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सरकार की अनेक जनकल्याणकारी नीतियां रामराज्य की समानता और परिकल्पना को सिद्ध करती है

लेखक- मघेन्द्र प्रताप सिंह

कलयुग में रामराज्य की कल्पना नींद में सपना देखने जैसा अनुभव हैं, परन्तु अगर प्रयास सही दिशा में हो तो परिणाम भी अच्छा होता है। अक्सर वर्तमान के संदर्भ में रामराज्य की कल्पना हमें सुनने को मिलती है। भला मिले भी तो क्यों नहीं, त्रेता से वर्तमान तक मर्यादा एवं धर्म परायणता का प्रतिबिंब केवल राजा राम ही है, अतः ऐसे आदर्श राजा राम के राज्य की कल्पना समय समय पर होती रही हैं।

महर्षि तुलसीदास रामचरित मानस में रामराज्य की परिभाषा बतलाते हुए लिखते हैं कि

राम राज राजत सकल, धरम निरत नर नारि।

राग न रोष न दोष दुख, सुलभ पदारथ चारि॥

अर्थात् सभी नर नारी अपने धर्म में रक्त होकर सुशोभित हो रहे हैं कहीं भी राग, द्वेष, क्रोध, दोष और दुःख व्याप्त नहीं है। धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष सभी को सुलभ है। रामराज्य की कल्पना में राजा एवं प्रजा दोनों का व्यवहार रामवत हो यह अपेक्षा आवश्यक है। वर्तमान के संदर्भ में परिपूर्ण की कल्पना करना इसलिए भी कठिन हो जाता हैं।

प्रजा को राममय राज्य मिले इसकी कल्पना के लिए प्रथम सीढ़ी सरकार की शासन संरचना एवं नीतियां ही होती है। तत्कालीन विचारों और राजधर्म को अपनी नीतियों मैं समावेशित करना ही रामराज्य कल्पना है। वर्तमान सरकारों के लिये रामराज्य का प्रयोग आदर्श शासन के प्रतीकात्मक रूप में किया जाता है।

 महात्मा गाँधी जी ने हमेशा राम राज्य को वैश्विक स्तर पर चाहा है। आज हम लोग देखते हैं कि सरकार की अनेक जनकल्याणकारी नीतियां रामराज्य की समानता और परिकल्पना को सिद्ध करती है।

जिसतरह से नारी सम्मान, सांस्कृतिक धरोहर, संरक्षण, नई शिक्षा नीति, शांति व्यवस्था, नए प्रयोग एवं जन कल्याणकारीनीतियों के माध्यम से हम रामराज्य की समानताओं का समावेशन देख पा रहे है जनता जनार्दन द्वारा अपने हित कार्यों से प्रभावित होकर विश्वास मत सरकार को देना सबसे बड़ी रामराज्य की संज्ञा हैं।

वर्तमान सरकार की नीतियां और रामराज्य- सरकारी नीतियों का सर्वस्पर्शी होना ही रामराज्य की परिभाषा है। अनुसूचित अल्पसंख्यक एवं सभी वर्गों को साथ लेकर सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास सबका प्रयास की नीति समावेशी विकास की प्राथमिकता हैं।

प्रधानमंत्री जी द्वारा आर्थिक समानता, समावेशिता के लिए विभिन्न जन कल्याणकारी योजनाओं जैसे आयुष्मान भारत, किसान सम्मान निधि, उज्ज्वला योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना आदि के द्वारा समाज में आर्थिक उत्थान को सुदृढ़ किया गया। इनके कारण अनेक सामाजिक भेदो के बीच की दूरी को कम किया जा रहा है साथ ही डिजिटल इंडिया के माध्यम से एक बड़े कालाबाजार, भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने पर नई पीढ़ी को आधुनिकीकरण से जोड़ा गया। युवा भारत की सबसे बड़ी समस्या रोजगार को ध्यान में रखते हुए रोजगारोन्मुखी मुद्रा योजना, स्टार्टअप इंडिया जैसे कौशल आधारित कार्यक्रमों से युवा नए प्रयोगों और स्वनिर्मित रोजगारों के लिये प्रेरित हो रहे हैं।

