Mulayam Singh Yadav Death news: मुलायम सिंह यादव की शिक्षा दीक्षा बड़ी कठिन परिस्थितियों में हुई थी। सैफई गांव उस समय पिछड़ा था। शिक्षा की किरण उस समय वहां पहुंची नहीं थी। अधिकांश लोग खेती करते थे और उनके बच्चे भी बड़े होकर यही पेशा अपना लेते थे । शिक्षा के बड़े केंद्र दूरदराज के इलाकों में होने के कारण लोग इतनी दूर अपने बच्चों को पढ़ने के लिए भेजना नहीं चाहते थे।
मुलायम सिंह (mulayam singh yadav) ने एक ऐसे पिछड़े गांव में जन्म लिया था, जहां हर स्तर पर बदहाली थी। लोग ऐसे वातावरण में रहने को विवश थे, जहां विकास तो दूर सामान्य सुविधाएं भी नहीं थीं। हर तरफ बदहाली और बेबसी के काले साए मंडराते रहते थे। गांव में डामर की सड़क तो दूर, एक विद्यालय तक नहीं था।
मुलायम सिंह की मां मूर्ति देवी उन दिनों की याद करते हुए कहती थी कि “सैफई, कुछ झोपड़ियों और कच्चे मकानों का समूह था और यहां फैली थी दूर-दूर तक, ऊसर ज़मीन ! गांव में मात्र एक कुंआ था और लोग बैलगाड़ी से इधर-उधर आते-जाते थे।”
सैफई पास के शहरों से बिल्कुल कटा हुआ था। इसलिए यह विकास के मामले में पिछड़ गया था, लेकिन इस गांव में रहने वाले धैर्यवान और शांत प्रकृति के थे । उन्होंने विषम परिस्थितियों बावजूद कभी किसी जन प्रतिनिधि अथवा प्रशासनिक अधिकारी से इसकी शिकायत नहीं की।
रात में पढ़ाई
राजनीति के गलियारों में ‘नेताजी’ के नाम से मशहूर मुलायम सिंह यादव का जन्म 21 नवम्बर, 1939 को यमुना नदी के किनारे स्थित इटावा जनपद के सैफई नाम गाँव में एक प्रतिष्ठित यादव कुल में हुआ था। उनके पिता का नाम सुघरसिंह और माता का मूर्ति देवी था। पिता कृषक और पशुपालक थे और यही
आजीविका का आधार था। गांव के प्रधान महेंद्र सिंह ही एकमात्र शिक्षित व्यक्ति थे। मुलायम सिंह में पढ़ने-लिखने की ललक थी। वे अपने पिता से पढ़ने की जिद करते थे, इसलिए उनकी जिद के आगे पिता को झुकना पड़ा। उन्होंने मुलायम सिंह का इस संबंध में पूरी तरह सहयोग किया।
ग्राम-प्रधान महेंद्र सिंह ने अपने घर पर नन्हें मुलायम के साथ अन्य बालकों को निःशुल्क पढ़ाना शुरू कर दिया। महेंद्र सिंह दिन में अपने घरेलू व अन्य काम निपटाते थे और रात में बच्चों को पढ़ाते थे। उनकी रात्रिकालीन कक्षा में इन्होंने हिंदी वर्णमाला से लेकर गणित के पहाड़े और सवाल सीखना शुरू किया। मुलायम बहुत ही कुशाग्र बुद्धि के थे, कुछ ही दिनों में अपने अध्यापक केे प्रिय बन गए। गांव के पास स्थित एक प्राइमरी स्कूल में बाद में दाखिला लिया।
अपनी प्राइमरी पढ़ाई पूरी करने के बाद मुलायम सिंह हैबरा के जूनियर हाई स्कूल में भर्ती हुए । 1956 में जूनियर हाई स्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद इन्होंने करहल के जैन इण्टर कॉलेज में प्रवेश लिया और 1958 में हाईस्कूल तथा 1960 में इण्टरमीडिएट की परीक्षाएं उत्तीर्ण की। इस काल में उनको अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने भगवान पर भरोसा करके हिम्मत नहीं हारी। बाद में परेशानियों की काई कट गई और आगे का रास्ता साफ हो गया।
स्नातक कक्षा में प्रवेश के लिए मुलायम ने के. के. कॉलिज, इटावा का रुख किया। 1962 में बी. ए. परीक्षा उत्तीर्ण की। उन्हें अध्यापन का व्यवसाय पसंद था, इसलिए उन्होंने ए. के.कॉलिज, शिकोहाबाद में बी. टी. सी. में प्रवेश लिया और एक वर्ष बाद 1963 में डिग्री प्राप्त कर ली।mulayam singh yadav life