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ब्रह्मोसका पहली बार युद्ध में होगा उपयोग, जानिए सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की पूरी ताकत

दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।  

Operation Sindoor: सीजफायर का महज तीन घंटे के अंदर उल्लंघन करने वाले पाकिस्तान के बुरे दिन आने वाले हैं। भारत के सब्र का बांध टूटता जा रहा है। पाकिस्तान को सीजफायर उल्लंघन का खामियाजा भुगतना होगा।

मीडिया रिपोर्ट की मानें तो भारत अब सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस के जरिए पाकिस्तान को धूल चटाएगा। हालांकि अभी तक इसके इस्तेमाल की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। लेकिन अगर ऐसा होता है तो यह पहली बार होगा जब युद्ध में ब्रह्मोस का प्रयोग होगा।

पाक का एयर डिफेंस सिस्टम ध्वस्त

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने आतंकवादी संगठनों के 9 कैंपों को निशाना बनाया। जिससे बौखलाया पाकिस्तान ड्रोन हमला करने लगा। भारत के वीर जवानों ने हमले को ना केवल विफल किया बल्कि पाकिस्तान का एयर डिफेंस सिस्टम ही ध्वस्त कर दिया।

भारत ने पाकिस्तान के शॉर्कोट (झांग) स्थित रफीकी एयरबेस, चकवाल के मरीद, रावलपिंडी के चकला स्थित नूर खान, रहीम यार खान, सुक्कुर और कसूर के चूनियां में स्थित सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया। इन हमलों में स्कार्दू, भोलारी, जैकबाबाद और सरगोधा के एयरबेस को गंभीर नुकसान पहुंचा है।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने देश के नाम अपने संबोधन में भी नुकसान की बात मानी।  

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ब्रह्मोस मिसाइल क्या है?

ब्रह्मोस एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है, जिसे भारत की रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और रूस की NPO Mashinostroyeniya के संयुक्त रूप से मिलकर बनाया है।

ब्रह्मोस नाम दो नदियों — भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मोस्कवा — के नामों को मिलाकर रखा गया है, जो इस सैन्य साझेदारी का प्रतीक है।

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ब्रहमोस मिसाइल की रेंज कितनी है?

ब्रह्मोस की शुरुआती रेंज 290 किलोमीटर थी, जिसे MTCR (Missile Technology Control Regime) का पालन करते हुए निर्धारित किया गया था।

हालांकि 2016 में भारत के MTCR में शामिल होने के बाद इसकी रेंज 800–900 किलोमीटर तक बढ़ा दी गई है। एयर-लॉन्च वर्जन की रेंज 450–500 किलोमीटर तक है।

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ब्रह्मोस मिसाइल कितनी सटीक है?

ब्रह्मोस मिसाइल की सटीकता विश्वस्तर की मानी जाती है। इसका Circular Error Probable (CEP) केवल 1 मीटर के आसपास बताया जाता है।

यह दो चरणों वाली प्रणाली है — जिसमें Inertial Navigation System (INS), GPS/GLONASS/GAGAN आधारित मिड-कोर्स गाइडेंस और टर्मिनल फेज़ में Active Radar Homing तकनीक का इस्तेमाल होता है।

समुद्र तल से मात्र 3–10 मीटर की ऊंचाई पर उड़ने की क्षमता और 2.8 Mach की गति के कारण इसे इंटरसेप्ट करना बहुत ही कठिन होता है।

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