स्मार्टफोन स्क्रीन से लेकर सोलर पैनल तक में लाभकारी होगा IIT Delhi का अविष्कार
दी यंगिस्तान, नई दिल्ली
IIT Delhi: क्या आपने कभी बारिश में अपनी ऐनक को साफ करने, कार की विंडशील्ड पोंछने या किसी कांच की सतह से पानी के धब्बे हटाने के बाद उस पर बने निशानों पर गौर किया है? ये रोजमर्रा की समस्याएं कांच की नाजुकता को दर्शाती हैं, जिससे इसकी सतह आसानी से क्षतिग्रस्त हो सकती है।
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कांच की सतहों पर जलजनित नुकसान की समस्या को हल करने की दिशा में IIT दिल्ली के शोधकर्ताओं ने एक महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है। IIT दिल्ली के मैटेरियल्स साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. नित्यानंद गोस्वामी, सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. एन. एम. अनूप कृष्णन, और प्रधानमंत्री रिसर्च फेलो डॉ. सौरव साहू की टीम ने पाया कि महज एक नैनोमीटर मोटी ग्राफीन कोटिंग कांच को जलजनित घिसाव और नुकसान से बचाने में सक्षम है।
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कांच की सतह पर पानी कैसे करता है नुकसान?
कांच की सतह पर पानी की बूंदें और आर्द्रता अदृश्य रूप से इसे नुकसान पहुंचाती हैं। जब गंदी विंडशील्ड पर वाइपर चलते हैं या चश्मे को गीले कपड़े से पोंछा जाता है, तो यह सतह पर माइक्रोस्कोपिक स्क्रैचेज बना सकता है। पानी इन सूक्ष्म खरोंचों में समाकर कांच को आणविक स्तर पर कमजोर कर सकता है। इससे इसकी मजबूती और कार्यक्षमता कम हो जाती है।
ग्राफीन कोटिंग कैसे बनाती है कांच को टिकाऊ?
शोधकर्ताओं ने नैनोस्केल स्तर पर किए गए प्रयोगों में पाया कि कुछ परतों वाली ग्राफीन कोटिंग कांच को पानी के संपर्क में आने के बावजूद क्षतिग्रस्त होने से बचा सकती है। प्रो. नित्यानंद गोस्वामी ने बताया, “नैनोस्केल पर बार-बार किए गए स्क्रैच टेस्ट में पाया गया कि ग्राफीन की कुछ परतें नाजुक सिलिका ग्लास को जलजनित नुकसान से बचाकर इसे अधिक टिकाऊ बना सकती हैं। आश्चर्यजनक रूप से, जब इसे कठोर हीरे और सिलिकॉन जैसी प्रतिक्रियाशील सतहों से खरोंचा गया, तब भी कोई घिसाव नहीं देखा गया।”
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प्रो. एन. एम. अनूप कृष्णन ने बताया, “मॉलिक्युलर सिमुलेशंस से पता चलता है कि ग्राफीन ग्लास की सतह को जलजनित रासायनिक प्रतिक्रियाओं से बचाने के लिए एक मजबूत सुरक्षा कवच प्रदान करता है। यह ग्लास की सतह और पानी में मौजूद प्रतिक्रियाशील तत्वों के बीच ‘स्टिकिंग’ प्रभाव को रोकता है, जिससे ग्लास को भौतिक और रासायनिक क्षति से बचाया जा सकता है।”
स्मार्टफोन स्क्रीन से लेकर सोलर पैनल तक होगा लाभ
यह खोज उन उद्योगों के लिए क्रांतिकारी साबित हो सकती है, जहां कांच की सतहें अक्सर पानी और आर्द्रता के संपर्क में रहती हैं।
इस तकनीक का उपयोग निम्नलिखित क्षेत्रों में किया जा सकता है:
- स्मार्टफोन स्क्रीन: जलजनित घिसाव और खरोंचों से सुरक्षा
- कैमरा लेंस: नमी के कारण होने वाली सतही क्षति को रोकने में मदद
- ऑटोमोटिव विंडशील्ड: लंबी उम्र और बेहतर दृश्यता
- सोलर पैनल: मौसम की मार से बचाव और दक्षता में वृद्धि
- ऑप्टिकल इंस्ट्रूमेंट्स: नमीयुक्त वातावरण में भी बेहतर प्रदर्शन
अंतरराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित हुआ शोध
IIT दिल्ली के इस शोध को प्रतिष्ठित जर्नल Small में प्रकाशित किया गया है। शोध पत्र का शीर्षक “Graphene Mitigates Nanoscale Tribochemical Wear of Silica Glass in Water” है। (DOI: https://doi.org/10.1002/smll.202410040)
शोध टीम में मैटेरियल्स साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग की सुहा खान और सिविल इंजीनियरिंग विभाग के सजिद मनन भी शामिल थे। यह खोज विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो कांच की सतहों को अधिक टिकाऊ और प्रभावी बनाने में मदद कर सकती है।
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