भारत की सीमाओं का सामरिक महत्व और विकास की आवश्यकता
दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।
Editorial: भारत की सीमाएँ न केवल भौगोलिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और सांस्कृतिक विरासत की दृष्टि से भी इनका विशेष महत्व है। सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास को लेकर केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदमों में वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (VVP) एक ऐतिहासिक पहल है, जो न केवल इन इलाकों के निवासियों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने में सहायक है, बल्कि सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी अहम है। हाल ही में संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार ने इस प्रोग्राम की प्रगति और महत्व को रेखांकित किया।
वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम: उद्देश्य और महत्व
15 फरवरी 2023 को लॉन्च किए गए वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम का उद्देश्य सीमावर्ती इलाकों में बसे गांवों का समग्र विकास करना है। यह कार्यक्रम मुख्यतः अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के 19 जिलों के 46 ब्लॉकों में स्थित 663 चयनित गांवों में लागू किया गया है।
कार्यक्रम के प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार हैं:
- सांस्कृतिक और पर्यटन विकास: इन गांवों में पर्यटन और सांस्कृतिक विरासत को प्रोत्साहित करने के लिए संरचनात्मक विकास किया जा रहा है।
- आर्थिक अवसरों का सृजन: कृषि, औषधीय खेती, जैविक खेती, पशुपालन और सहकारी समितियों के माध्यम से स्थानीय निवासियों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने पर जोर दिया जा रहा है।
- बुनियादी ढांचा विकास: सड़कों का निर्माण, बिजली, टेलीफोन और इंटरनेट कनेक्टिविटी जैसी सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है।
- सुरक्षा और सामरिक महत्व: इन गांवों में निवासियों को बेहतर सुविधाएं देकर उन्हें पलायन से रोकना और सीमावर्ती क्षेत्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करना इस योजना का प्राथमिक उद्देश्य है।
कार्यक्रम की प्रमुख विशेषताएं
वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के तहत अब तक 6800 से अधिक गतिविधियां आयोजित की गई हैं। इनमें जागरूकता अभियान, प्रशिक्षण शिविर, स्वास्थ्य और पशु चिकित्सा शिविर, नवाचार मेले और अन्य गतिविधियां शामिल हैं। इन गतिविधियों का मुख्य उद्देश्य स्थानीय निवासियों को प्रशिक्षित करना और उनकी क्षमता को बढ़ावा देना है।
सरकार ने इस कार्यक्रम के लिए 4800 करोड़ रुपये की भारी धनराशि आवंटित की है। इस धनराशि का उपयोग सड़क निर्माण, ऊर्जा आपूर्ति, स्वास्थ्य सेवाओं और पर्यटन को बढ़ावा देने में किया जा रहा है।
राज्यवार उपलब्धियां
- अरुणाचल प्रदेश: कुल 455 गांव इस कार्यक्रम के तहत शामिल किए गए हैं। यहां बुनियादी ढांचे के साथ-साथ शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाया जा रहा है।
- सिक्किम: 46 गांवों में जैविक खेती को बढ़ावा दिया गया है और ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सहकारी समितियों का गठन किया गया है।
- उत्तराखंड: 511 गांवों में सड़कों और ऊर्जा परियोजनाओं का निर्माण जारी है।
- हिमाचल प्रदेश: 75 गांवों में पर्यटन आधारित विकास कार्यों को प्राथमिकता दी जा रही है।
- लद्दाख (UT): 35 गांवों में ठंडे रेगिस्तानी इलाकों के लिए विशेष योजनाएं लागू की गई हैं।
सामाजिक और आर्थिक प्रभाव
वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के परिणामस्वरूप सीमावर्ती गांवों में निवासियों का जीवनस्तर बेहतर हो रहा है।
- आर्थिक सुधार: कृषि और सहकारी समितियों के माध्यम से ग्रामीणों की आय में वृद्धि हुई है।
- रोजगार सृजन: स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर उत्पन्न हुए हैं।
- प्रवास में कमी: पहले जिन गांवों से पलायन हो रहा था, अब वहां लोग रहने के लिए प्रेरित हो रहे हैं।
- सुरक्षा में सुधार: सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे और जनसंख्या वृद्धि से सामरिक दृष्टि से भी मजबूती मिली है।
भविष्य की राह
वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम न केवल सीमावर्ती गांवों के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक मॉडल बन सकता है। इसके तहत किए गए कार्य यह दर्शाते हैं कि कैसे सरकार दूरस्थ इलाकों के विकास के लिए समर्पित है। इस कार्यक्रम को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:
- स्थानीय सहभागिता: ग्रामीणों की भागीदारी से योजनाओं का कार्यान्वयन अधिक प्रभावी होगा।
- निगरानी और मूल्यांकन: परियोजनाओं की प्रगति की नियमित निगरानी और उनके प्रभाव का मूल्यांकन सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
- तकनीकी सुधार: इंटरनेट और डिजिटल तकनीकों का अधिक उपयोग करके इन गांवों को स्मार्ट विलेज में परिवर्तित किया जा सकता है।
वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम सीमावर्ती गांवों के समग्र विकास की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। यह न केवल स्थानीय निवासियों के लिए जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने में सहायक है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। मोदी सरकार की यह पहल भविष्य में सीमावर्ती इलाकों को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने में मील का पत्थर साबित होगी।