हाइलाइट्स
- दिल्ली के बाजार, स्मारक, कालोनियां पर्यटकों को करती हैं आकर्षित
- गुरूद्वारे के बाहर चुड़ियां खरीदतीं महिलाओं की तस्वीरें भी कैमरे में कैद करते हैं पर्यटक
- चांदनी चौक, जामा मस्जिद से पर्यटकों को हैं खास लगाव
अमरीका (America) से आए सेंट, कनाडा (canada) की रोनिका, चिली (chile) की क्लॉडिया अपने डीएसएलआर कैमरे (DSLR Camera)के साथ दिल्ली (Delhi) के उमंग को कैद करने के लिए उत्साहित है। फोटो टूर ऑपरेटर इन सभी पर्यटकों से यह जानने की कोशिश करते हैं कि वे किन स्थानों की तस्वीरें लेना चाहते हैं। कुछ बातें करने के बाद फोटो टूर शुरू होता है। फोटो टूर करवाने वालों का सबसे अजीज स्थान भी पुरानी दिल्ली (OLD DELHI) है। लाल किले (Red fort) से गौरी शंकर मंदिर (gauri shankar mandir old delhi) के बाहर फूल बेचने वालों की तस्वीरें खींचने का सिलसिला शुरू होता है।
चिली से आई क्लाडिया रोनिका से कहती हैं कि फूल बेचने वाली महिला के चेहरे का भाव बेहद सुंदर है, इतनी धूप व गर्मी में भी जिस तरीके से वो फूल से भरे टोकरियों को बेच रही हैं वो बेहद दिल को छूने वाला है। उसके साथ उसकी बच्चियां भी मां की मदद करने में आगे हैं। इस बीच वो अपनी मां को पानी भी पिलाती नजर आती है। सड़क पर फूल बेचने वाले इस परिवार में आपसी प्यार को देख कर क्लाडिया काफी भाव विभोर हुई, और लगातार उनके चेहरे के हर भाव को कैमरे में कैद करने में लगी रही।
वहीं, सेंट फ्रेंसिसको मंदिर से बाहर आते श्रद्धालुओं की तस्वीरें खींचते नजर आ रहे थे। फोटो टूर ऑपरेटर सचिन चांदनी चौक (chandni chowk) के गुजरे जमाने की बातें बताने में लगे रहे। लेकिन फोटोग्राफी का सिलसिला चलता रहा, थोड़ा आगे जाते हुए कुछ रिक्शे की भी फोंटो खीची गई। सचिव उन्हें शीश गंज गुरुद्वारा (shish ganj gurudwara) की तरफ ले जाने लगे, तभी उन सभी की तरफ कुछ रुमाल बेचने वाले भी लपके। रिक्शे वाले भी उन्हें अपनी रिक्शा में बैठने के लिए आवाजें देने लगे। सचिन के कहने के बाद सभी लौट गए। गुरुद्वारे के बाहर चूड़ियों की दुकानों से चूड़ियां खरीदते महिलाओं की तस्वीरे भी ली जाने लगी। फ्रेंसिसको के मुताबिक महिलाओं के चेहरे पर इन चूड़ियों को देख कर जो भाव उभरे हैं वो अदभुत है। यह एक कहानी बयां करती हैं। गुरूद्वारे के अंदर लोगों को अरदास करते हुए लोगों की तस्वीरें भी खींची जाने लगी। उसी के पास सुनहरी मस्जिद हैं वहां भी बेहद अलग नजारा है।
