साफ्टवेयर सेवाओं के निर्यात में भारत ने बनाया रिकॉर्ड
दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।
अगर आपको लगता है कि निर्यात का मतलब सिर्फ सामान भेजना है, तो आपको फिर से सोचने की जरूरत है। नवंबर 2023 में, भारत के कॉमर्स मिनिस्ट्री ने पहली बार सेवाओं के निर्यात का आंकड़ा 35.7 अरब डॉलर बताया, जो वस्तु निर्यात (32.1 अरब डॉलर) से भी ज्यादा है। खास बात यह है कि सॉफ्टवेयर सेवाओं ने इस आंकड़े में सबसे बड़ा योगदान दिया, जो कुल निर्यात का 47% रहा। और ये सिर्फ शुरुआत है! वैश्विक क्षमता केंद्रों (GCCs) का योगदान लगातार बढ़ता जा रहा है, जो भारत की आर्थिक संरचना में नया बदलाव ला रहे हैं।
मैन्युफैक्चरिंग पर सरकार का फोकस
भारत सरकार मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठा रही है। नई मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के लिए 15% कॉर्पोरेट टैक्स की दर निर्धारित की गई है, जबकि अन्य कंपनियों के लिए यह दर 22% है। साथ ही, सरकार ने उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाओं (PLI स्कीम) की शुरुआत की है, जो वैश्विक कंपनियों को भारत में निवेश करने के लिए प्रेरित करने का प्रयास करती है। हालांकि, इस योजना का चीन से बाहर निकलने की इच्छुक कंपनियों पर बहुत प्रभाव नहीं पड़ा है, और एप्पल ही एकमात्र बड़ी कंपनी रही है जिसने इसका लाभ उठाया। नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रह्मण्यम के अनुसार, भारत को वैश्विक मूल्य श्रृंखला में प्रवेश करने के लिए चीनी निवेश के बिना यह संभव नहीं हो सकता है।
प्रोत्साहन के बिना भी सफलता!
विभिन्न सरकारी प्रोत्साहनों के बावजूद, भारत के सेवा निर्यात में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है। साल 1991 में यह निर्यात लगभग शून्य था, लेकिन आर्थिक सुधारों के बाद इसमें तेज़ी आई। आज, सेवा निर्यात व्यापारिक निर्यात को पीछे छोड़ते हुए प्रमुख भूमिका निभा रहा है। वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल का अनुमान है कि निकट भविष्य में भारत का सेवा निर्यात प्रति वर्ष एक ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है।
एक नया भारतीय आर्थिक स्तंभ
भारत में स्थापित वैश्विक क्षमता केंद्र (GCCs) अब एक महत्वपूर्ण क्षेत्र बन चुके हैं, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अहम योगदान दे रहे हैं। पुणे के कंसल्टेंट विजमैटिक के अनुसार, 1500 से अधिक GCCs भारत में 32 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार दे रहे हैं, जिनमें अधिकांश इंजीनियर और वैज्ञानिक हैं। इन GCCs से भारत को 121 अरब डॉलर का रेवेन्यू और 102 अरब डॉलर का निर्यात प्राप्त हो रहा है। हालांकि यह क्षेत्र सार्वजनिक दृष्टि में शायद छिपा हुआ हो, लेकिन यह भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
भारत क्यों आकर्षित कर रहा है बहुराष्ट्रीय कंपनियों को?
भारत में STEM (Science, Technology, Engineering and Mathematics) क्षेत्र के ग्रेजुएट्स की संख्या दुनिया में सबसे अधिक है, और हर साल लगभग 19 लाख STEM ग्रेजुएट्स भारतीय विश्वविद्यालयों से बाहर निकलते हैं। यह संख्या लगातार बढ़ रही है। विकसित देशों में इस तरह के ग्रेजुएट्स की कमी है, खासकर उस तकनीकी दुनिया के लिए, जिसमें तेजी से बदलाव हो रहे हैं। यही कारण है कि बहुराष्ट्रीय कंपनियां अब सस्ते दामों पर भारतीय इंजीनियरों और वैज्ञानिकों की सेवाएं ले रही हैं, जो उन्हें अपने तकनीकी उद्देश्यों को पूरा करने में मदद कर रहे हैं।
भारत के सेवा क्षेत्र ने किया नया मुकाम हासिल
भारत के सेवा निर्यात का विकास वैश्वीकरण के तहत एक नई सफलता की कहानी बन चुका है। वैश्विक क्षमता केंद्रों (GCCs) का योगदान भारत की आर्थिक ताकत को मजबूत कर रहा है, और आने वाले वर्षों में यह क्षेत्र और भी महत्वपूर्ण बन सकता है। भारत अब सिर्फ वस्तु निर्यात से नहीं, बल्कि सेवाओं के निर्यात से भी वैश्विक व्यापार के एक अहम खिलाड़ी के रूप में उभर रहा है।