BRICS देशों के लिए डॉलर के विकल्प पर अमेरिका की चेतावनी
दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।
Opinions: हाल ही में, अमेरिका के राष्ट्रपति-चुनाव डोनाल्ड ट्रंप ने BRICS देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) को डॉलर के विकल्प के रूप में एक नई मुद्रा बनाने के प्रयासों को लेकर सख्त चेतावनी दी है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कहा कि यदि BRICS देश डॉलर से दूर जाने का प्रयास करते हैं, तो उन्हें 100% टैरिफ का सामना करना पड़ेगा। यह बयान वैश्विक वित्तीय व्यवस्था में डॉलर की स्थिति को बनाए रखने की अमेरिकी नीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
डॉलर का वैश्विक प्रभुत्व
अमेरिकी डॉलर वर्तमान में वैश्विक व्यापार में सबसे प्रमुख मुद्रा है। यह न केवल अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए प्राथमिक माध्यम है, बल्कि यह दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों के विदेशी मुद्रा भंडार का भी एक बड़ा हिस्सा है। ट्रंप का बयान इस स्थिति को चुनौती देने वाले किसी भी प्रयास के प्रति स्पष्ट रूप से अमेरिका की दृढ़ता को दर्शाता है।
डॉलर की स्थिति: आंकड़े और तथ्य
– वैश्विक लेनदेन: वर्तमान में, डॉलर लगभग 90% वैश्विक लेनदेन में उपयोग होता है।
– केंद्रीय बैंकों के भंडार: IMF की रिपोर्ट के अनुसार, डॉलर का हिस्सा केंद्रीय बैंकों और सरकारों के विदेशी मुद्रा भंडार में धीरे-धीरे कम हो रहा है, लेकिन यह अभी भी अन्य प्रमुख मुद्राओं की तुलना में सबसे अधिक है।
BRICS देशों का दृष्टिकोण
BRICS देशों ने हाल ही में अपने शिखर सम्मेलन में डॉलर पर निर्भरता कम करने की आवश्यकता पर चर्चा की थी। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा था कि “डॉलर को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है,” जो इस बात का संकेत है कि ये देश अमेरिकी आर्थिक नीतियों से असंतुष्ट हैं।
विकल्पों की खोज
BRICS देशों ने विभिन्न विकल्पों पर विचार किया है, जैसे कि:
– स्थानीय मुद्राओं में व्यापार: BRICS देशों ने स्थानीय मुद्राओं में व्यापार को बढ़ावा देने की दिशा में कदम उठाए हैं।
– संयुक्त मुद्रा: कुछ सदस्यों ने एक संयुक्त BRICS मुद्रा बनाने की संभावनाओं पर विचार किया है, हालांकि इस पर सहमति बनाना मुश्किल हो रहा है।
ट्रंप का धमकी भरा बयान
ट्रंप ने अपने बयान में स्पष्ट किया कि वे BRICS देशों से अपेक्षा करते हैं कि वे नई मुद्रा बनाने या किसी अन्य विकल्प का समर्थन नहीं करेंगे। उनका कहना था:
-“यदि वे ऐसा करते हैं, तो उन्हें 100% टैरिफ का सामना करना पड़ेगा और उन्हें अमेरिकी बाजार से बाहर निकलना होगा।”
यह बयान अमेरिका की आर्थिक नीति और ट्रंप प्रशासन की आर्थिक राष्ट्रीयता को दर्शाता है।
आर्थिक राष्ट्रीयता और वैश्वीकरण
ट्रंप का यह बयान वैश्वीकरण के खिलाफ उनकी आर्थिक राष्ट्रीयता के दृष्टिकोण को दर्शाता है। उनका मानना है कि अमेरिका को अपनी आर्थिक शक्ति को बनाए रखने और अन्य देशों द्वारा डॉलर को चुनौती देने वाले किसी भी प्रयास को रोकने की आवश्यकता है।
आर्थिक राष्ट्रीयता का प्रभाव
– व्यापार युद्ध: ट्रंप प्रशासन ने पहले ही कई देशों के साथ व्यापार युद्ध शुरू किए हैं, जिसमें चीन और यूरोपीय संघ शामिल हैं।
– आर्थिक प्रतिबंध: अमेरिकी सरकार ने कई देशों पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं, जिससे उन देशों की अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ा है।
विश्लेषक क्या कहते हैं?
