फैंस के सिर चढ़कर बोलने लगा राजेश खन्ना का जादू

दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।

आज के इस ऑर्टिकल में किस्सा राजेश खन्ना का और बात फिल्म दो रास्ते की। यह उस दौर का किस्सा है जब आराधना को रिलीज हुए तकरीबन एक महीना बीत चुका था। यानी दिसंबर 1969 बंबई के रॉक्सी थिएटर में आराधना के शो हाउसफुल चल रहे थे और तकरीबन इसी समय रॉक्सी से कुछ ही दूरी पर स्थित ऑपेरा हाउस में राजेश खन्ना की एक नई फिल्म रिलीज हुई। यह फिल्म थी राज खोसला की दो रास्ते।

राजेश खन्ना के फैन इस फिल्म पर टूट पड़े। कई दीवाने फैन तो ऐसे भी थे जो एक थिएटर से आराधना देखकर निकलते और पास वाले दूसरे थिएटर में दो रास्ते देखने चले जाते। देश के कई और शहरों में भी यही कहानी दोहराई जा रही थी। देश भर के सारे सिनेमा घरों में राजेश खन्ना का जादू अब सिर चढ़कर बोल रहा था।

लेखक चंद्रकांत काकोडकर के उपन्यास पर आधारित दो रास्ते एक संयुक्त परिवार के जज्बात की कहानी थी। जिसमें मशहूर अभिनेता बलराज साहनी ने राजेश खन्ना के बड़े भाई का अहम किरदार निभाया था। फिल्म में संघर्षों से जूझते परिवार में रिश्तों का तानाबाना और मेलो ड्रामा के केंद्र में था। निर्देशक राज खोसला ने राजेश खन्ना और मुमताज की जोड़ी के रोमांटिक ट्रैक में जादू चला दिया।

शूटिंग के वक्त राजेश खन्ना एक फ्लॉप एक्टर थे। मगर रिलीज के समय लोग दो रास्ते को सिर्फ उनकी वजह से देखने आ रहे थे। गीतकार आनंद बख्शी और संगीतकार जोड़ी लक्ष्मीकांत प्यारेलाल और राजेश खन्ना के कॉंबिनेशन का यह असर था कि फिल्म के सभी गीत ब्लॉकबस्टर साबित हुए। ‘बिंदिया चमकेगी चूड़ी खनकेगी’ या फिर ‘छुप गए सारे नजारे’ या ‘मेरे नसीब में दोस्त’ या फिर ‘यह रेशमी जुल्फें यह शरबती आंखें’ यह तमाम गीत सबकी जुबान पर चढ़ चुके थे।

पूरी फिल्म में वह क्लीन शेव में दिखाई देते हैं। दरअसल यह गीत उस समय शूट किया गया जब राजेश खन्ना यश चोपड़ा की शूटिंग कर रहे थे। कहने को दो रास्ते में यह उनका कंटिन्यूटी जंप था लेकिन लड़कियां इस गीत में उनके इस इंटेंस लुक की दीवानी हो गई। राजेश खन्ना इस फिल्म में पहली बार मुमताज के साथ नजर आए और उनकी जोड़ी की केमिस्ट्री ने आगे चलकर गजब ढा दिया। यह वह जोड़ी थी जो आगे चलकर हिंदी सिनेमा की सबसे कामयाब जोड़ी कहलाई। फिल्म की शूटिंग के दौरान राजेश खन्ना और मुमताज में गहरी दोस्ती हो गई। लगातार दूसरी फिल्म की बंपर कामयाबी ने साबित कर दिया कि दर्शकों पर राजेश खन्ना का बुखार उतरने की बजाय और चढ़ता चला जा रहा है।

दमदार थी फिल्म की कहानी

राज खोसला के दो रास्ते साल 1969 की फिल्म है, जो आराधना के ठीक बाद तकरीबन एक महीने बाद आई। राजेश खन्ना इस फिल्म में कर्तव्यनिष्ठ बेटे की भूमिका निभाते हुए नजर आते हैं। मुमताज ने उनकी प्रेमिका की भूमिका निभाई। बलराज साहनी और कामिनी कौशल बड़े भाई और और भाभी की भूमिका में है।

प्रेम चोपड़ा ने मनमौजी बेटे की भूमिका निभाई और बिंदू उनकी पत्नी है जो इस पूरी फिल्म में विवाद पैदा करती है। हालांकि राजेश खन्ना और मुमताज नाम मात्र के नायक और नायिका हैं। वास्तव में पूरी टीम की फिल्म है एक पारिवारिक फिल्म है और सबसे बढ़कर बलराज साहनी ने दिखाया कि क्यों उन्हें हिंदी सिनेमा के महान अभिनेताओं में से एक माना जाता है।

वीना ने परिवार की मुखिया के रूप में भी अपनी छाप छोड़ी थी। नरेंद्र यानी कि बलराज साहनी एक घर के मुखिया हैं जिसमें उनकी सौतेली मां श्रीमती गुप्ता यानी कि वीणा शामिल हैं। छोटे सौतेले भाई विजू यानी प्रेम चोपड़ा और सत्यन राजेश खन्ना एक सौतेली बहन है गीता जिसके किरदार में है कुमुद और उनकी पत्नी माधवी यानी कामिनी कौशल है।

मील का पत्थर साबित हुआ

साल 1969 राजेश खन्ना के करियर में तो मिल का पत्थर साबित हुआ लेकिन इसी साल एक और छोटी सी फिल्म रिलीज हुई फिल्म का नाम था सात हिंदुस्तानी। इसे मशहूर लेखक ख्वाजा अहमद अब्बास ने निर्देशित किया था। इसमें अमिताभ बच्चन नाम के रूप में एक नए एक्टर ने अपने करियर की शुरुआत की थी। हालांकि इस फिल्म के लिए उसे सर्वश्रेष्ठ नए अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। लेकिन यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह पिट गई। यानी वह दौर जब राजेश खन्ना फलक पर बड़ी तेजी से उभरे राजेश खन्ना ने भी फिल्म इंडस्ट्री में तभी जन्म लिया।।

Spread the love

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here