दीवाने आम की पुश्त पर शाहजहां के जमाने का यह सबसे बड़ा और आलीशान महल है, जो उत्तर से दक्षिण की ओर 153 फुट 6 इंच और पूर्व से पश्चिम की ओर 69 फुट 3 इंच है। इसका सहन बहुत चौड़ा था। इसमें नहरें जाती थीं और फव्वारे छूटते थे। बाग लगा हुआ था। अब सब बरबाद हो गया है। अगले जमाने में इस महल के सहन में एक हौज 50 गज लंबा और 48 गज चौड़ा था, जिसमें पांच फव्वारे छूटते थे। एक नहर थी, जिसमें 25 फव्वारे छूटते थे।
बगीचा था, जो 115 गज लंबा और 100 गज चौड़ा था। उसके गिर्द लाल पत्थर का पैवीलियन था, जिस पर दो हजार सुनहरी कलसियां चढ़ी हुई थीं। तीन तरफ उस सहन के सत्तर गज की चौड़ाई का मकान बना हुआ था। दरिया की तरफ बाग और इमतियाज महल की इमारत थी। कुर्सी देकर एक चबूतरा बना है, जिसके नीचे दो बहुत बड़े तहखाने हैं।
इस चबूतरे पर 57 गज x 36 गज का पचदरा तिहरा दालान बना है। बीच के दर के सामने सहन की तरफ एक हौज संगमरमर का है और एक पत्थर का है जिसमें डेढ़ गज की ऊंचाई से तीन गज चौड़ी चादर पड़ती थी और उसमें से उछलकर नीचे के हौज में आती थी और वहां से नहरें बहती थीं। इस महल की रोकार तमाम संगमरमर की थी। महल की छत के चारों कोनों पर चार चौखंडियां बनी थीं।
इस महल के कोनों पर चार संगीन बंगले बने हुए थे, ताकि गर्मियों में खस लगाई जा सके। महल के अंदर भी महराबदार दर हैं। एक हौज है, जो खिला हुआ फूल प्रतीत होता है। यह हौज साढ़े सात गज मुरब्बा है। कहते हैं, इस महल की छत निरी चांदी की थी। फर्रुखसियर के वक्त में किसी जरूरत के कारण यह छत उखाड़ी गई और उसके बदले में तांबे की छत चढ़ा दी गई। फिर अकबर सानी के वक्त तांबे की छत भी उखाड़ ली गई और लकड़ी की चढ़ा दी गई, जो अब बोसीदा हो गई है।