केंद्र सरकार ने कहा, सरकार की नीतियों के चलते आया सकारात्मक बदलाव
दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।
भारत में स्वास्थ्य खर्च को लेकर एक सकारात्मक बदलाव देखने को मिल रहा है। हाल ही में जारी राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा (एनएचए) अनुमान 2021-22 के अनुसार, देश में स्वास्थ्य सेवाओं पर जेब से होने वाले खर्च (आउट-ऑफ-पॉकेट एक्सपेंडिचर) में लगातार गिरावट आ रही है। यह 2017-18 में 48.8% था, जो 2021-22 में घटकर 39.4% पर आ गया। यह बदलाव सरकार की स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत बनाने वाली योजनाओं और नीतियों का परिणाम है।
जेब से होने वाले खर्च में गिरावट के कारण
सरकार ने प्राथमिक और माध्यमिक स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ और किफायती बनाने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य हर नागरिक को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना और जेब से होने वाले खर्च को कम करना है। इन प्रयासों में प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना, प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना, और निःशुल्क दवा एवं नैदानिक सेवाओं की पहल शामिल हैं।
स्वास्थ्य बजट में भारी वृद्धि
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के बजट में पिछले कुछ वर्षों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। 2017-18 में यह बजट 47,353 करोड़ रुपये था, जो 2024-25 में बढ़कर 87,657 करोड़ रुपये हो गया। यह 85% की वृद्धि को दर्शाता है। इस बजट का उपयोग स्वास्थ्य सेवाओं के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने, नई योजनाओं को लागू करने और स्वास्थ्य सुविधाओं की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन (पीएम-एबीएचआईएम)
इस मिशन का उद्देश्य देशभर में स्वास्थ्य सेवाओं का सशक्तिकरण है। 64,180 करोड़ रुपये की इस योजना के तहत प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार किया जा रहा है। मिशन के अंतर्गत, देश के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में आधुनिक स्वास्थ्य केंद्रों का निर्माण किया गया है, जिससे स्वास्थ्य सेवाएं लोगों तक अधिक प्रभावी रूप से पहुंच सकें।
आयुष्मान भारत-हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स (एचडब्ल्यूसी)
प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना के तहत स्वास्थ्य और वेलनेस केंद्रों (एचडब्ल्यूसी) का तेजी से विस्तार किया गया है। 10 दिसंबर 2024 तक, 1,75,418 एचडब्ल्यूसी स्थापित किए गए हैं। ये केंद्र न केवल सस्ती बल्कि व्यापक स्वास्थ्य सेवाएं भी प्रदान कर रहे हैं।
इन केंद्रों में उपलब्ध प्रमुख सेवाओं में शामिल हैं:
– प्रारंभिक स्वास्थ्य जांच।
– गैर-संचारी रोगों की पहचान और इलाज।
– गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं की देखभाल।
– निःशुल्क दवाएं और डायग्नोस्टिक सेवाएं।
प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम-जेएवाई)
प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना देश के कमजोर वर्गों के लिए एक बड़ा सहारा बनी है। इस योजना के तहत हर परिवार को 5 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा कवर प्रदान किया जा रहा है। इस योजना से अब तक 55 करोड़ से अधिक लोग लाभान्वित हो चुके हैं।
योजना की मुख्य विशेषताएं:
– अस्पताल में कैशलेस इलाज।
– 70 वर्ष से अधिक आयु के नागरिकों के लिए आय सीमा की छूट।
– निजी और सरकारी अस्पतालों में इलाज की सुविधा।
– अब तक 2 करोड़ से अधिक अस्पताल में इलाज के दावे सफलतापूर्वक पूरे किए गए।
किफायती दवाओं की उपलब्धता
किफायती और सस्ती दवाएं उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना शुरू की है। इस योजना के तहत देशभर में जन औषधि केंद्र स्थापित किए गए हैं। इन केंद्रों से जेनेरिक दवाएं बाजार मूल्य से 50% से 90% तक कम कीमत पर उपलब्ध हैं।
इसके अतिरिक्त, अमृत स्टोर के माध्यम से जीवनरक्षक दवाओं और सर्जिकल उत्पादों की बिक्री किफायती दरों पर हो रही है।
राज्यवार प्रदर्शन
एनएचए रिपोर्ट में विभिन्न राज्यों का प्रदर्शन भी उल्लेखनीय रहा है। कुछ प्रमुख राज्यों में स्वास्थ्य खर्च में गिरावट के आंकड़े इस प्रकार हैं:
– उत्तर प्रदेश: 2019-20 में 71.8% से घटकर 2021-22 में 63.7%।
– केरल: 2019-20 में 67.9% से घटकर 59.1%।
– तमिलनाडु: 2019-20 में 61.2% से घटकर 52.8%।
ये आंकड़े स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि राज्य सरकारों और केंद्र सरकार की नीतियां मिलकर स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति को सुधार रही हैं।
स्वास्थ्य सुविधाओं में तकनीकी सुधार
स्वास्थ्य सेवाओं में तकनीक का इस्तेमाल भी बढ़ा है। टेलीमेडिसिन सेवाओं और ई-संजीवनी जैसी योजनाओं ने दूरस्थ क्षेत्रों के लोगों को विशेषज्ञ डॉक्टरों की सेवाएं उपलब्ध कराई हैं।
आगे की राह
भारत सरकार का उद्देश्य हर नागरिक को सस्ती, गुणवत्तापूर्ण और सुलभ स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना है। सरकार ने न केवल स्वास्थ्य बजट में वृद्धि की है, बल्कि ऐसी योजनाएं लागू की हैं जो गरीबों और ग्रामीण आबादी के लिए फायदेमंद साबित हो रही हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इसी प्रकार स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश और योजनाओं का क्रियान्वयन होता रहा, तो भारत आने वाले वर्षों में स्वास्थ्य सेवाओं में आत्मनिर्भरता प्राप्त कर सकेगा।