इतिहास की किताबों को पलटें तो पता चलता है कि देश में सबसे पहले बिजली उत्पादन कोलकाता इलेक्ट्रिक सप्लाई कॉरपोरेशन ने 1899 में शुरु किया था। बात दिल्ली की करें तो 20 वीं शताब्दी की शुरूआत में बिजली दिल्ली पहुंची।

नारायणी गुप्ता अपनी पुस्तक “दिल्ली बिटवीन टू एंपायर्स” में लिखती है कि बिजली भी 1902 में (दिल्ली) दरबार के होने के कारण दिल्ली में आई। दिल्ली में डीजल से पहली बार बिजली का उत्पादन 1905 में शुरू हुआ। 1911 में हुए तीसरे दिल्ली दरबार में जब प्रिंस जार्ज पंचम ने बुराड़ी के कोरोनेशन पार्क में आयोजित एक समारोह में ब्रिटिश भारत की राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित करने की घोषणा की, उसी साल दिल्ली में भाप उत्पादन स्टेशन बनाया गया।
दिल्ली में बिजली की आपूर्ति 2 जनवरी 1903 के दिन शुरू हुई और 1905 में ट्राम-वे लाइन चली। ट्राम लाहौरी दरवाजे से शुरू होकर खारी बावली, चांदनी चौक, एस्प्लेनेड रोड, जामा मस्जिद, चावड़ी बाजार, हौजकाजी, लाल कुआं, कटरा बड़ियां होती हुई फतहपुरी तक जाती। जबकि इसकी दूसरी लाइन लाहौरी दरवाजे से सदर बाजार और हिंदूराव के बाड़े तक जाती थी, एक सब्जीमंडी घंटाघर तक भी जाती थी। अब यह लाइन करीब-करीब बंद हो चुकी है। इसकी शुरूआत 3 जून 1908 के दिन हुई थी।

“दिल्ली, पॉस्ट एंड प्रेजेन्ट” के लेखक एच सी फांशवा ने पूर्व (यानी भारत) में बिजली पर चर्चा करते हुए लिखा है कि दिल्ली में कलकत्ता में विपरीत कारोबार गोधूलि के अंत में खत्म हो जाता था। ऐसे में मिट्टी के तेल से होने वाली रोशनी शहरवासियों के लिए काफी थी।
मैसर्स जॉन फ्लेमिंग नामक एक ब्रितानिया कंपनी ने 1905 में पहला डीजल पावर स्टेशन बनाया। बताते हैं कि इस कंपनी के पास ना केवल बिजली बनाने की जिम्मेदारी थी अपितु वितरण का कार्य भी यही करती थी। विद्युत अधिनियम, 1903 के तहत लाइसेंस प्राप्त करने के बाद जॉन फ्लेमिंग कंपनी ने लाहौरी गेट पर दो मेगावाट का एक छोटा डीजल स्टेशन बनाया। बाद में इसका नाम कंपनी का नाम बदलकर दिल्ली इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई एंड ट्रैक्शन कंपनी हो गया। 1911 में भाप से बिजली बनाने वाले स्टेशन की नींव पडी।
1912 के दिल्ली गजट के अनुसार इलेक्ट्रिसिटी से रोशनी के मामले में दिल्ली अन्य शहरों से पिछड़ी नहीं थी। हालांकि यह बात भी सही है कि सिविल लाइंस में बहुतायत में लोग मिट्टी के तेल से जलने वाले दीयों से रोशनी करते थे। लेकिन सैद्धांतिक रूप से गलियों में रोशनी की पर्याप्त व्यवस्था की जा चुकी थी। कुल मिलाकर 2000 मोमबत्तियों की रोशनी के बराबर 40 लैम्प और 50 मोमबत्तियों की रोशनी के बराबर 80 लैम्प यहां लगाए गए हैं। सार्वजनिक इमारतों, सिविल लाइन्स के घरों और रईसों के घरों को रोशनी के लिए बतौर नियम बिजली दी जा रही है।

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