ब्रिटिश रेजिडेंसी के इस मिले-जुले खानदान के अलावा भी दिल्ली के आस पास कई जागीरदार घराने थे जिन्होंने इस्लाम और ईसाइयत और मुग़ल संस्कृति और अंग्रेज़ी रहन-सहन का फर्क मिटाना चाहा। हांसी के स्किनर, ख़ासगंज के गार्डनर और सरधना की बेगम समरू और उनके साथी, यह सब अठारहवीं सदी के आए हुए यूरोपियन सिपाहियों की औलाद में से थे जिन्होंने दिल्ली की मुगल अमीरज़ादियों से शादी करके एक मिली-जुली संस्कृति शुरू की थी।

यह मुगलई, अंग्रेज़ी, इस्लामी और ईसाइयत के मिश्रण कल्चर मुगलों के दरबार की दुनिया और कंपनी की रेज़िडेंसी के लोगों के बीच एक तटस्थ मिली-जुली संस्कृति बन गया। यह तीनों नस्लें नाम की ईसाई थीं लेकिन ज़्यादातर हिंदुस्तानी और फ़ारसी बोलती थीं और और इनका रहन-सहन पूरी तरह मुग़लों की इस्लामी संस्कृति के तरीके का था ।

यह तहजीबों का मेलजोल कभी-कभी उलझन में डालने वाला भी हो सकता था। अमरीका में पैदा होने वाले विलियम लिनेयस गार्डनर ने खंभात की बेगम से शादी की और उसके बेटे जेम्स ने ज़फ़र की रिश्ते की बहन मुख्तार बेगम से ब्याह किया। दोनों के मिलकर ऐंग्लो-मुग़ल नस्ल के कई बच्चे पैदा हुए जिसमें आधे मुसलमान थे और आधे ईसाई। और जेम्स जहांगीर शिकोह गार्डनर कुछ तो शायद दोनों ही थे। 1820 में, गार्डनर की बेगम अपने खानदान और बेगम समरू के खानदान में शादी की बात करने दिल्ली आई और सर डेविड ऑक्टरलोनी से दर्खास्त की कि वह बीच में पड़ें। विलियम गार्डनर ने उस ज़माने में अपने एक कज़िन को लिखा:

सुना है अगली ईद को जेम्स की मंगनी होने वाली है। मगर में यकीन से नहीं कह सकता क्योंकि मुझे इस राज़ में शामिल नहीं किया गया है। ख्वाजासरा और बूढ़ी औरतें दोनों घरों के चक्कर लगा रही हैं। मैंने सिर्फ इतना ही कहा है कि मैं पूरे मुगल शाही खानदान की मेहमानदारी नहीं कर सकता क्योंकि यह मेरे बस की बात नहीं।

आखिरकार सब कुछ तय हो गया तो बेगम समरू के खानदान में किसी की मृत्यु हो गई और उन्होंने इस्लामी रिवाज़ के तहत चालीस दिन के सोग का एलान कर दिया। तंग आकर गार्डनर को कहना पड़ा “बूढ़ी बेगम समरू ने यह सोग कुछ ज़्यादा ही लंबा और बहुत महंगा कर दिया है। ऐसा लगता है कि वह पूरी दिल्ली के लोगों को खाना खिला रही हैं और मातम करके अपना जिस्म नीला कर डाला है। वह चाहती हैं कि सर डेविड हकीम की हैसियत से उनका सोग चालीस दिन बाद उतरवाएं। ऑक्टरलोनी ने यह मंजूर कर लिया लेकिन अपने एक दोस्त को लिखाः“बूढ़ी बेगम ने ईसाई और हिंदुस्तानी रस्मों का ऐसा मिश्रण कर दिया है कि बावजूद इसके कि मैं उनकी मदद करना चाहता हूं, मेरी समझ में नहीं आ रहा कि मुझे क्या करना है।

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