नमाज के वक्त में थोड़ी देर थी लेकिन इससे पहले की तैयारियों की फोटों भी खींची गई। इसके बाद सचिन ने इन पर्यटकों को सीता राम बाजार की उन गलियों में लेके गए जहां पुरानी हवेलियों में पुराने दिनों की तस्दीक करते दरों दरवाजे मिल जाते हैं। हवेलियों की छज्जे, झरोखे, खिड़कियां की तस्वीरें खींची जाने लगी। इस खानसामें की गली में खानसामें, कूरेमल की कुल्फी और बैरीस्टर की हवेली के बाहर लगे मुगलकालीन डिजाइन से सजा दरवाजा। इसके बाद सभी ने कुछ मार्केट की तस्वीरों को लेने की इच्छा जताई। वहां से सीधे खारी बावली की तरफ टीम चल पड़ी। इस बीच गली कूचों में सब्जी बेचते लोग, खरीदारी करते लोगों की भी फोटों खींचे गए पर्यटक। फतेहपुरी मस्जिद (fatehpuri masjid) के पास खारी बावली में रखे मसालों की खुशबू से सबके चेहरे मुस्कुरा उठे।
क्लाडिया का पसंदीदा विषय ही मसालों की तस्वीरें लेना था। काली मिर्च, लाल मिर्च, के साथ दूसरे मसालों की भी तस्वीरें लेने का सिलसिला शुरू हुआ। कुछ खाने पीने की दुकानों की भी फोटों ली गई। पुराने कुओं, प्याऊ, ठेले जैसे तमाम चीजों की तस्वीरें ली गई। क्लाडिया के मुताबिक कुछ एक किलोमीटर की दूरी में फोटो के लिए कई विषय मिल गए जो एक फोटोग्राफर के लिए सहूलियत है। इसी वजह से पुरानी दिल्ली को देखने और तस्वीरें खींचने का मौका मिलता है। भीड़ अधिक है लेकिन इसकी भी तस्वीरें खींचना अच्छा लगता है। लोग यहां जिंदादिल है, तमाम मुश्किलात के बाद भी लोग तस्वीरों के लिए मुस्कुरा देते हैं। तस्वीर लेने से बुरा नहीं मानते। तयशुदा कार्यक्रम के तहत तस्वीरें लेने का सिलसिला थमा और पुरानी दिल्ली की इन सब तस्वीरों के साथ वे अपने आंखों में भी दिल्ली की उन यादों को संजो कर ले गए जो उन्हें हमेशा याद रहेगा।
बाजारों के मूड को कैद करते कैमरे
चावड़ी बाजार के मसाले, कनॉट प्लेस के फूल मार्केट, गाजीपुर के मच्छी मार्केट और मायापुरी का कबाड़ मार्केट में पर्यटकों की दिलचस्पी बढ़ी है। इन सभी मार्केट की तस्वीरें लेने के लिए पर्यटक इच्छा जताते हैं। टूर ऑपरेटर राजवी के मुताबिक इन सब में लोगों को जीवन के तमाम रंग देखने को मिल जाते हैं जो वे अपने कैमरे में कैद करना चाहते हैं। बाजार में लोग दिल्ली के हर कोने से आते हैं, लिहाजा एक स्थान पर उन्हें दिल्ली का मिजाज कैद करने का मौका मिलता है।
पुरानी दिल्ली की दरों दीवारें
पुरानी दिल्ली की हवेलियों में बने मुगलकालीन डिजाइनों से सजे दरवाजों और उन पर बने बेल बूटे, सीता राम बाजार, चावड़ी बाजार की हवेलियों की भी तस्वीरें ली जाती है। कूचा पाती राम, किनारी बाजार की जैन मंदिर, बैरिस्टर की हवेली, चाट पापड़ी जैसे कई खाने पीने की चीजों की तस्वीरें डिमांड में रहती है।
रात के आगोश में दिल्ली
दिल्ली जितनी, दिन में खूबसूरत दिखती है, उतनी दिलकश रात के आगोश में भी दिखाई देती है। शायद यही वजह है कि पर्यटक रात के समय दिल्ली को शूट करना पसंद करते हैं। पर्यटकों के अनुसार रात में फोटोग्राफी करने का आनंद दूसरा है। रात की कैफियत और सन्नाटे में लुटियन दिल्ली को देखने का मजा ही दूसरा है। पुरानी दिल्ली की अंधेरी गलियों में भी रात को चहल पहल होती है, वहीं फुटपाथ पर गुजर बसर करने वालों की जिंदगियों