दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।

premanand ji maharaj: प्रेमानंद महाराज जी ने हाल ही में अपने अनुयायियों से एक अद्वितीय आग्रह किया है—हर दिन में से सिर्फ ढाई घंटे भगवान की भक्ति और सत्संग के लिए समर्पित करें। उन्होंने यह समझाया कि दिन के 24 घंटों में से ढाई घंटे निकालना न केवल संभव है, बल्कि यह व्यक्ति के जीवन में अध्यात्म और शांति लाने का एक सशक्त माध्यम हो सकता है।

प्रेमानंद महाराज का समय विभाजन मंत्र

प्रेमानंद महाराज का कहना है कि “आप 12 घंटे काम करें और इसे ठाकुर जी को समर्पित करने में केवल 1 मिनट लगता है। इसके बाद 8 घंटे की नींद भी भगवान को समर्पित की जा सकती है। इस प्रकार आपके दिन के 20 घंटे उपयोग में आ गए। अब आपके पास 4 घंटे शेष हैं।” इन बचे हुए 4 घंटों का इस्तेमाल सही तरीके से करने की सलाह महाराज देते हैं।

भोजन और भक्ति का मेल

महाराज जी का कहना है कि 1.5 घंटे का समय भोजन के लिए समर्पित करें, लेकिन इस दौरान भगवान को न भूलें। भोजन से पहले “राधा राधा” का स्मरण करके उसे ठाकुर जी को अर्पित करें। इस प्रकार, भोजन भी आपके भक्ति का एक अंग बन जाएगा।

सत्संग और नाम जप में समय दें

शेष बचे 2.5 घंटे में से 1 घंटे सत्संग सुनें और 1.5 घंटे नाम जप करें। प्रेमानंद महाराज का विश्वास है कि अगर हर दिन आप यह समय भगवान को समर्पित करेंगे, तो अध्यात्म में आपकी प्रगति निश्चित है।

महाराज का आध्यात्मिक संदेश

प्रेमानंद महाराज का यह सरल पर गहन मंत्र आपके दिनचर्या में ढाई घंटे भक्ति और सत्संग के लिए निकालने पर बल देता है। इस समय को समर्पित करने से न केवल आत्मिक शांति मिलेगी, बल्कि आप एक सफल और संतुलित जीवन की ओर भी अग्रसर होंगे। क्या आप भी महाराज के इस आह्वान को अपनाकर अपने जीवन को अध्यात्म से समृद्ध करेंगे?

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