लाल किले (red fort) में स्थित खास महल (khas mahal) को निजी महल भी कहा जाता है। इस महल के तीन भाग हैं। तीन कमरों का समूह जो दीवाने खास के सामने हैं, इसे तस्बीहखाना (माला जपने का कक्ष) कहलाता है। इसका इस्तेमाल बादशाह द्वारा निजी इबादत के लिए किया जाता था। इसके पीछे का कमरा ख्वाबगाह(शयन कक्ष) कहलाते थे। उसके दक्षिण में एक लंबा कक्ष है जिसकी दीवारें और छत चित्रित हैं तथा पश्चिम में एक जालीदार परदा वाला तोशखाना(वस्त्र पहनावा कक्ष) या बैठक के नाम से जाना जाता है।
चूंकि यह कमरा राजाओं के लिए बेहद खास था इसलिए इसके वास्तुकला पर भी विशेष ध्यान रहा। वास्तुकार बताते हैं कि राजाओं के महल खासकर शाहजहां के जमाने में बनाई गई ऐसे महलों में वेंटीलेशन, ऊंचाई, और सुंदरता का खास ध्यान रखा जाता था। चूंकि खास महल एक शयन कक्ष के साथ साथ दूसरे आराम के कक्ष भी थे इसलिए इसे ऐसे बनाया गया ताकि राजा को एक दूसरे कक्ष में जाने में दिक्कत न हो। शयन कक्ष खुला खुला व उसकी दीवारें मोटी ब। महाराजा के आराम के साथ साथ सौंदर्य का भी खास ख्याल रखा गया। इन कमरों के उततरी छोर पर नक्काशीदार एक संगमरमर को जालीदार खिड़की भी बनाई गई जिसमें चांद, तारों जैसे डिजाइन बनाए गए। इसके अलावा इस महल के नीचे वाले भाग में पशुयुद्ध का आयोजन भी होता था। राजा हाथी, सिंहो के बीच लड़ाईयां जिन्हें बादशाह और शाही परिवार की महिलाओं द्वारा देखा जाता था।
ख्वाबगाह की दक्षिणी मेहराब के ऊपर एक अभिलेख है जिससे यह पता चलता है कि यह इमारत सन 1639 में बननी शुरू हुई थी और 1648 में पचास लाख रुपए की लागत से पूरी की गई जो सभी महलों पर किए गए खर्च की ओर इशारा करता है।
नौबत खाना या नक्कार खाना
लालकिले (red fort )के अंदर नक्कार खाना (naqqar khana red fort) या नौबत खाना (naubat khana) स्मारक है। इस स्मारक का इस्तेमाल मांगलिक कार्यो के समय दिन में पांच बार संगीत बजाने के लिए किया जाता था। इस स्मारक को हाथीपोल भी कहा जाता था, क्योंकि यहां दर्शक अपने अपने हाथियों से उतरा करते थे। इस स्मारक के सामने वाली दीवारों में लाल पत्थर लगा है। अयातकारनुमा स्मारक में तिमंजली बड़ी इमारत भी है। इस स्मारक की बनावट से ऐसा प्रतीत होता है कि लाल पत्थर की दीवारों पर नक्काशी की गई डिजाइनों को सोने से चित्रित किया गया होगा, जबकि अंदर की ओर अन्य रंगों से चित्रित किया गया था। इन चित्रों को प्रवेश कक्ष में अब भी कई परतों में देखा जा सकता है। यह भी कहा जाता है कि बाद के मुगल बादशाह जहांदार शाह (1712-13) और फर्रुखसियर (1713-19 ) को नौबत खाने में कत्ल कर दिया गया था। इसकी ऊपरी मंजिल में अब युद्ध स्मारक संग्रहालय है।