दो सदियों से जिस विदेशी शिक्षा नीति का अनुसरण करते हुए हम भारतीय अपने धर्म, इतिहास, शास्त्रों के प्रभाव को समाप्त कर रहे थे। उसी के विकास के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण, धार्मिक, व्यावसायिक, एवं उपयोगी शिक्षा को अपनाया गया। विद्यार्थियों को भारतीय ज्ञान परंपरा और आदर्शों से जोड़ा गया। आधुनिक, AII एवं प्राचीन शिक्षा परंपराओं का समन्वय करके एक सर्वव्यापी शिक्षानीति से रामराज्य की कल्पना को साकार किया गया।

रक्षा और विदेश नीति के क्षेत्र में बढ़ता भारत- भारत आज न केवल अपने आंतरिक विकास में अग्रसर है, बल्कि वैश्विक मंच पर भी दृढ़ता से उभर रहा है। रक्षा और विदेश नीति के क्षेत्र में भारत का बढ़ता कद, उसकी रणनीतिक सूझबूझ और मानवीय दृष्टिकोण का प्रमाण है। हाल ही में “ऑपरेशन सिंदूर” की सफलता ने यह सिद्ध कर दिया कि भारत अब न केवल अपनी सीमाओं की रक्षा करने में सक्षम है, बल्कि दुनिया के किसी भी देश में भारत विरोधी गतिविधि और आतंकवाद को समाप्त करने की ताकत रखता हैं। साथ ही हमने स्पष्ट किया हैं कि आतंकवाद हमारे लिए “एक्ट ऑफ वार” ये बात आतंक परस्त पाकिस्तान सरकार को समझनी पड़ेगा। प्रधानमंत्री और विदेश मंत्रालय के नेतृत्व में भारत ने जिस तरह से विश्व स्तर पर अपनी भूमिका निभाई है, वह दर्शाता है कि भारत अब एक सशक्त और आत्मनिर्भर राष्ट्र बन चुका है। चाहे चीन सीमा पर सतर्कता हो, समुद्री सुरक्षा में सहभागिता हो या फिर वैश्विक मंचों जैसे G20, BRICS, QUAD, G7 में हमारी भूमिका एक निर्णायक और भरोसेमंद शक्ति के रूप में हैं।

रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत स्वदेशी रक्षा उत्पादों का निर्माण, तेजस लड़ाकू विमान, INS विक्रांत, D-4 प्रतिरक्षा शस्त्र और अग्नि मिसाइल शृंखला जैसे आयाम भारत को सैन्य रूप से और भी सशक्त बना रहे हैं। साथ ही, रणनीतिक साझेदारियों और द्विपक्षीय वार्ताओं के ज़रिए भारत ने अपनी विदेश नीति को संतुलित, प्रभावशाली और प्रगतिशील बनाया है।हमारी रक्षा और विदेश नीति में भारत की यह प्रगति न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा का प्रतीक है, बल्कि यह “रामराज्य” की उस भावना को भी जीवित रखती है जहाँ राज्य नागरिकों की सुरक्षा और सम्मान को सर्वोपरि मानता है।

इस तरह से रामराज्य की कल्पना केवल कल्पना मात्र नहीं, बल्कि प्रामाणिक है, इसकी पृष्ठभूमि है, यह केवल आदर्श नहीं बल्कि विश्व के लिए प्रेरणा स्रोत भी हैं। क्योंकि यह एक शासन प्रणाली न होकर कर्तव्यबोध है, सेवा का भाव है, नैतिक जिम्मेदारी है। अंततः इसका पूर्ण क्रियान्वयन सरकार, समाज, नागरिक सभी के प्रयासों से संभव है। सभी के प्रयास से ही सामाजिक मूल्यों को परिवर्तित किया जा सकता है।

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