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि ट्रंप द्वारा दिए गए ये धमकी भरे बयान वास्तव में अमेरिका के लिए हानिकारक हो सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि अमेरिका BRICS देशों पर 100% टैरिफ लगाता है, तो इसका परिणाम अमेरिका की अर्थव्यवस्था पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
– आर्थिक नुकसान: कई विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे टैरिफ अमेरिका के व्यापार घाटे को बढ़ा सकते हैं।
– वैकल्पिक तंत्रों की खोज: अमेरिकी प्रतिबंधों और धमकियों ने अन्य देशों को वैकल्पिक वित्तीय तंत्रों की खोज करने के लिए प्रेरित किया है।
BRICS देशों की प्रतिक्रिया
BRICS देशों ने ट्रंप की चेतावनी पर विभिन्न प्रतिक्रियाएँ दी हैं। रूस और चीन जैसे देश पहले ही स्थानीय मुद्राओं में व्यापार करने के लिए कदम उठा चुके हैं।
पुतिन और सीसीपी का दृष्टिकोण
पुतिन ने कहा:
“हम डॉलर से मुक्ति पाने के लिए वैकल्पिक रास्ते तलाश रहे हैं।”
चीन ने भी इसी दिशा में कदम बढ़ाए हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि BRICS देश अमेरिकी दबाव को नजरअंदाज करने का प्रयास कर रहे हैं।
भविष्य की संभावनाएं
ट्रंप द्वारा दी गई चेतावनी से यह स्पष्ट होता है कि अमेरिका BRICS देशों द्वारा किसी भी प्रकार के वैकल्पिक वित्तीय तंत्र को स्वीकार नहीं करेगा।
परिणाम
1. वैश्विक वित्तीय प्रणाली में बदलाव: यदि BRICS देश सफल होते हैं तो यह वैश्विक वित्तीय प्रणाली में एक महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है।
2. अमेरिका की स्थिति कमजोर होना: यदि अन्य देश डॉलर से दूर जाने लगते हैं, तो इससे अमेरिका की वैश्विक आर्थिक स्थिति कमजोर हो सकती है।
BRICS देशों पर संभावित असर
1. आर्थिक दबाव और व्यापार संबंध
ट्रंप की धमकी का सबसे पहला और स्पष्ट असर BRICS देशों के व्यापारिक संबंधों पर पड़ेगा। यदि अमेरिकी सरकार अपनी धमकी को अमल में लाती है और BRICS देशों पर 100% टैरिफ लगाती है, तो इससे इन देशों के लिए अमेरिकी बाजार में व्यापार करना अत्यंत कठिन हो जाएगा।
– भारतीय निर्यात पर प्रभाव:
भारत के लिए, जो कि BRICS का एक महत्वपूर्ण सदस्य है, यह चिंता का विषय है। भारतीय निर्यातकों को फार्मास्युटिकल्स, आईटी सेवाएं और कपड़ा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अधिक लागत का सामना करना पड़ सकता है। इससे उनके उत्पाद अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा से बाहर हो सकते हैं[1][2].
– रूस और चीन पर प्रभाव:
रूस और चीन जैसे देश भी इस धमकी से प्रभावित होंगे। ये देश पहले से ही अमेरिका के साथ तनावपूर्ण संबंधों में हैं, और ऐसे में उन पर टैरिफ लगाने से उनके आर्थिक विकास को और अधिक नुकसान होगा।
2. डॉलर की भूमिका में बदलाव
ट्रंप की धमकी से यह स्पष्ट होता है कि अमेरिका डॉलर की वैश्विक भूमिका को बनाए रखने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है।
– डॉलर से मुक्ति की कोशिशें:
BRICS देशों ने पहले ही डॉलर से मुक्ति पाने की दिशा में कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। रूस ने पहले कहा था कि “डॉलर एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है,” और इस प्रकार की टिप्पणियों ने अन्य BRICS देशों को भी प्रेरित किया है कि वे अपनी मुद्रा का विकास करें।
– वैश्विक वित्तीय प्रणाली पर असर:
यदि BRICS देश एक नई मुद्रा बनाने में सफल होते हैं या स्थानीय मुद्राओं में व्यापार बढ़ाते हैं, तो इससे डॉलर की वैश्विक वित्तीय प्रणाली में भूमिका कमजोर हो सकती है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रक्रिया सरल नहीं होगी और इसके लिए कई आर्थिक और राजनीतिक बाधाओं को पार करना होगा[5].