में झांकने का भी मौका मिल जाता है। लुटियन जोन के एवेन्यूज भी पसंदीदा स्थानों में से एक है। दरअसल रात के समय लुटियन दिल्ली की हर एक सड़क की खूबसूरती अलग होती है। स्ट्रीट लाइटों की रौशनी में चमकते पेड़ों की छटां, गोल चक्कर के पौधे, इनमें लगे मूर्तियों को भी देखना बेहद खूबसूरत प्रतीत होता है। रात के समय कई एवेन्यू में लगे पेड़ों के फूलों की छटां भी रमणीय होती है। लोग अपने कैमरे में फ्लैश और रात में तस्वीरें खींचने के सभी तकनीक के साथ यहां तस्वीरें खींचते हैं। रात को राष्ट्रपति भवन, इंडिया गेट, सफदरजंग का मकबरा, फ्लाइओवर और इन पर सोने की तैयारी करते लोग। रात में भी दिल्ली कितनी जीवंत है इसको भी कैद करते हैं पर्यटक।
दिल्ली की विविधता भांती है फोटोग्राफरों को
राजीव गोयल, संस्थापक, दिल्ली फोटो टूर
दिल्ली में आज के रंग भी हैं और कल के अनूठे रंग भी समाहित हैं। इसलिए इन रंगों से कोई भी अछूता नहीं रहना चाहता। आमतौर पर लोग जब घूमने निकलते हैं तो कैमरे ले कर निकलते हैं। वे अपने फुर्सत के लम्हों के साथ उन अनदेखे लम्हों से भी गुजरते हैं, जिसे वे अपने यादों की गैलरी में सहेज कर रखते हैं। पिछले कुछ दिनों से फोटो टूर पर निकलने वाले लोग स्टोरी की तलाश में रहते हैं। लोग अब उन चीजों की तलाश करते हैं जो अस्थाई हो, मसलन चेहरे की भाव, गली गलियारों में सब्जी खरीदती महिलाएं और उनकी बातें, सब्जी वाला, चांदनी चौक में गोल गप्पे खाते लोग, रिक्शा चलाता आदमी, रात के सन्नाटे में फुटपाथ पर लेटा आदमी जैसे जिंदगी के तमाम रंगों को अपने नजरिये से कैमरे में कैद करता है। पहले जब लोग दिल्ली आते थे, तो वे दिल्ली के स्मारकों के साथ मंदिर मस्जिद की तस्वीरें खींचा करते थे लेकिन अब टूरिस्ट का नजरिया भी बदला है। इंटरनेट के जमाने में लोगों को स्मारकों की कई तस्वीरें मिल जाती है, जो नहीं मिल पाती है, वो इनके इर्द गिर्द घूमते किरदार, जिंदगियों के बेशुमार रंग, जीने का जज्बा, नहीं हारने का जुनून। इन तमाम रंगों को लोग अपने वतन ले जाना चाहते हैं। दिल्ली इसलिए भी टूरिस्ट के लिए पसंदीदा जगह है क्योंकि यहां लोगों को एक ही स्थान में कई संस्कृतियों से मुलाकात कर लेते हैं। फोटो टूर ऑपरेटर होने के नाते मैं इमानदारी से अपनी दिल्ली से मिलवाने की कोशिश रहती है। इससे पर्यटकों के लिए भी सहूलियत हो जाती है। फोटोग्राफी का शौक रखने वालों के जहन में स्थान और विषय होता है। वे अपने नजरिये से उन्हें देखते हैं और तस्वीरें खींचते हैं। जितनी आजादी उन्हें पुरानी दिल्ली में मिल जाती हैं, उतनी उन्हें और कही नहीं मिलती। यही वजह है कि पर्यटक यहां की गलियों में जिंदगी तलाशने अकसर आते हैं। खुश दिल दिल्ली के मिजाज को अपने देश ले कर जाते हैं। कुछ लोगों का तो यह शौक भर है लेकिन कुछ लोग इसे अपने व्यवसाय की तरह लेते हैं।