1857 की क्रांति: बगावत जैसे जैसे एक एक दिन आगे बढ रही थी बहादुर शाह जफर का सब्र जवाब दे रहा था। कोतवाल जहीर देहलवी जो पूरे घेरे के दौरान जफर के खास सेवक थे, कहते हैं कि पूरी जुलाई उन्होंने जफर की हिम्मत को टूटते देखा और अगस्त तक वह बिल्कुल बेबसी और नाउम्मीदी का शिकार हो चुके थे। “वह हमेशा दुखी  और गमगीन हालत में रहते थे और हमेशा उनकी आंखें आंसुओं से भरी होतीं। शाम को वह खामोशी से जाकर अपने तस्बीहखाने में बैठ जाते और क्रांतिकारियों  को बुरा-भला कहते।

हमें निर्देश थे कि हम बारी-बारी उनके पास रहें। एक बार जब मैं वहां ड्यूटी पर था, तो हमने गार्ड को कहते सुना कि सब होशियार रहें। हम सबने अपनी पगड़ियां बांध लीं और तैयार हो गए। जब बादशाह सलामत आए, तो हम सब खड़े होकर आदाब बजा लाए। जफर तस्वीहखाने में अपने नीचे तख्त पर बैठ गए और पाव तकिये से टेक लगा ली।

फिर उन्होंने हमें खिताब किया, ‘क्या तुम इस सबका नतीजा जानते हो जो हो रहा है?’ शहजादा हामिद खान ने जवाब दिया, ‘डेढ़ सौ साल बाद हुजूर की शानो-शौकत वापस आ रही है और मुगलों की खोई हुई सल्तनत बहाल हो रही है।’ “बादशाह ने अपना सर हिलाया और कहा, ‘मेरे बच्चो, तुम कुछ नहीं समझते।

सुनोः मैंने इस बर्बादी को दावत नहीं दी थी। मेरे पास न खज़ाना था, न पैसा न ज़मीन या सल्तनत। मैं तो एक फकीर था, खुदा की तलाश में कोने में बैठा एक सूफी। कुछ लोग मेरे गिर्द रोजाना, मेरी रोटी पर गुजारा कर रहे थे। लेकिन अब मेरठ में जो जबर्दस्त आग भड़की थी वह खुदा की मर्जी से दिल्ली आन पहुंची है और इसने इस शानदार शहर को भी जला डाला है।

लगता है कि किस्मत में यही लिखा है कि मैं और मेरा वंश हमेशा के लिए बर्बाद हो जाएगा। अभी तो महान तैमूर का नाम जिंदा है लेकिन जल्द ही यह नाम मिट जाएगा और हमेशा के लिए भुला दिया जाएगा। यह बेवफा सिपाही, जिन्होंने अपने मालिकों के साथ गद्दारी की और यहां पनाह लेने आए, यह सब जल्द वापस चले जाएंगे।

जब यह अपने ही अफसरों के वफादार नहीं हुए, तो मैं इनसे क्या उम्मीद रखूं? यह मेरा घर तबाह करने आए हैं और वह इसको तबाह कर देंगे तो भाग खड़े होंगे। फिर अंग्रेज मेरा सिर काट लेंगे और मेरे बच्चों का भी, और उनको लाल किले के ऊपर लगा देंगे। और यह तुममें से रहा भी किसी को नहीं छोड़ेंगे। लेकिन अगर तुममें से कोई बच जाए, तो जो में कह हूं वह याद रखना। अगर तुम रोटी का एक टुकड़ा भी मुंह में रखोगे, तो वह तुमसे छीन लिया जाएगा और हिंदुस्तान के सब संभ्रांत लोगों से मामूली देहातियों जैसा सुलूक किया जाएगा।’

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