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देश के पहले गृहमंत्री गोविंद बल्लभ पंत, एक फोटो और संपादक से टकराव की दिलचस्प कहानी

A photo of the strike of the scavengers was printed in the newspaper, after a few days the editor got leave

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जब एक फोटो से खफा हो गए यूपी के पहले मुख्यमंत्री: गोविंद बल्लभ पंत, प्रेस की आजादी और एक संपादक की दिलचस्प कहानी

दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।

Newspaper में खबरें छपती रहती हैं। लेकिन कई बार कोई खबर सियासी चेहरों को इतनी नागवार गुजरती है कि संपादक या रिपोर्टर को खामियाजा भुगतना पड़ता है। ऐसी ही एक कहानी है यूपी (Uttar Pradesh) के पहले मुख्यमंत्री और देश के पूर्व गृहमंत्री गोविंद बल्लभ पंत की।

कुलदीप नैयर ने अपनी किताब एक जिंदगी काफी नहीं में भी इस कहानी का जिक्र किया है। उन्होने लिखा है कि पंत जी अखबारों की खबरों पर बहुत ध्यान देते थे। यहां तक ही छोटी-बड़ी खबरों पर उनकी नजर रहा करती थी।

एक बार की बात है कि दिल्ली से छपनेवाले शाम के अखबार ईवनिंग-न्यूज में शहर के मेहतरों की हड़ताल की एक फोटो छपी। पन्त ने जनसंपर्क अधिकारी कुलदीप नैयर को बुलाया और फोटो पर अपनी आपत्ति जताई। उन्होने कुलदीप नैयर को संपादक से मिलने के लिए भेजा।

कुलदीप अपनी किताब में लिखते हैं कि संपादक का व्यवहार सचमुच ही काफी सख्त था। जब मैंने उसे बताया कि पन्त जी का कहना था कि ऐसी तस्वीरों से मामला और बिगड़ सकता था तो उसने कहा,आप अपने काम से काम रखिए!”

दरअसल, पन्त यह नहीं समझते थे कि मुझे इस तरह सम्पादकों के पास भेजने को दखलंदाजी के रूप में देखा जा सकता था, क्योंकि प्रेस की आजादी को हमारा समाज गर्व की बात मानता था। खैर बात बनी नहीं, संपादक ने नैयर को कोई भाव नहीं दिया। नतीजन, नैयर मुंह लटकाए लौट आए। यह बात यहीं खत्म हो गई।

कुछ दिन बाद नैयर को पता चला कि जिस संपादक से वो मिलने गए थे, वह अखबार में ज्यादा दिन नहीं टिके। अब उन्हें निकाला गया या खुद हटे। इसका पता नहीं चल पाया। दी यंगिस्तान में इस तरह की दिलचस्पी सियासी कहानियां, किस्से आपको पढ़ने को मिलती रहेंगी।

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