्यक हैं।

कौशल विकास: विकासशील देशों में आवश्यक कौशल और ज्ञान के विकास में सहायता, जिससे हरित हाइड्रोजन पर आधारित लचीला और सतत औद्योगिकीकरण संभव हो सके।

समन्वय और नवाचार: नवाचार क्षमता को बढ़ावा देना और विभिन्न हितधारकों के बीच समन्वय स्थापित करना।

वित्तपोषण और निवेश: हाइड्रोजन और नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश को प्रोत्साहित करना और सुनिश्चित करना।

GH2 क्लस्टर: हरित हाइड्रोजन औद्योगिक क्लस्टरों का विकास, जो औद्योगिक डिकार्बोनाइजेशन और पर्यावरणीय रूप से सतत विकास में सहायक होते हैं।

इसके अतिरिक्त, UNIDO ने 2024 में “Green Hydrogen for Sustainable Industrial Development: A Policy Toolkit” प्रकाशित किया, जो विकासशील देशों के लिए हरित हाइड्रोजन मूल्य श्रृंखला के सभी पहलुओं को शामिल करता है।

इस नीति टूलकिट में हरित हाइड्रोजन की परिवर्तनकारी क्षमता, रणनीतिक मार्गदर्शन, और नीति विकल्पों का विवरण है, जो विकासशील देशों में आर्थिक विकास, पर्यावरणीय स्थिरता, और सामाजिक प्रगति को बढ़ावा देने में सहायक हैं।

इस प्रकार, संयुक्त राष्ट्र ग्रीन हाइड्रोजन के क्षेत्र में वैश्विक सहयोग, नीति समर्थन, और तकनीकी सहायता प्रदान करके स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण को तेज करने के लिए प्रतिबद्ध है।

इसके अतिरिक्त, भारत सरकार ने 2023 में “राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन” की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य भारत को ग्रीन हाइड्रोजन और उसके डेरिवेटिव्स के उत्पादन, उपयोग, और निर्यात का वैश्विक हब बनाना है।

इस मिशन के तहत, ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन और उपयोग को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न नीतिगत प्रावधान, प्रोत्साहन योजनाएं, और अवसंरचना विकास की योजनाएं बनाई गई हैं।

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