सोनम कपूर और आनंद आहूजा ने 47.84 करोड़ रुपये में खरीदा नीरव मोदी का म्यूजिक स्टोर ‘रिदम हाउस’

रिदम हाउस की स्थापना 1940 के दशक में हुई थी

दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।

अभिनेत्री सोनम कपूर और उनके पति आनंद आहूजा की कंपनी ‘भाने ग्रुप’ ने मुंबई के ऐतिहासिक म्यूजिक स्टोर ‘रिदम हाउस’ को 47.84 करोड़ रुपये में खरीदा है। 3,600 वर्ग फुट में फैला यह प्रतिष्ठित म्यूजिक स्टोर 2018 में बंद हो गया था, जब इसके पूर्व मालिक नीरव मोदी बैंक से लिए अरबों रुपये के कर्ज को चुकाने में विफल रहे थे।

इस सौदे की पुष्टि भारतीय दिवाला न्यायालय द्वारा नियुक्त समाधान विशेषज्ञ ने की, जिन्होंने बिक्री की प्रक्रिया का प्रबंधन किया। फायरस्टार की संपत्तियों की बिक्री की देखरेख करने वाले अधिकृत लिक्विडेटर शान्तनु टी रे ने ब्लूमबर्ग न्यूज के साथ एक टेलीफोनिक बातचीत में कहा, “स्टेकहोल्डर समिति ने 478.4 मिलियन रुपये में रिदम हाउस की बिक्री को मंजूरी दे दी है।”

भाने ग्रुप के एक प्रवक्ता ने भी इस खरीद की पुष्टि की। हालांकि कंपनी ने सौदे के वित्तीय विवरणों पर टिप्पणी करने से इनकार किया, लेकिन उन्होंने यह जरूर साझा किया कि कंपनी ने अपनी ड्यू डिलिजेंस (यथोचित परिश्रम) पूरी कर ली है और मुंबई में अपनी खुदरा उपस्थिति को बढ़ाने की योजना बना रही है।

प्रवक्ता ने ईमेल बयान में कहा, “हमने अपनी ड्यू डिलिजेंस पूरी कर ली है और शहर में अपनी रिटेल उपस्थिति का विस्तार करने की योजना बना रहे हैं। हम एक निजी कंपनी हैं, इसलिए बोली से संबंधित किसी भी वित्तीय जानकारी पर टिप्पणी नहीं कर सकते।”

भाने के खुदरा विभाग के अंतर्गत नाइकी और कॉनवर्स के स्टोर्स पहले से ही भारत में संचालित किए जा रहे हैं।

भाने, एक फैशन ब्रांड है जो शाही एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के अधीन आता है। यह कंपनी आनंद आहूजा के पिता हरीश आहूजा के स्वामित्व में है और भारत की सबसे बड़ी परिधान निर्माता कंपनियों में से एक है। यह कंपनी यूनीक्लो, डेकाथलॉन और एचएंडएम जैसी अंतरराष्ट्रीय ब्रांडों को सप्लाई करती है।

यह उन संगीत प्रेमियों के लिए एक युग के अंत का प्रतीक है, जिन्होंने विनाइल, कैसेट्स और कॉम्पैक्ट सीडी पर अपने पसंदीदा कलाकारों का संगीत सुना था। 1940 के दशक में स्थापित रिदम हाउस कई बॉलीवुड हस्तियों और मशहूर संगीतकारों के लिए एक खास स्थान रहा है, जिसमें जैथ्रो टुल के इयान एंडरसन और शास्त्रीय संगीत के दिग्गज पंडित रवि शंकर भी शामिल हैं। हालांकि, 1990 के दशक के अंत में बढ़ते संगीत पाइरेसी के चलते और डिजिटल स्ट्रीमिंग के आगमन से, इस प्रतिष्ठित स्टोर ने धीरे-धीरे अपनी प्रासंगिकता खो दी थी।

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