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परंपरागत खेती छोड़ अपनाया आधुनिक तरीका, सब्जियों की खेती से बना रहे हैं लाखों!

दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।

success story: आजकल खेती में नए तरीके अपनाने से किसान अपनी किस्मत बदल रहे हैं। मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले के किसान रवि रावत ने भी अपनी मेहनत और आधुनिक तकनीकों की मदद से खेती में बड़ी सफलता पाई है। पहले पारंपरिक तरीके से खेती करने पर उन्हें कम मुनाफा मिल रहा था, लेकिन अब उन्होंने कुछ नई तकनीकों को अपनाया और उनकी आय सालाना ₹50-75 लाख तक पहुंच गई है। आइए जानते हैं कैसे रवि रावत ने अपनी खेती में बदलाव किया और मुनाफा बढ़ाया।

पारंपरिक खेती से मुनाफा कम था

रवि रावत पहले सोयाबीन और चना जैसी पारंपरिक फसलें उगाते थे। लेकिन इन फसलों से उन्हें इतना मुनाफा नहीं मिल रहा था। मौसम की अनिश्चितता और बाजार के उतार-चढ़ाव से भी परेशानी हो रही थी। उन्होंने सोचा कि अगर कुछ नया किया जाए तो मुनाफा बढ़ सकता है। फिर उन्होंने खेती में नए तरीके अपनाने का फैसला किया और कृषि विशेषज्ञों से मदद ली।

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नई तकनीकों का किया उपयोग

रवि रावत ने अपनी खेती में कुछ नई तकनीकों को अपनाया, जिनसे उन्हें बहुत फायदा हुआ। इनमें शामिल हैं:

प्लास्टिक मल्चिंग: इस तकनीक से खेत में नमी बनी रहती है, तापमान नियंत्रित रहता है और खरपतवार कम उगते हैं। इससे पानी की बचत भी होती है।

लो टनल फार्मिंग: यह तकनीक फसलों को तेज धूप, बारिश और पाले से बचाने में मदद करती है।

ड्रिप सिंचाई: इस तकनीक से पानी की बर्बादी कम होती है और पौधों को उनकी जरूरत के हिसाब से पानी मिलता है।

इन तकनीकों को अपनाकर रवि रावत ने अपनी फसलों की गुणवत्ता में सुधार किया और उत्पादन बढ़ाया।

टमाटर की खेती में सफलता

रवि रावत ने पारंपरिक फसलों की जगह सब्जियों की खेती शुरू की। उन्होंने टमाटर, खीरा, शिमला मिर्च, हरी मिर्च, भिंडी और तरबूज जैसी सब्जियां उगाईं। टमाटर की खेती में उन्हें खास सफलता मिली। उन्होंने टमाटर के पौधों को जमीन से ऊपर उठाने के लिए तार और बांस का सहारा लिया। इससे हवा का अच्छा संचार हुआ और फलों की गुणवत्ता बेहतर हुई। कीटों से भी कम नुकसान हुआ।

ऑफ-सीजन खेती से बढ़ी कमाई

रवि रावत ने ऑफ-सीजन खेती का फायदा भी उठाया। जब बाजार में सब्जियों की कमी होती है, तब उनकी फसल तैयार होती है और उन्हें अच्छे दाम मिलते हैं। विशेष रूप से गर्मियों में जब सब्जियों की कमी होती है, तब उनकी शिमला मिर्च और टमाटर को दोगुना दाम मिलता है। इससे उन्हें नियमित आय होती है और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।

मार्केटिंग रणनीति से मिली सफलता

रवि रावत ने अपनी सब्जियों की अच्छी मार्केटिंग की। वे अपनी फसल को सीधे थोक और खुदरा व्यापारियों को बेचते हैं, जिससे बिचौलियों की आवश्यकता नहीं पड़ती। इसके साथ ही, त्योहारों के समय जब सब्जियों की मांग बढ़ जाती है, तब उन्हें बड़े ऑर्डर मिलते हैं। इससे उनकी आय और भी बढ़ जाती है।

नवीनतम तकनीकों का प्रशिक्षण

रवि रावत हमेशा कुछ नया सीखने के लिए तैयार रहते हैं। वे कृषि वैज्ञानिकों से मिलकर नए तरीकों के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। इससे उन्हें अपनी फसलों का बेहतर तरीके से प्रबंधन करने में मदद मिलती है और सही फैसले लेने में आसानी होती है।

रवि रावत की सफलता यह दिखाती है कि यदि किसान नई तकनीकों को अपनाते हैं और मेहनत के साथ सही दिशा में काम करते हैं, तो वे अपनी किस्मत बदल सकते हैं।

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