यह कुतब मीनार से थोड़ी ही दूरी पर स्थित है। यह अल्मतश के मकबरे और अलाई दरवाजे के समान ही चौकोर था, मगर इन दोनों से दुगुना बड़ा था। अब तो इस मकबरे की दीवारें ही बाकी रह गई हैं। इसको उसी स्थान पर दफन किया गया, जहां उसके लड़के शेर खां को दो वर्ष पूर्व दफनाया गया था। शेर खां, जिसे खाने शहीद भी कहते थे, लाहौर में चंगेज खां के सेनापति साभर से लड़ता लड़ता मारा गया था। बलबन उस सदमे से उबर न सका। उसे इस कदर सदमा पहुंचा कि दिन में वह दरबार करता और रात में रंज के आंसू बहाता अपने कपड़े चाक करता तथा सिर पर मिट्टी डालता। इसी रेंज में वह मर गया। शेर खां ने ईरान के कवि सम्राट शेख सादी को भारत आने के लिए निमंत्रित किया था।
बलबन ने अपने पोते खुसरो को अपनी जानशीनी के लिए चुना था, लेकिन साजिशों के कारण उसका दूसरा पोता कैकबाद तख्त पर बैठाया गया, जिसने 1286 ई. से 1290 ई. तक हुकुमत की। यह पढ़ा- -लिखा और लायक था, मगर तख्त पर बैठते ही रंगरेलियों में लग गया। यह किलोखड़ी के किले में जाकर रहने लगा, जिसे इसने 1286 ई. में बनवाया था। यह किला उस जगह था, जहां बाद में हुमायूं का मकबरा बनाया गया। मुसलमानों की यह दूसरी दिल्ली थी। अब उस किले का नाम भी बाकी नहीं रहा।
उस जमाने में यमुना किले के नीचे बहा करती थी। इसने वहां उम्दा उम्दा बागात लगाए थे और बड़ी रौनक उस किले को दी थी। उमराओं को भी बादशाह के साथ आकर यहां रहना पड़ा। उन्होंने भी रहने के लिए बहुत-से मकान बनवा लिए थे। कैकबाद सल्तनत के कामों से गाफिल बन बैठा। बादशाह की गफलत से मुगलों ने मौका पाकर बगावत की, मगर परास्त हुए। इसके बाप बुगरा खां ने, जो बंगाल का गवर्नर था, इसे बहुत समझाया कि सल्तनत का कारोबार देखो, मगर यह लापरवाह बना रहा। आखिर समाने का गवर्नर और वजीर शायस्ता खां, जो तुर्की सरदार और खलज का रहने वाला था, दिल्ली पर चढ़ आया।
अलाउद्दीन खिलजी ने बगावत की और वह तख्त पर काबिज हो गया। किलोखड़ी के किले में बादशाह को कत्ल कर दिया गया और उसकी लाश को महल की खिड़की में से दरिया की रेती में फिंकवा दिया गया। शायस्ता खां, जिसका नाम जलालुद्दीन खिलजी हुआ, 1290 ई. में खुद तख्त पर बैठ गया। कैकबाद का तीन साल का बच्चा भी कत्ल कर दिया गया। इस प्रकार 1290 ई. में गुलाम खानदान का खात्मा हुआ, जिसकी शुरूआत कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1206 ई. में की थी। 84 वर्ष के अर्से में गुलाम खानदान में दस हुक्मरां हुए, जिनमें तीन अपनी मौत मरे और सात कत्ल किए गए।