मुन्ना भाई एमबीबीएस फिल्म (Munna Bhai M.B.B.S. Movie) तो आपने देखी ही होगी। कैसे बोमन ईरानी (Boman Irani) को सबक सिखाने के लिए संजय दत्त (Sanjay Dutt) गेट वेल सून कैंपेन शुरू करते हैं। बोमन ईरानी के घर पर लोग फूलों का गुलदस्ता तक भेजने लगते हैं। मुन्ना भाई एमबीबीएस की तर्ज पर डीयू शिक्षकों ने भी गेट वेल सून धरना आयोजित किया। डीयू प्रशासन के खिलाफ इस धरने में बड़ी संख्या में शिक्षक भाग लिए।

दरअसल, दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi University) में इस समय नियुक्ति प्रक्रिया चल रही है। नियुक्ति प्रक्रिया का लंबे समय से इंतजार था। लेकिन नियुक्ति प्रक्रिया के चलते लंबे समय से पढ़ा रहे तदर्थ शिक्षकों को बलि का बकरा बनाया जा रहा है। ऐसे में शिक्षक ही इस प्रक्रिया के खिलाफ उठ खड़े हुए। बुधवार को डीयू शिक्षकों ने गेट वेल सून धरना आयोजित किया। इस धरने में आए कई तदर्थ और अस्थाई शिक्षकों ने यह भी बताया कि कैसे उनकी लंबी सेवा के बाद उन्हें मनमाने तरीके से नौकरी से हटा दिया गया है और अब वे वित्तीय असुरक्षा और करियर को लेकर अस्थिरता का संकट झेल रहे हैं।

डीयू के लिए अपना खून-पसीना देने वाले शिक्षकों की रातों की नींद हराम हो चुकी है। AADTA के नेतृत्व में हुए प्रदर्शन में बड़ी संख्या में शिक्षकों ने भाग लिया। एएडीटीए ने ऐलान किया कि तदर्थ शिक्षकों के साथ पूरी एकजुटता के साथ खड़ा है। प्रश्न किया कि यदि कॉलेज MoE और NAAC द्वारा आयोजित रैंकिंग में उच्च पायदान पर होने का आनंद ले रहे हैं तो तदर्थ और अस्थायी शिक्षकों को अब चयन के लिए अनुपयुक्त कैसे पाया जा सकता है? हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि अधिकांश विश्वविद्यालय और कॉलेज संकाय तदर्थ और अस्थायी हैं और सिर्फ इसलिए,उनसे क्रेडिट नहीं छीना जा सकता है। समायोजन के संकल्प को, पहले नियमितीकरण के चुनावी वादे के द्वारा सुनियोजित तरीके से कमजोर किया गया और फिर वर्तमान में चल रहे वास्तविक साक्षात्कारों में विस्थापन तक सीमित कर दिया गया।

एएडीटीए ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन, वर्तमान नेतृत्व और उनकी विचाराधारा ढो रहे उनके कुनबे ने ईमानदारी निष्ठा और समर्पण के साथ काम करने वाले तदर्थ और अस्थायी शिक्षकों की योग्यता और अनुभव की उपेक्षा करने के लिए एक धुरी का गठन किया है। जब तदर्थ और अस्थायी शिक्षकों के अकादमिक खात्मे का सत्तारूढ़ दल के प्रमुख चेहरों द्वारा स्वागत किया जा रहा है, तो प्रशासन अंधाधुंध विस्थापन और एमएचआरडी के 5 दिसंबर के पत्र की मूल भावना को अतिरेक के रूप में कम कर रहा है।

एएडीटीए के AC और EC सदस्यों ने विश्वविद्यालय के हर बैठक में समायोजन के लिए आवाज उठाई है। इन सबके बावजूद प्रशासन साक्षात्कार के मामले में विस्थापन की अपनी घोषणा को लेकर उदासीन रहा। यह दृष्टिकोण ऐसी सामंतवादी और अस्वीकार्य मानसिकता की उपज है जो कार्यरत तदर्थ और अस्थायी शिक्षकों को अपना मानने को तैयार नहीं है। हम समायोजन के लिए DUTA संकल्प के अपने दृढ़ समर्थन के साथ इस निकृष्ट मानसिकता और विस्थापन की योजना का विरोध करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस तरह की बहिष्कार और प्रतिशोधी मानसिकता को ठीक करने के लिए ‘गेट वेल सून’ विचार और पुष्पांजलि के माध्यम से, AADTA विस्थापन को रोकने के लिए किए जा रहे अपने संघर्ष को तेज करने और तदर्थ और अस्थायी शिक्षकों के समायोजन के लिए अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता और संकल्प को दोहराता है।

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