हाइलाइट्स
- लाल बहादुर शास्त्री ने जब मीना कुमारी को नहीं पहचाना
- मीना कुमार ने फूलों का हार पहनाकर किया था स्वागत
- लेनिनग्राद में बैले डांस देखते हुए असहज महसूस कर रहे थे शास्त्री जी
लाल बहादुर शास्त्री (lal bahadur shastri) जी सादगी की प्रतिमूर्ति थे। उनसे जुड़ी कई कहानियां लोक जनमानस में प्रचलित हैं। शास्त्री जी सिनेमा की चकाचौंध से दूर रहते थे। उन्हें अभिनेता-अभिनेत्रियों के बारे में बहुत अधिक जानकारी नहीं थी। पाकीजा अपने जमाने की सुपर हिट मूवी रही है। कमाल अमरोेही ने पाकीजा बनाने के लिए जी जान लगा दिया था। हर सीन को इस तरह फिल्माया गया कि इतिहास के पन्ने में दर्ज हो जाए। पाकीजा (pakija film) के सेट पर निर्माता निर्देशक कमाल अमरोही (kamal amrohi) ने एक पार्टी दी। कमाल अमरोही की पत्नी और फिल्म की नायिका मीना कुमारी अपनी प्रसिद्धि के शिखर पर थीं। पार्टी में लाल बहादुर शास्त्री भी पहुंचे थे।
मीना कुमारी (meena kumari) ने शास्त्री जी को फूलों का हार पहनाकर उनका स्वागत किया और उनकी प्रशंसा में कुछ शब्द कहे। मीना कुमारी ट्रेजिडी क्वीन के नाम से मशहूर हैं। उन्होने फिल्मों में अपनी अदाओं और नजा़कत से लाखों लोगों के दिलों पर राज किया। फिल्मों में उनकी एक्टिंग का पूरा देश दीवाना था। मीना कुमारी ने बचपन से लेकर फिल्मों के सफर, प्यार से लेकर शादीशुदा जिंदगी और शराब की लत लगने तक जिंदगी में काफी कुछ सहा। यही वजह है कि लोग उन्हें ‘ट्रेजिडी क्वीन’ के नाम से पुकारने लगे।
खैर,कुलदीप नैयर अपनी पुस्तक एक जिंदगी काफी नहीं में लिखते हैं कि शास्त्री उन्हें एक तरफ ले जाकर बोले कि वह स्त्री कौन थी। कुलदीप नैयर तो हैरान रह गए कि शास्त्री जी क्या कह रहे हैं। उन्होने शास्त्री जी को बताया कि वे मीना कुमारी थीं, देश की सबसे मशहूर फिल्म अभिनेत्री । शास्त्री ने अपने भाषण की शुरुआत करते हुए कहा, “मीना कुमारी जी, मुझे माफ करें” उन्होंने मीना कुमारी समेत हर किसी को हैरान करते हुए यह स्वीकार किया कि उन्होंने उनका नाम पहली बार सुना था।
![](https://theyoungistaan.com/wp-content/uploads/2022/09/meena-kumari.jpg)
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कुलदीप नैयर ने शास्त्री जी से जुड़ा एक और किस्सा अपनी किताब में लिखा है। उन्होने लिखा है कि शास्त्री नैतिकतावादी तो नहीं, पर परम्परावादी जरूर थे। लेनिनग्राद में बॉलशोई बैले ग्रुप द्वारा मंचित ‘स्वैन लेक’ देखते हुए वे बहुत असहज महसूस करते रहे। मध्यांतर में मैंने उनसे पूछा कि उन्हें नृत्य कैसा लग रहा था। उन्होंने कहा कि उन्हें बड़ी शर्म आ रही क्योंकि नर्तकियों की टाँगें नग्न थीं और अम्मा (अपनी पत्नी को वे इसी नाम से सम्बोधित करते थे) उनके साथ बैठी हुई थीं।