रक्षाबंधन का क्या है महत्व, रक्षाबंधन का इतिहास
रक्षाबंधन का महत्व (Raksha Bandhan 2023 Significance)
शास्त्रमर्मज्ञों के मुताबिक रक्षाबंधन का त्योहार क्यों मनाया जाता है, इसे लेकर कई दंत कथाएं प्रचलित है। एक कहानी भगवान इंद्र और उनकी पत्नी सची से जुडी हुई है। भविष्य पुराण में इसके बारे में विस्तार से बताया गया है। दरअसल, असुरों के राजा बलि ने देवताओं पर हमला किया। इससे इंद्र की पत्नी सची बहुत परेशान हो गई।
वह मदद मांगने भगवान विष्णु के पास गईं। भगवान विष्णु ने सची को एक धागा दिया। कहा कि, यह धागा वो अपने पति की कलाई पर बांध दें। इसके प्रताप से उनके पति की विजय होगी। सती ने ऐसा ही कहा और वाकई में इंद्र की ही जीत हुई।
महाभारत काल में भी एक कहानी रक्षाबंधन से जुडी प्रचलित है। एक बार भगवान विष्णु की तर्जनी उंगली कट गई। उस समय द्रौपदी ने अपनी साड़ी का पल्लू फाड़ उनके हाथ पर बांध दिया। भगवान काफी भाव विह्वल हो गए। उन्होंने उनकी रक्षा का वचन दिया था। अपने वचन के अनुसार ही कृष्ण ने द्रौपदी के चीरहण के दौरान रक्षा की थी।
अटूट रिश्ते का पर्व रक्षाबंधन का इतिहास (Raksha Bandhan 2023 History)
रक्षाबंधन अटूट रिश्ते का पर्व है। एक बार शिशुपाल का वध करते समय श्री कृष्ण के बाएं हाथ से खून बहने लगा। द्रौपदी ने अपनी साडी का पल्लू बांधकर अंगुली पर बांध दिया। ऐसी मान्यता है कि श्री कृष्ण तभी से द्रौपदी को अपनी बहन मानने लगे। उनकी रक्षा का वचन भी दिया। सालों बाद जब पांडव, द्रौपदी को जुए में हार गए तो कृष्ण ने ही द्रौपदी की लाज रखी। भाई का फर्ज निभाते हुए उनकी रक्षा की। ऐसा कहा जाता है कि तभी से रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाने लगा। आज भी बडे आस्था एवं श्रद्धा के साथ हिंदू इसे मनाते हैं। श्रावण मास की पूर्णिमा को भाई-बहन के प्यार का त्योहार रक्षाबंधन पूरे देश में मनाया जाता है।
राखी बांधने की विधि
अब हम आपको बताते हैं कि राखी कैसे बांधनी चाहिए। राखी वाले दिन भाई को राखी बांधने से पहले राखी की थाली सजानी चाहिए। रोली, कुमकुम, अक्षत, पीले सरसों के बीज, दीपक और राखी को थाली में रखें। भाई को तिलक लगाने के बाद उसके दाहिने हाथ में रक्षा सूत्र यानी राखी बांधनी चाहिए। राखी बांधकर भाई की आरती जरूर उतारनी चाहिए एवं फिर भाई को मिठाई खिलाएं। यदि उम्र में भाई बहन से बडा है तो चरण स्पर्श करना चाहिए। अगर बहन बड़ी हो तो भाई को पैर छूना चाहिए। राखी बंधवाने के बाद भाई को अपनी सामर्थ्य के अनुसार बहनों को उपहार देना चाहिए। ब्राम्हण या पंडित भी अपने यजमान की कलाई पर दीर्घायु की कामना करते हुए रक्षासूत्र बांध सकते हैं।
राखी बांधते समय इस मंत्र का उच्चारण करें (Rakhi Mantra)
ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।
भद्रा में नहीं बांधनी चाहिए राखी (Rakhi Should Not be Tied in Bhadra)
मान्यता है कि शनि देव की बहन का नाम भद्रा है। भद्रा बहुत ही क्रूर स्वभाव वाली है। भारतीय ज्योतिषी में भद्रा को एक विशेष काल कहा गया है। सलाह दी जाती है कि भद्रा काल में कोई भी शुभ कार्य का शुभारंभ ना करें। मसलन, मुंडन, विवाह, गृह प्रवेश या फिर रक्षाबंधन जैसा पवित्र त्योहार।
आसान शब्दों में कहें तो हिंदू धर्म में भद्रा काल को अशुभ माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि सूर्य देव और छाया की पुत्री भद्रा का स्वरूप बहुत ही भयंकर और डरावना है। इस कारण सूर्य देव भद्रा के विवाह को लेकर बहुत चिंतित रहते थे। भद्रा के स्वभाव से चिंतित सूर्य देव ने ब्रम्हा जी से भी सलाह लिया था। उस समय ब्रह्मा जी ने भद्रा से कहा था कि, यदि व्यक्ति तुम्हारे काल यानी समय में कोई शुभ काम करता है तो तुम उसमें बाधा डालने के लिए स्वतंत्र हो। लेकिन यदि कोई मनुष्य भद्रा काल में शुभ कार्य नहीं करेगा तो तुम उसके कार्यों में बाधा नहीं डालोगी। यही वजह है कि भद्रा काल में शुभ कर्म वर्जित माने गए हैं।
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