उद्योगपति ने जो कहा, उसे हर भारतीय को जानना जरूरी

दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।

इन्फोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति ने हाल ही में जलवायु परिवर्तन को लेकर एक गंभीर चेतावनी दी है। उनका कहना है कि अगर अब भी ठोस कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले समय में पुणे, बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे शहरों में रहना मुश्किल हो सकता है। ये शहर भी जलवायु परिवर्तन और बढ़ते तापमान के कारण रहने लायक नहीं रहेंगे।

क्या कहा नारायण मूर्ति ने?

पुणे में एक कार्यक्रम में बोलते हुए मूर्ति ने बताया कि जलवायु परिवर्तन के कारण देश के कई हिस्सों में लोग पलायन करेंगे। वो शहर जो पहले रहने के लिए अच्छे थे, अब जलवायु परिवर्तन के कारण मुश्किल हो जाएंगे, और इसके कारण बेंगलुरु, पुणे और हैदराबाद पर भी दबाव बढ़ेगा।

पलायन का खतरा

मूर्ति ने यह भी कहा कि इन शहरों में पहले से ही ट्रैफिक और प्रदूषण की समस्या बढ़ रही है, और अगर जलवायु परिवर्तन के कारण पलायन बढ़ता है, तो यह समस्या और भी गहरा सकती है।

क्या किया जाए?

उन्होंने यह सलाह दी कि भारत को जलवायु परिवर्तन के बारे में गंभीरता से सोचना होगा। कॉर्पोरेट जगत, राजनेता और नौकरशाहों को मिलकर काम करना होगा ताकि बड़े पैमाने पर पलायन न हो सके। नारायण मूर्ति ने यह भी कहा कि आने वाले 20-25 वर्षों में भारत के कुछ हिस्से रहने लायक नहीं रहेंगे।

युवाओं से अपील

नारायण मूर्ति ने देश के युवाओं से अपील करते हुए कहा कि उन्हें समाज और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा, “हमें समाज के वंचित वर्गों का ध्यान रखना चाहिए, वरना हम जानवरों से भी बदतर हो जाएंगे। केवल राष्ट्रीय ध्वज में लिपटकर हम सच्चे राष्ट्रवादी नहीं बन सकते।”


पर्यावरण के प्रतिकूल प्रभावों पर रिसर्च:

जलवायु परिवर्तन के कारण भारत में कई पर्यावरणीय समस्याएं बढ़ रही हैं। एक प्रमुख रिपोर्ट के अनुसार, भारत में शहरी तापमान तेजी से बढ़ रहा है, जिससे Urban Heat Island Effect का खतरा बढ़ गया है। इससे शहरी क्षेत्रों में पानी की कमी, ऊर्जा की अधिक खपत, और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।

पलायन का असर:
भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन से खेती प्रभावित हो रही है, जिससे ग्रामीण लोग रोजगार की तलाश में शहरों का रुख कर रहे हैं। यह शहरी क्षेत्रों में भीड़भाड़, ट्रैफिक और प्रदूषण जैसी समस्याओं को बढ़ाता है।

आवश्यक कदम:

  • नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश।
  • हरित बुनियादी ढांचे का विकास।
  • जलवायु-अनुकूल योजनाएं।

कॉर्पोरेट जगत और युवाओं को मिलकर जलवायु संकट से निपटने के लिए सतत प्रयास करने होंगे। नारायण मूर्ति की चेतावनी हमें इस दिशा में कदम उठाने की प्रेरणा देती है।

नारायण मूर्ति की यह चेतावनी सच में सभी के लिए एक बड़ी सोचने की बात है।

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