इसको अंबर के राजा जयसिंह ने 1724 ई. में बनवाया था। यह नई दिल्ली में पार्लियामेंट स्ट्रीट पर कनाट प्लेस से नजदीक ही स्थित है। जामा मस्जिद से यह कोई दो मील के फासले पर पड़ता है। महाराज जयसिंह की बेवक्त मृत्यु के कारण इसका काम पूरा नहीं हो सका।

बनने के पचास बरस के अंदर ही अंदर जाटों ने इसका बिल्कुल सत्यानाश कर दिया। उन्होंने न केवल लूट मचाई, बल्कि जो यंत्र बचे हुए थे उनको भी तोड़-फोड़ डाला। नई दिल्ली बनने के बाद अब इसकी शक्ल बदल गई है। पहले जो जयसिंहपुरा था, वह तो अब नहीं रहा।

अब दीवार खींचकर इसको अलग कर दिया गया है। इसमें ग्रहों और नक्षत्रों को देखने के लिए छह यंत्र लगे हुए हैं, जिनमें से एक का नाम सम्राट यंत्र है। दो का नाम है राम यंत्र, दो का जयप्रकाश यंत्र और एक का मिश्रा यंत्र। इनके अतिरिक्त एक चक्रनियत नाम का है। एक का नाम कर्क राशि चलय है और एक यंत्र का नाम है दक्षिणोकृति। सितारों की बुलंदी, नक्षत्रों की चाल, ग्रहों का पता इन यंत्रों से लग जाता है। ज्योतिष के जानने वालों के जिए यह बहुत दिलचस्पी की चीज है।

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