कुलदीप नैयर अपनी किताब में ताशकंद में लाल बहादुर शास्त्री जी की आखिरी रात के बारे में विस्तार से लिखा है। उन्होंने लिखा कि पत्नी से बात करने के लिए शास्त्री जी ने फोन किया था, लेकिन वो बात नहीं की। इसके बाद परेशान शास्त्री जी इधर उधर चहलकदमी करने लगे। रामनाथ ने उन्हें दूध दिया, जो वे सोने से पहले हमेशा लेते थे। इसके बाद शास्त्री फिर से चहलकदमी करने लगे। कुछ देर बाद उन्होंने पानी मांगा तो रामनाथ ने ड्रेसिंग टेबल पर रखे थर्मस में से उन्हें थोड़ा पानी निकालकर दे दिया। रामनाथ ने बताया कि इसके बाद उसने थर्मस को बन्द कर दिया था। आधी रात से कुछ पहले शास्त्री ने रामनाथ को अपने कमरे में जाकर सो जाने के लिए कहा, क्योंकि सुबह जल्दी उठकर काबुल का विमान पकड़ना था।

रामनाथ ने उन्हीं के कमरे में फर्श पर सो जाने की इच्छा जताई, लेकिन शास्त्री ने उन्हें ऊपर अपने कमरे में जाने के लिए कहा। जगन्नाथ ने बताया कि रात को एक बजकर बीस मिनट के आसपास वे सब अपना सामान बांध रहे थे तो अचानक उन्हें दरवाजे पर शास्त्री दिखाई दिए। उन्होंने बड़ी मुश्किल से कहा, “डॉक्टर साहब कहां हैं?” (Shastri ji’s last words were.. where is Doctor) अपनी बैठक में लौटते ही शास्त्री बुरी तरह खांसने लगे। जगन्नाथ और अन्य सहयोगियों ने मिलकर उन्हें उनके बिस्तर तक पहुंचाया। जगन्नाथ ने उन्हें पानी पिलाया और कहा, “बाबूजी, आप ठीक हो जाएंगे।” शास्त्री ने अपनी छाती को छुआ और फिर देखते-ही-देखते बेहोश हो गए। (दिल्ली लौटने के बाद जगन्नाथ ने ललिताः शास्त्री को यह बात बताई तो उन्होंने कहा, “तुम भाग्यशाली हो कि मरने से पहले उन्होंने तुम्हारे हाथ से पानी पीया था ।”)

तब तक डॉक्टर चुग भी पहुंच चुके थे। उन्होंने शास्त्री की नब्ज देखी तो उनकी रुलाई छूट गई, “बाबूजी, आपने मुझे जरा भी वक्त नहीं दिया!” उन्होंने जल्दी से शास्त्री की बांह में एक इंजेक्शन लगाया और फिर सीधे उनके दिल में भी एक इंजेक्शन उतार दिया। कोई प्रतिक्रिया न देखकर डॉक्टर ने मुंह से मुंह की श्वांस प्रक्रिया द्वारा उन्हें कृत्रिम सांस देने की कोशिश की। उन्होंने जगन्नाथ को जल्दी से दूसरे डॉक्टरों को बुलाने के लिए कहा। बाहर तैनात रूसी सन्तरी ने जैसे ही ‘डॉक्टर’ शब्द सुना वह डॉक्टरों को बुलाने के लिए दौड़ पड़ा। दस मिनट बाद ही एक लेडी डॉक्टर आ पहुंची। जल्दी ही कुछ दूसरे डॉक्टर भी आ गए। लेकिन शास्त्री पहले ही दम तोड़ चुके थे। उनकी मौत 1 बजकर 32 मिनट (ताशकन्द समय) पर हुई थी। तब भारत में रात के लगभग 2.00 बजे का समय था।

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