हाइलाइट्स
- पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 1961 में की थी अमेरिकी यात्रा
- अमेरिकी राष्ट्रपति जाॅन कैनेडी भारतीय पीएम की वियतनाम पर राय जानना चाहते थे
- कैनेडी ने नाराज होकर कहा-नेहरू ने बहुत उम्र भोग ली है
नेहरू (Prime Minister Jawaharlal Nehru) नवम्बर 1961 में अमरीका गए तो उन्होंने चीन के साथ भारत के बिगड़ते रिश्तों के बारे में राष्ट्रपति जॉन कैनेडी ( President John F. Kennedy) से खुलकर बात नहीं की। कैनेडी चाहते थे कि नेहरू उन्हें यह सब बताए क्योंकि वे जानते थे कि चीन (china) भारत (India) के प्रति कितना आक्रामक रवैया अपनाए हुए था। कैनेडी वियतनाम (Vietnam) को चीन (china) की परोक्ष मदद से भी नाखुश थे। वे नेहरू को अपने आदर्श के रूप में देखते थे। इसलिए उन्होंने उनसे जानना चाहा कि अमरीका (America) को वियतनाम में क्या करना चाहिए।
नेहरू कुछ कहने की बजाय छत की तरफ देखने लगे, जैसाकि कोई टिप्पणी न करना चाहने की स्थिति में वे अकसर करते थे। लेकिन उन्होंने अपने साथ गए। विदेश सचिव एम.जे. देसाई से कहा कि वे कैनेडी तक यह बात पहुँचा दें कि अगर अमरीका ने जल्दी ही वियतनाम न छोड़ा तो वह वहाँ बुरी तरह फँस जाएगा। कैनेडी ने अमरीका के चोटी के अर्थशास्त्रियों और विदेश नीति विशेषज्ञों के साथ नेहरू की एक ब्रेकफास्ट मीटिंग रखी। एक तो नेहरू इस मीटिंग में देर से पहुँचे, और फिर सिर्फ 20 मिनट में मीटिंग खत्म हो गई। यह बात कैनेडी तक पहुँची तो उन्होंने ‘अपने कुछ सहायकों के सामने कहा कि नेहरू ‘बहुत ज्यादा उम्र भोग चके थे।’ राष्ट्रपति लिंकन भाग्यशाली थे कि किसी ने उनकी हत्या कर दी थी, कैनेडी ने आगे कहा था।