कई शहजादों को लाल किले के बाहर जाने की नहीं थी इजाजत

आज के इस आर्टिकल में हम आपको मुगल शासन में शहजादों और शहजादियों के जीवन के बारे में बताएंगे। लाल किले की दीवारों के अंदर ऊंचे दर्जे के शाहजादों की जिंदगी बहुत आरामदेह थी। बहादुर शाह जफर की अपनी औलाद को अपने ढंग से जिंदगी गुज़ारने और अपनी दिलचस्पियों और मशगुलों में हिस्सा लेने की पूरी आजादी थी। चाहे उनको पढ़ाई-लिखाई, हुनर सीखने, शिकार, कबूतरबाजी या बटेरबाजी का शौक हो। लेकिन कम दर्जे के शहजादों के लिए जो किले में पैदा हुए थे, बहुत कम रास्ते खुले थे।

बहादुर शाह जफर के बेटों के अलावा लाल किले में कोई दो हजार गरीब शाहजादे और शाहजादियां थे, जो पिछले बादशाहों के पोते, पड़पोते, नवासे, या उनकी भी औलाद थे, और वह सबसे ज़्यादा अपनी कोठरियों में गरीबी के आलम में रह रहे थे, जो जफर के अपने खानदान से दूर था।”

यह लाल किले में जिंदगी का तारीक पक्ष था और इसके लिए सबसे बड़ी शर्म का कारण। इसी वजह से बहुत से सलातीन को कभी किले से बाहर जाने की इजाज़त नहीं मिली थी, इसीलिए वह दरियागंज में काफी समय बाद जफर के बेटे मिर्जा जवांबख्त की शादी के शानदार मौके पर भी मौजूद नहीं थे। एक अंग्रेज़ का कहना है:

-सलातीन के निवास में एक बहुत ऊंची दीवार है ताकि कोई उनको नहीं देख पाए। इसके अंदर उनके लिए अनेक छप्पर वाली झोपड़ियां हैं जहां यह बेचारे रहते हैं। जब दरवाजे खुले तो बहुत से अधनंगे, भूखे, मुसीबतजदा लोगों ने हमको घेर लिया। उनमें से कुछ तो अस्सी साल के थे और बिल्कुल प्राकृतिक अवस्था में थे।

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