3. भू-राजनीतिक तनाव
ट्रंप की धमकी केवल आर्थिक नहीं बल्कि भू-राजनीतिक तनाव भी पैदा कर सकती है।
– BRICS देशों के बीच सहयोग:
ट्रंप की धमकी ने BRICS देशों को एकजुट होने का अवसर प्रदान किया है। यदि ये देश मिलकर अमेरिकी दबाव का सामना करने का निर्णय लेते हैं, तो इससे उनके बीच सहयोग बढ़ सकता है।
– चीन और भारत के बीच तनाव:
हालांकि भारत और चीन दोनों BRICS के सदस्य हैं, लेकिन दोनों देशों के बीच पहले से ही सीमा विवाद चल रहा है। ऐसे में अगर चीन अपनी मुद्रा को बढ़ावा देने की कोशिश करता है, तो भारत इस पर चिंतित हो सकता है।
4. अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
अमेरिका द्वारा लगाए गए 100% टैरिफ का असर केवल BRICS देशों पर नहीं पड़ेगा, बल्कि यह अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
– उपभोक्ता कीमतों में वृद्धि: यदि अमेरिका BRICS देशों पर टैरिफ लगाता है, तो इससे आयातित सामानों की कीमतें बढ़ेंगी, जिससे अमेरिकी उपभोक्ताओं को अधिक कीमत चुकानी पड़ेगी[2][3].
– आर्थिक प्रतिस्पर्धा: टैरिफ लगाने से अमेरिकी उद्योगों को भी नुकसान हो सकता है, क्योंकि इससे उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता कम हो जाएगी। इसके परिणामस्वरूप नौकरी के अवसर भी घट सकते हैं।
5. दीर्घकालिक प्रभाव
ट्रंप की धमकी के दीर्घकालिक प्रभाव भी हो सकते हैं।
– वैश्विक वित्तीय प्रणाली में विविधता: कई देश पहले से ही वैकल्पिक वित्तीय तंत्रों की खोज कर रहे हैं। ट्रंप की धमकी इन प्रयासों को तेज कर सकती है, जिससे वैश्विक वित्तीय प्रणाली में विविधता आ सकती है[4][5].
– BRICS मुद्रा विकास: हालांकि वर्तमान में BRICS मुद्रा विकसित करने का विचार अभी तक आकार नहीं ले पाया है, लेकिन ट्रंप की धमकी इसे पुनर्जीवित कर सकती है। यदि BRICS देश मिलकर एक साझा मुद्रा बनाने का प्रयास करते हैं, तो यह वैश्विक वित्तीय व्यवस्था को प्रभावित कर सकता है।
BRICS देशों की प्रतिक्रिया
1. रूस का दृष्टिकोण:
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पहले ही इस बात का संकेत दिया था कि डॉलर को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अमेरिका की नीतियों ने अन्य देशों को वैकल्पिक वित्तीय तंत्रों की खोज करने के लिए मजबूर किया है। पुतिन ने कज़ान में BRICS शिखर सम्मेलन के दौरान कहा था, “हमें दूसरे विकल्प की ओर देखने पर मजबूर होना पड़ा,” जो ट्रंप की धमकी के संदर्भ में महत्वपूर्ण है।
2. भारत का दृष्टिकोण:
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस मुद्दे पर अपनी असहमति व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि BRICS देशों के बीच एक सामान्य मुद्रा अपनाना कठिन होगा क्योंकि इसके लिए गहरी मौद्रिक और आर्थिक समानता की आवश्यकता होती है। जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत अपने व्यापारिक संबंधों को मजबूत बनाए रखेगा और अमेरिका से सहयोग जारी रखेगा।
3. चीन की स्थिति:
चीन ने भी BRICS देशों के साथ मिलकर स्थानीय मुद्राओं में व्यापार को बढ़ावा देने पर जोर दिया है। चीन के अधिकारियों ने इस बात पर ध्यान केंद्रित किया है कि वे डॉलर पर निर्भरता कम करना चाहते हैं और इसके लिए नए तंत्र विकसित करने की दिशा में काम कर रहे हैं।
डोनाल्ड ट्रंप द्वारा दी गई धमकी केवल एक राजनीतिक बयान नहीं है, बल्कि यह वैश्विक अर्थव्यवस्था में चल रही प्रतिस्पर्धा और शक्ति संतुलन का प्रतीक है। जैसे-जैसे दुनिया भर के देश अमेरिकी डॉलर से दूरी बनाने का प्रयास कर रहे हैं, अमेरिका को अपनी आर्थिक नीतियों पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता हो सकती है।
BRICS देशों के लिए यह एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है। उन्हें यह तय करना होगा कि वे अमेरिकी दबाव का सामना करने के लिए एकजुट होते हैं या फिर अपनी मौजूदा आर्थिक नीतियों को जारी रखते हैं। ट्रंप का यह बयान निश्चित रूप से वैश्विक आर्थिक राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ ला सकता है और इसके परिणाम आने वाले वर्षों में स्पष्ट होंगे।