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विदेशी सब्जियों की खेती से लालजीभाई को जबरदस्त मुनाफा, बिना केमिकल के उगा रहे हाई-डिमांड फसलें!

दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।

Business Idea: भारत में किसानों के लिए पारंपरिक खेती के अलावा भी अब नये अवसर खुल रहे हैं। इस बदलाव का हिस्सा बन चुके हैं मेहसाणा जिले के हिम्मतपुरा गांव के प्रगतिशील किसान चौधरी लालजीभाई चेलाभाई। इनकी कहानी एक प्रेरणा है, जिसमें उन्होंने विदेशी सब्जियों की खेती कर न सिर्फ अपनी पहचान बनाई, बल्कि बेहतरीन मुनाफा भी कमाया।

विदेशी सब्जियों की बढ़ती मांग

आजकल भारतीय बाजार में विदेशी सब्जियों की मांग तेजी से बढ़ रही है। ज़ुकीनी, बैंगनी और पीली फूलगोभी, बोक चोय, ब्रोकोली और नॉनखोल जैसी सब्जियों की लोकप्रियता महानगरों में खूब बढ़ी है। इन सब्जियों को सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है, और लोग इन्हें खरीदने के लिए उत्साहित रहते हैं। यही कारण है कि इनका बाजार तेजी से विस्तार कर रहा है।

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खेती से जुड़ी सफलता की शुरुआत

चौधरी लालजीभाई ने एम.कॉम. की पढ़ाई की और सरकारी नौकरी की तैयारी शुरू की, लेकिन परीक्षा में असफलता के बाद उन्होंने खेती को अपने जीवन का हिस्सा बनाने का निर्णय लिया। इसके बाद उन्होंने प्राकृतिक खेती की दिशा में कदम बढ़ाया और अब वे सालाना 2 से 3 लाख रुपये की आय कमा रहे हैं।

विदेशी सब्जियों की खेती का पहला कदम

लालजीभाई ने सबसे पहले ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले अपने एक मित्र से विदेशी सब्जियों के बीज मंगवाए। इन बीजों की कीमत 3,500 से 4,000 रुपये के बीच थी। पहले वर्ष, उन्होंने घर पर मिट्टी तैयार की और इन बीजों का परीक्षण किया। परिणामस्वरूप, उन्हें यह पता चला कि इस जलवायु में ये सब्जियां आसानी से उगाई जा सकती हैं। फिर उन्होंने इस वर्ष लगभग 1,000 विदेशी सब्जी के पौधे लगाए और उनका देखभाल खुद किया।

फसल से शानदार आय

लालजीभाई की विदेशी सब्जियों की फसल ने उन्हें शानदार मुनाफा दिया। उनके द्वारा उगाई गई ये सब्जियाँ बाज़ार में 200 से 250 रुपये प्रति किलो के बीच बिक रही हैं। इस वर्ष, उन्होंने केवल 1,000 पौधों से 60,000 रुपये का शुद्ध लाभ कमाया है। यही नहीं, उन्हें यह खेती करने में अपार संतोष भी मिल रहा है।

प्राकृतिक तरीके से खेती

लालजीभाई ने अपनी खेती में कोई रसायन का उपयोग नहीं किया। वे पूरी तरह से प्राकृतिक तरीकों से सब्जियों का उत्पादन करते हैं। छोटे-छोटे बीजों को केंचुआ खाद और मिट्टी के मिश्रण वाले गमलों में तैयार किया जाता है। डेढ़ महीने बाद, इन पौधों को खेतों में रोप दिया जाता है। मेहसाणा की जलवायु इस खेती के लिए उपयुक्त है, लेकिन थोड़ी अतिरिक्त देखभाल से इसे अन्य जगहों पर भी उगाया जा सकता है।

भविष्य की दिशा

चौधरी लालजीभाई के लिए यह केवल शुरुआत है। वह भविष्य में और भी अधिक विदेशी सब्जियों की खेती करने की योजना बना रहे हैं और इस क्षेत्र में अपने अनुभवों को साझा करने का इरादा रखते हैं। उनका मानना है कि भारतीय किसानों के लिए इस तरह के नवाचार और प्राकृतिक खेती से नए अवसर पैदा हो सकते हैं।

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