यह मजार जामा मस्जिद और किले के बीच है। मोलाना आजाद की कब्र में एक सब्ज चोटी कटघरा नजर आता है। कब्र दोहरे चबूतरे पर है। ऊपर के चबूतरे पर शेख साहब की कब्र है। कब्र ताबीज संगमरमर का है। ये एक फकीर आदमी थे। अभी हाल में इनके मजार की फिर से मरम्मत हो गई है। आजकल इनकी बड़ी मान्यता है। इनका उसे भी होने लगा है। रोशनुद्दौला की दूसरी सुनहरी मस्जिद (1744-45 ई.)

यह मस्जिद फैज बाजार के उत्तरी भाग मोहल्ला काजी बाड़े में सड़क के किनारे बनी हुई है, जिसे रोशनुद्दौला ने इसी नाम की चांदनी चौक वाली मस्जिद के चौबीस बरस बाद 1744-45 ई. में बनाया था। यह फैज बाजार की सड़क से नौ फुट ऊंचे चबूतरे पर बनाई गई है, जो 57 फुट * 32 फुट है। सदर दरवाजा पूर्वी दीवार में 11 फुट ऊंचा, 16 फुट चौड़ा और 6 फुट गहरा है। सात सीढ़ियों का दो तरफा जीना चढ़कर मस्जिद के सहन में दाखिल होते हैं, जो चूने गच्ची का है। छत पर चढ़ने का जीना है।

मस्जिद के उत्तर और दक्षिण में विद्यार्थियों के रहने के दालान बने हुए थे। मस्जिद तीन दर की है, जिसके दोनों तरफ दो कमरे थे। मस्जिद के तीन गंबुद हैं- बीच का बड़ा, इधर-उधर के छोटे गुंबदों पर सुनहरी पत्तर का खोल चढ़ा हुआ था। इसी से सुनहरी नाम पड़ा। यह खोल उतारकर कोतवाली के पास वाली मोती मस्जिद पर जड़ दिया गया और गुंबद नुचे-खुचे रह गए। मस्जिद बहुत खस्ता हालत में है।

Spread the love

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here