दक्षिणी दिल्ली (south delhi) में एक दीवार आज भी चौथे शहर के अस्तित्व की दास्तां बयां करती दिखाई देती है। हालांकि इस दीवार के अब कुछ ही भाग शेष रह गए हैं लेकिन शेष बची दीवार से ही इसकी मजबूती और खूबसूरती का अंदाजा जरूर लगाया जा सकता है। इस दीवार को जहांपनाह नाम से जाना जाता है। इतिहासकार बताते हैं कि मुहम्मद बिन तुगलक (muhammad bin tughlaq) ने (1325-51) में किला राय पिथौरा (kila rai pithora) और सीरी (siri fort delhi) नाम के दिल्ली (delhi) के पहले दो नगर के बीचों बीच बसी आबादी के लिए चौथा शहर बसाया जिसे जहांपनाह (jahanpanah city) कहा जाने लगा। इस शहर की चार दीवारी के अवशेष आज भी कई स्थानों पर देखा जा सकता है, जैसे आईआईटी के उत्तर में, बेगमपुर मस्जिद के उत्तर में, खिड़की मस्जिद के दक्षिण में, चिराग दिल्ली के उत्तर में, सतपुला के निकट तथा किला राय पिथौरा के हौजरानी द्वार के पास।
पुरातत्वविद और उत्खनन विशेषज्ञ बताते हैं कि दक्षिणी दिल्ली में हुई खोदाई हुई थी जिसमें किला राय पिथौरा की पूर्वी दीवार के पास जहांपनाह की दीवार मिली। इस खोदाई से इस दीवार के निर्माण और वास्तुकला का पता चला। इस दीवार की बुनियाद खुरदरे छोटे पत्थर से बने हैं और जमीन से ऊपर दीवार का बाहरी हिस्सा संगीन चिनाई का है। इसकी नींव भी काफी मजबूत दिखाई देती है। तुगलक के समय बनी इमारतों में सबसे खास बात इसकी मजबूती हुआ करती थी, यही बात इस जहांपनाह की दीवारों पर भी लागू होती है। इस स्थान पर खोदाई करवाई गई जिसमें किला राय पिथौरा जो कि पृथ्वीराज चौहान के समय का है, उससे जुड़ी कई जानकारियां भी मिलती हैं।