ओलंपिक खिलाड़ियों और विजेताओं ने सफलता के लिए मोबाइल का संयमित उपयोग बताया जरूरी

मोबाइल का अंधाधुंध प्रयोग स्वास्थ्य के लिए भी खतरनाक

लेखक: कर्मवीर धुरंधर

सहायक प्राध्यापक,दिल्ली विश्वविद्यालय

हाल ही में ऑस्ट्रेलिया पहला ऐसा देश बन गया है जिसने 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया के उपयोग पर प्रतिबंध अर्थात (बैन) लगाया है। वर्तमान में मोबाइल व सोशल मीडिया “भविष्य विध्वंसक यंत्र”  बन गये है , जिसके नशे से 5 से 6 महीने के शिशु से लेकर “मृत्यु की शय्या” में स्थित वृद्ध भी ग्रसित है। आम जन घंटों अपना समय मोबाइल फोन व सोशल मीडिया में बिता रहे हैं , दिन की शुरुआत से लेकर रात में सोने तक , खाते – पीते,काम करते ,सभी समय मोबाइल के उपयोग करते पाए जाते हैं।

यहां तक की वॉशरूम में भी मोबाइल का उपयोग करते पाए जाते हैं। जहां एक ओर यह यंत्र वर्तमान पारिवारिक व्यवस्था को तोड़ने का कार्य कर रहा है,वही दूसरी ओर व्यक्ति के स्वत्व अर्थात् उसके व्यक्तित्व ,उसकी योग्यता, क्षमता, व ऊर्जा का भी नाश कर रहा है , जो की सामाजिक व्यवस्था के साथ-साथ राष्ट्र के लिए भी हानिकारक है ।

हाल ही में उत्तर कोरिया ने यूक्रेन–रूस युद्ध में रूस को अपने सैनिक सहायता प्रदान करने का निर्णय लिया, यह सैनिक उत्तर कोरिया में इंटरनेट सोशल मीडिया पर प्रतिबंध होने के कारण इस दुनिया से अनभिज्ञ थे, किंतु जैसे ही वे इस दुनिया के प्रभाव में आए इस बीमारी के शिकार हो गए, और युद्ध में उचित भागीदारी को छोड़कर वह इंटरनेट मीडिया में पोर्न व विभिन्न सोशल मीडिया साइटो के आदी हो गए ।

अभी तक  समाज में उन लोगों को सन्यासी या योगी माना जाता था जो घर,संपत्ति, परिवार का मोह त्याग देते थे ,किंतु वर्तमान समय में योगी – सन्यासी भी मोबाइल इंटरनेट मीडिया से प्रभावित है , इसलिए आज यह कहा जा सकता है कि वही व्यक्ति सच्चा योगी व सन्यासी है जिसने मोबाइल का संयम व समझदारी के साथ उपयोग किया है। वर्तमान समय में जीवन में सफलता के लिए छात्र को अधिक से अधिक समय अपने अध्ययन में तथा अन्य लोगों को अपना समय अपने काम में देना चाहिए लेकिन वर्तमान के बदलते जीवन मूल्यों के साथ यह असंभव कार्य प्रतीत होता है आज एक-दो साल का बच्चा भी बिना मोबाइल के खाना नहीं खाता, महिलाएं व युवा रील्स देख रहे होते हैं या उन रील्स की नकल कर रील्स बना रहे होते हैं।

इसी प्रकार वृद्ध भी अपने जीवन के अकेलेपन को दूर करने के लिए मोबाइल का सहारा लेते हैं, इस प्रकार वर्तमान में मोबाइल रहित जीवन जल बिन मछली के समान हो गया है जिसमें व्यक्ति मोबाइल को प्राप्त करने के लिए तड़पता रहता है।

हाल ही में बोर्ड (10 वी ,12 वी) परीक्षा के टॉपर छात्रों का इंटरव्यू लिया गया है तब उन्होंने भी अपने सफलता का राज , मेहनत के साथ-साथ मोबाइल और सोशल मीडिया से दूरी को ही बताया है। इसी प्रकार इस वर्ष के ओलंपिक खिलाड़ियों और विजेताओं से जब इंटरव्यू लिया गया तब उन्होंने भी अपनी सफलता का राज मेहनत के साथ-साथ मोबाइल का जरूरत अनुसार उपयोग व सोशल मीडिया से दूरी को ही अपनी सफलता में एक कारण माना।

देखा जाए तो यह बात केवल इन कुछ लोगों पर ही नहीं लागू होती । बल्कि उन तमाम युवाओं व सफल लोगों पर भी लागू होती है जिन्होंने मोबाइल में इंटरनेट मीडिया से दूरी बनाकर उपलब्धि हासिल की। मोबाइल व इंटरनेट मीडिया अवश्य ही वर्तमान की जरूरत है ,किंतु यह व्यक्ति के वर्तमान के साथ भविष्य का भी विध्वंसक बनने के साथ ही देश परिवार व राष्ट्र का विध्वंसक भी बन गया है।

यह ऐसा नशा है जिसके सामने अब तक के सभी नशे फीके पड़ गये हैं। मोबाइल इंटरनेट सोशल मीडिया से दूरी बनाकर ही हम स्वयं का अपने परिवार समाज व राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं, इसके लिए हमें मोबाइल का प्रयोग सोच समझकर करना होगा!

जैसे मोबाइल का अधिकतर उपयोग सिर्फ कॉलिंग के लिए करना सोशल मीडिया व रील्स देखने से बचना, तथा रात में एक निश्चित समय के पश्चात जैसे 8:00 बजे के बाद तथा सुबह 9:00 से पहले मोबाइल का उपयोग सिर्फ कॉलिंग के लिए व आवश्यक कामों के लिए ही करें। तभी हम बच्चों व युवाओं को इस नशे से दूर रखने में समर्थ व उनके  लिए एक आदर्श बन सकते हैं।

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